ADVERTISEMENT
रूपरेखा : प्रस्तावना - त्योहारों का महत्व - सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना के प्रतीक - हमारे देश के प्रमुख त्यौहार - राष्ट्रीय एकता के रूप में हमारी पहचान - उपसंहार ।
प्रस्तावना -हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जहाँ पूरे साल अलग अलग त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है। त्यौहार अथवा पर्व सामाजिक मान्यताओं, परंपराओं व पूर्व संस्कारों पर आधारित होते हैं । यहाँ आये दिन कोई-न-कोई त्यौहार पड़ता ही रहता है क्यूंकि जिस प्रकार प्रत्येक समुदाय, जाति व धर्म की मान्यताएँ होती हैं उसी प्रकार इन त्योहारों को मनाने की विधियों में अलग-अलग होती है । सभी त्योहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है । त्यौहार ही एक ऐसा वक़्त है जो किसी भी जाति के लोगो के बीच एकता बनाये रखने के प्रतिक है।
हमारे जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्व है। सभी त्योहारों की अपनी महत्व होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय एक साथ मिलकर भाग लेते है । सभी जन त्यौहार के आगमन से प्रसन्नचित्त होते हैं व विधि-विधान से, पूर्ण उत्साह के साथ इन त्योहारों में भाग लेते हैं । सभी त्यौहार अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए रखे हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप ईन त्यौहार के लिए कोई मायने नहीं रखता इसीलिए तो सभी त्यौहार आज भी पुराने परम्परा के साथ हसी-खुसी एकता के साथ मनाये जाते है । इन त्यौहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, फिर भी इसे सारे जान समुदाय बड़े ही उल्लास के साथ इसका आनंद लेते है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ट भावना का जन्म होता है इसीलिए सभी त्योहारों का बड़ा महत्व है।
त्यौहार सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना के प्रतीक हैं। जो की सभी जन-जीवन में जागृति लाते हैं। समष्टिगत जीवन में जाति की आशा-आकांक्षा के चिह्त हैं, उत्साह एवं उमंगों के प्रदाता हैं। राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का कारन हैं। जीवन की एक-रास्ता से ऊबे समाज के लिए त्यौहार वर्ष की गति के पड़ाव हैं। वे भिन्न-भिन प्रकार के मनोरंजन, उल्लास और आनंद प्रदान कर जीवन-चक्र को सरस बनाते हैं। पर्व युगों से चली आ रही सांस्कृतिक परम्पराओं, प्रथाओं, मान्यताओं, विश्वासों, आदर्शों, नैतिक, धार्मिक तथा सामाजिक मूल्यों का वह मूर्त प्रतिबिम्ब हैं जो जन-जन के किसी एक वर्ग अथवा स्तर-विशेष की झाँकी ही प्रस्तुत नहीं करते। इसीलिए त्यौहारों की व्यवस्था समाज-कल्याण और सुख-समृद्धि के उत्पांदों के रूप में हुई थी।
प्रत्येक त्यौहार में अपनी विधि व परंपरा के साथ समाज अथवा देश व राष्ट्र के लिए कोई न कोई विशेष संदेश प्रदान करता है । मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शो को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्यौहार को हम दो भागों में बांट सकते हैं। पहले वर्ग में धार्मिक त्यौहार आते हैं जैसे नागपंचमी, ईद, दशहरा, दीपावली, होली, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, रक्षाबंधन, भैयादूज आदि त्यौहार इसी वर्ग में आते हैं। दूसरे वर्ग में राष्ट्रीय पर्व हैं जिसमे गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता दिवस, गांधी जयंती , अध्यापक दिवस बलिदान दिवस प्रमुख त्यौहार माने जाते हैं।
