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रूपरेखा : प्रस्तावना - ओणम फेस्टिवल क्या है - ओणम का इतिहास - ओणम 2021 में कब मनाया जायेगा - ओणम क्यों मनाया जाता है - ओणम कहाँ मनाया जाता है - ओणम कैसे मनाते है - ओणम का महत्व - ओणम त्योहार के प्रमुख आकर्षण या कार्यक्रम क्या हैं - उपसंहार।
परिचय | ओणम त्योहार | ओणम पर्व | ओणम फेस्टिवल | ओणम का त्यौहार की प्रस्तावना -ओणम केरल का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। लोग इसे बहुत ही धूमधाम और शौक के साथ मनाते है। इसे केरल का राष्ट्रीय त्योहार भी माना जाता है। ओणम प्रत्येक वर्ष अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष का पहला महीना है जिसे चिंगम कहा जाता है तथा हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को में आता है, जोकि ग्रागेरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितम्बर माह में पड़ता है।
ओणम का उत्सव दस दिनों तक चलता है जिसमें सभी वर्ग लोग उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यह पर्व राजा महाबली के याद में मनाया जाता है और इस दिन को लेकर ऐसी कथा प्रचलित है कि ओणम के दिन राजा बलि की आत्मा केरल आती है। इस पर्व पर पूरे केरल राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता है और कई प्रकार के सांस्कृतिक तथा मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
ओणम केरल में मलयालियों द्वारा या दुनिया के किसी अन्य भाग में मनाया जाने वाला एक त्योहार है, जो महान राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक है। यह केरल के लिए फसल के मौसम को चिह्नित करने के लिए भी कहा जाता है। यह त्योहार दस दिनों तक चलता है और इसे एक शानदार भव्यता के साथ मनाया जाता है।
ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है, जो संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक को संदर्भित करता है। ओणम का अर्थ श्रावण (सावन) होता हैं। सावन माह में इस त्यौहार को केरल राज्य में फसलों के तैयार होने की खुशी के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार पर सावन के देवता के साथ फूलों की देवी की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेण्डर के अनुसार यह त्यौहार अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है।
हर राज्य में अपने-अपने पारंपरिक त्योहार मनाये जाते है, उसी प्रकार से केरल में ओणम का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को केरल के राजा महाबलि के स्मृति में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर जो कथा सबसे अधिक प्रचलित है, वह इस प्रकार है कि-
प्राचीन काल में राजा महाबलि वर्तमान के केरल राज्य के एक बहुत ही प्रतापी राजा थे और वह अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे। वह दानी होने के साथ ही बहुत ही पराक्रमी भी थे। अपने बाहुबल से उन्होंने तीनो लोको पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब उनके गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें सलाह दी कि वे सौ अश्वमेध यज्ञ करके इंद्र का पद प्राप्त कर लें और सदा के लिए त्रिलोक के स्वामी बन जाये। उनके आज्ञा अनुसार राजा बलि ने सौ अश्वमेध यज्ञ करना आरंभ किया उनके 99 यज्ञ तो सकुशल संपन्न हो गये।
लेकिन 100वें यज्ञ के संपन्न होने से पहले वहां भगवान विष्णु वामन रुप धारण करके प्रकट हो गये और राजा बलि से तीन पग धरती मांगी, परन्तु राजा बलि इस बात से अनिभिज्ञ थे कि वामन अवतार में उनके सामने स्वयं भगवान विष्णु खड़े है। जब राजा बलि ने उनकी मांग स्वीकार कर ली तो वामन रुपी भगवान विष्णु ने विराट रुप धारण करके दो पग में सारे लोक नाप लिये और जब तीसरे पग के लिए स्थान पूछा तो राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु तीसरे पग को आप में मस्तक पर रख दे।