नाग पंचमी का त्यौहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इससे हमारे मन मे नाग देवता (शेष नाग) के प्रति श्रद्धा-भावना व्यक्त होती है। लोगो का विशवास है कि इस दिन नाग देवता प्रसन्न होते है। ईद और बकरीद मुस्लिम का प्रमुख त्यौहार है। रमजान का पावन महीना आता है अवं रमजान का महीना व्रत, त्याग और तपस्या का महीना है। रमजान में स्वस्थ मुस्लिम लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं। सूर्यास्त के बाद नमाज़ पढ़ कर रोज़ा खोलते है। दशहरा भारत का बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय त्यौहार है। इसे विजयदशमी भी कहते हैं। भारत में विजयादशमी का पर्व जिस प्रकार असत्य पर सत्य की तथा अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देता है। यह रावण पर राम की जीत के सम्मान में पूरे देश में मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा त्यौहार विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार भी अत्यन्त ही प्रसन्नता और खुशियाँ भरा पर्व है। यह पर्व श्रीराम के अयोध्या आने की खुशी में मनाया जाता है। रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व प्राचीन परंपरा के अनुसार गुरु महत्व को प्रतिपादित करने से है। लोंगो को यह मान्यता है कि इस दिन गुरु अपने शिष्य के हाथ मे रक्षा सूत्र बांध करके उसे अभय रहने का वरदान देते है। आज की परंपरा के अनुसार बहनो अपने भाइयों के हाथ मे राखी का बंधन बांधकर उससे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन दान लेती है। भाद्र मास जन्माष्टमी का त्यौहार श्रीकृष्ण के जन्मदिन की उपलक्ष में मनाया जाता है। दीपावली और दिवली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस के अंधकार को पराजित करने के लिए प्रकाश का आयोजन करके सम्पन्न किया जाता है। इसी प्रकार रंगों का त्यौहार होली हमें संदेश देता है कि हम आपसी कटुता व वैमनस्य को भुलाकर अपने शत्रुओं से भी प्रेम करें । ईसाइयों का त्यौहार क्रिसमस संसार से पाप के अंधकार को दूर करने का संदेश देता है। इसी प्रकार हमारे कुछ राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, अध्यापक दिवस व गाँधी जयंती को सभी धर्मों, जातियों व संप्रदायों के लोग मिल-जुल कर खुशी से मनाते हैं । इन अवसरों पर सारा राष्ट्र उन महापुरुषों व देशभक्तों को याद करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को सहर्ष न्यौछावर कर दिया। इस प्रकार सभी त्योहारों के पीछे भारतीय जन जीवन में एक नयी उमंग प्रदान करती हैं।
त्यौहार राष्ट्रीय एकता के रूप में हमारी पहचान हैं, राष्ट्र की एकात्मता के परिचायक हैं । कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक विस्तृत इस पुण्यभूम भारत का जन- जन जब होली, दशहरा और दीपावली मनाता है, होली का हुड़दंग मचाता है, दशहरा के दिन रावण को जलाते है और दीपावली की दीप-पंक्तियों से घर, आँगन, द्वार को ज्यांतित करता है, तब भारत की जनता राजनीति-निर्मित्त उत्तर और दक्षिण का अन्तर समाप्त कर एक सांस्कृतिक गंगा-धारा में डुबकी लगाकर एकता का परिचय दे रही होती है।
दक्षिण का ओणम्, उत्तर का दशहरा, पूर्व की (दुर्गा) पूजा और पश्चिम का महारास,जिस समय एक-दूसरे से गले मिलते हैं, तब भारतीय तो अलग, परदेशियों तक के हृदय- शतदल एक ही झोंके में खिल जाते हैं। इसमें अगर कहीं से बैसाखी के भंगड़े का स्वर मिल जाए या राजस्थान की पनिहारी की रौनक घल जाए तो कहना ही क्या ? भीलों का भगेरिया और गुजरात का गरबा अपने आप में लाख-लाख इद्धधनुषों की अल्हड़ता के साथ होड़ लेने की क्षमता रखते हैं। इसीलिए त्यौहार राष्ट्रीय एकता के रूप में हमारी पहचान हैं।
इस प्रकार सभी त्यौहार और पर्व देश को एक सूत्र में बाँधे रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं अथवा हमारे त्यौहार राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हैं । वे भारतीय नागरिकों के मन में देशप्रेम व मित्रता का भाव जगाते हैं । हमारे त्यौहार हमारी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा व भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं । ये त्यौहार हमारी संस्कृति की धरोहर हैं । इन पर्वों व त्योहारों के माध्यम से हमारी संस्कृति की वास्तविक पहचान होती है । इस प्रकार हम देखते हैं कि त्योहारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है ।
ADVERTISEMENT