भगवान वामन ने जब तीसरा पग रखा तो राजा बलि पाताल लोक चले गये। राजा बलि के इस दान और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे वर मांगने को कहा। तब राजा बलि ने कहा कि ‘हे प्रभु मैं वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का समय चाहता हुं।’ तब से ऐसा माना जाता है कि वह ओणम का ही पर्व है, जिसपर राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। यहीं कारण है कि केरल में ओणम के इस पर्व को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
ओणम का महान त्योहार आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। ओणम मुख्यतः दो कारणों से वर्ष के इस समय में मनाया जाता है। एक यह है कि यह एक बार केरल के एक महान राजा- राजा महाबली की यात्रा का समय है। एक आम धारणा के अनुसार, राजा अपने राज्य पाताल से पृथ्वी पर जाता है और अपने प्रजा को आशीर्वाद देता है जो अपने पूज्य राजा का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जब वह पृथ्वी पर पहुँचता है और अपनी दुनिया में वापस जाता है, तो पाताल के राजा महाबली के आंदोलन के साथ दस दिनों का उत्सव जुड़ा होता है। यह भी केरल में फसल का मौसम है। इस प्रकार, यह त्यौहार केरल के फसल त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है, जहाँ लोग नई फसलों के आगमन को इकट्ठा करते हैं और मनाते हैं। वर्ष 2021 में ओणम का पर्व 12 अगस्त, गुरुवार से लेकर 23 अगस्त, सोमवार तक मनाया जायेगा।
ओणम मलयाली लोगो के प्रमुख पर्वों में से एक है और इस पर्व को देश-विदेश में रहने वाले लगभग सभी मलयाली लोगो द्वारा बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। वैसे तो ओणम का सबसे भव्य आयोजन केरल में होता है, लेकिन इस पर्व को कई अन्य राज्यों में भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यदि सामान्य रुप से देखा जाये तो ओणम का पर्व खेतों में नई फसल की उपज के उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इसके साथ यह भी मान्यता है कि जिस राजा महाबली से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग में तीनों लोको को माप लिया था। वह असुरराज राजा महाबलि केरल के ही राजा था और ओणम का यह पर्व उन्हीं को समर्पित है।
ओणम भारत और दुनिया भर में मलयाली लोगों द्वारा मनाया जाता है लेकिन यह मुख्य रूप से भारत में केरल में मनाया जाता है जहां यह पर्व एक राष्ट्रीय त्योहार के बराबर है। ओणम केरल का राष्ट्रीय त्योहार भी माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इन त्योंहार में तीन दिनों के लिए राजा महाबलि पाताल लोक से पृथ्वी पर आते है और अपनी प्रजा के नई फसल के साथ उमंग तथा खुशियां लाते है। यहीं कारण है इस त्योहार पर लोग अपने घरों के आंगन में राजा बलि की मिट्टी की मूर्ति भी बनाते है। मलायाली लोगो द्वारा ओणम के पर्व को काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। केरल में लोग इस पर्व की तैयारी दस दिन पूर्व से शुरु कर देते हैं। इस दौरान लोगो द्वारा अपने घरों को साफ-सुधरा किया जाता है। ओणम का पर्व मनाने वाले लोग इस दिन अपने घरों के आँगन मे फूलों की पंखड़ुयों से सुंदर रंगोलिया बनाते हैं, स्थानीय भाषा में इन रंगोलियों को ‘पूकलम’ कहा जाता है।
इसके साथ ही इस दौरान लोग अपने घरों में राजा महाबलि की मूर्ति भी स्थापित करते है क्योंकि लोगो का मानना है कि ओणम के त्योहार दौरान राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से पृथ्वी पर वापस आते है। राजा बलि की यह मूर्ति पूलकम के बीच में भगवान विष्णु के वामन अवतार की मूर्ति के साथ स्थापित की जाती है। आठ दिनों तक फूलों की सजावट का कार्य चलता है और नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं विष्णु पूजा करते हुए इसके चारो तरफ नाचते-गाते हुए तालियां बजाती है। रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है। इसके पश्चात बच्चे वामन अवतार को समर्पित गीत गाते है। मूर्तियों के सामने दीप जलाये जाते है, पूजा-पाठ के पश्चात दसवें दिन मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है।
पूजा पाठ के साथ ही ओणम का पर्व अपने व्यंजनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस पर्व के दौरान घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है। यही कारण है कि इस बच्चे इस पर्व को लेकर सबसे अधिक उत्साहित रहते है। सामान्यतः इस दिन पचड़ी-पचड़ी काल्लम, दाव, घी, ओल्लम, सांभर आदि जैसे व्यंजन बनाये जाते हैं, जिन्हें केलों के पत्तों पर परोसा जाता है। ओणम पर बनने वाले पाक व्यंजन निम्बूदरी ब्राम्हणों के खाने के विविधता को दर्शाते हैं, जोकि उनके संस्कृति को प्रदर्शित करने का कार्य करता है। कई सारे जगहों पर इस दिन दुग्ध से बने अठारह तरह के पकवान परोसे जाते है। इस दिन उत्सव मनाने के साथ ही लोगों के मनोरंजन के लिए कथककली नृत्य, कुम्मत्तीकली (मुखौटा नृत्य), पुलीकली नृत्य (शेर की पोशाक में किया जाने वाला नृत्य) आदि जैसे नृत्यों का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नौका दौड़ तथा विभिन्न प्रकार के खेलों का भी आयोजन किया जाता है।
ओणम का त्यौहार राजा महाबली को समर्पित है, जो जन्म के समय एक असुर (उनके दिमाग में और अधिक नकारात्मक विचारों वाला) था, लेकिन एक सूर्य (उनके दिमाग में अधिक सकारात्मक विचारों वाला) था। वह अब तक का सबसे न्यायप्रिय राजा था। कोई भी जरूरतमंद कभी भी उसके दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटा। राजा महाबली के मिथक का कहना है कि राजा ने अपने वचनों पर खरा उतरने के लिए खुद के साथ-साथ हर चीज का त्याग किया।
इस प्रकार उनके बलिदान के लिए एक इनाम के रूप में उन्हें केरल के लोगों और उनके सभी अनुयायियों द्वारा ओणम त्योहार के रूप में अनंत काल के लिए याद किया गया। यदि आप भारतीय त्योहार का आनंद लेने के लिए केरल की यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा विकल्प ओणम का समय होगा। त्योहार से जुड़े रोचक अनुष्ठान ओणम के उत्सव को एक आकर्षक बनाने में योगदान करते हैं। ओणम वह पर्व होता है जब केरल में नई फसल तैयार होती है और क्योंकि प्राचीनकाल से ही भारत एक कृषि-प्रधान देश रहा है, यही कारण है कि इस दिन को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
दस दिन का ओणम त्योहार कई आयोजनों का एक अवसर है। सबसे लोकप्रिय और दिलचस्प घटनाओं में से कुछ पोक्कलम, ओनासद्या, ओनाकालिकल, वल्लमकली बोट रेस और हाथी जुलूस हैं।
ओणम-सद्या के रूप में विख्यात भोजन की पाक कला ओणम त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। केले के पत्तों पर परोसे जाने वाले इन भोजनों में पारंपरिक अचार और पापड़म और मिठाई के साथ-साथ 4 प्रकार के व्यंजन के साथ चावल शामिल होते हैं जिन्हें ‘पेसम’ कहा जाता है। ओणम पूरे केरल में बहुत ही उल्लास और मस्ती के साथ मनाया जाता है। कुछ जगहें हैं जहां त्यौहार मनाने के लिए जनसमूह इकट्ठा होता है, त्रिपुनिथुरा में, कोच्चि में एर्नाकुलम के पास, जहाँ पर आचममय उत्सव मनाया जाता है। लोग बाघ और शेर के रूप में तैयार होते हैं और त्रिशूर में स्वराज राउंड में नृत्य करते हैं। अरनमुला में नौका दौड़ त्योहार का एक अन्य प्रमुख आकर्षण है। ओणम को थिरु-ओणम या थिरुवोनम (पवित्र ओणम दिवस) कहा जाता है। त्योहार का दूसरा नाम ‘श्रवणमहोत्सव’ है।
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