महाशिवरात्रि पर निबंध

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महाशिवरात्रि का निबंध हिंदी में - शिवरात्रि पर निबंध - Essay On Mahashivratri In Hindi - Mahashivratri Essay In Hindi - Hindi Essay on Maha Shivratri 2022 - Maha Shivratri par Nibandh in Hindi

रुपरेखा : प्रस्तावना - महाशिवरात्रि 2022 - महाशिवरात्रि मनाने के पीछे का इतिहास - शिव-पार्वती के सालगिरह से जुड़ी कथा - भगवान शिव के अग्नि स्तंभ की कथा - हलाहल विष की कथा - महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है - महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं - महाशिवरात्रि का महत्व - उपसंहार।

प्रस्तावना -

महाशिवरात्रि का यह पावन त्योहार भगवान शिव को समर्पित एक त्योहार है। यह भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। कथा के अनुसार कहते है की इसी दिन भगवान शिव जी की शादी माता पार्वती के साथ हुई थी। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है परंतु वर्ष 2021 में मार्च के महीने में मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिवजी और माता पार्वती का पूजा-अर्चना करने का विशेष दिन कहा जाता है।


महाशिवरात्रि कब है -

वर्ष 2022 में महाशिवरात्रि का यह पावन त्योहार 1 मार्च मंगलवार के दिन मनाया जायेगा ।


महाशिवरात्रि मनाने के पीछे का इतिहास -

महाशिवरात्रि मनाने के पीछे का इतिहास प्राचीन है और इसके मनाये के साक्ष्य पांचवीं सदी के भी पूर्व के हैं। कई सारे मध्यकालीम पुराणों जैसे कि स्कंद पुराण, लिंगा पुराण और पद्म पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि एक ऐसा त्योहार है, जहाँ भगवान शिव को विशेष रुप से समर्पित किया गया है। शिव भक्तों के लिए यह त्योहार बड़ा महत्व रखता है। कई प्राचीन कथाएं हमें इस पावन त्यौहार का महत्व बताते है।


शिव-पार्वती के सालगिरह से जुड़ी कथा -

प्राचीन कथा के अनुसार, जब भगवान शिव की पिछली पत्नी सती की मृत्यु हो जाती है, तो भगवान शिव काफी दुखी हो जाते हैं। इसके बाद जब सती का माता पार्वती के रुप में पुर्नजन्म होता है। तो भगवान शिव उनके तरफ देखते तक नही हैं। तत्पश्चात वह उन्हें मनाने के लिए कामदेव की सहायता लेती है, ताकि भगवान शिव की तपस्या भंग हो सके और इस प्रयास के कारन कामदेव की मृत्यु भी हो जाती है। समय बितने के साथ ही भगवान शिव के हृदय में माता पार्वती के लिए प्रेम उत्पन्न हो जाता है। तत्पश्चात वह माता पार्वती से विवाह करने का निर्णय ले लेते हैं। यह पावन शादी फाल्गुन माह के अमावस्या के दिन हुई थी। भगवान शिव जी के शुभ विवाह के दिन आज देश भर में महाशिवरात्रि त्यौहार का जश्न मनाया जाता है।


भगवान शिव के अग्नि स्तंभ की कथा -

दूसरी कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। जिसमें ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण स्वंय के श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे वही दूसरी ओर भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ बता रहे थे। तत्पश्चात वहां एक विराट लिंग प्रकट होता है। दोनों देवताओं ने इस बात का निश्चय करते है कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा वही सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा । अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकल पड़े। कड़ी प्रयास करने के बाद भी छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। वही दूसरी ओर ब्रह्मा जी भी शिवलिंग के उद्गम के स्त्रोत का पता लगाने में असफल हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। जिसमें उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी भी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं वहां शिव जी प्रकट हुए और क्रोधित होकर उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया तथा केतकी के फूल को श्राप दिया कि उनके पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा। यह घटना फाल्गुन माह के 14वें दिन हुई थी और इसी दिन भगवान शिव ने खुदको शिवलिंग के रुप में प्रकट किया था। इसलिए इस दिन महाशिवरात्रि के रुप में पुरे देश में मनाया जाता है।


हलाहल विष की कथा -

इसी तरह तीसरी कथा के अनुसार भगवान शिवजी के विष पीने से जुड़े है। कथा के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों द्वारा मिलकर समुद्र मंथन किया जा रहा था। तब समुद्र से कई सारी चीजं प्रकट हुई। उन्हीं में से एक था हलाहल विष, यह विष इतना तीव्र और घातक था कि सभी देवों और असुरों ने इस विष भरे घड़े को छूने से भी मना कर दिया। इस कारन से पूरे संसार में त्राहिमाम मच गया और विश्व के सभी जीव जंतुओं पर संकट आ गया था। तभी देवो-के- देव महादेव शिव की शरण में सभी जा पहुंचे और हलाहल विष से पूरे विश्व के रक्षा की कामना की। तब भगवान शंकर ने इस भयंकर विष को पीकर अपने कंठ में धारण कर लिया। जिससे उनका गला नीला पड़ गया और तभी से वह नीलकंठ कहलाने लगे। भगवान शिव के अद्भुत शक्ति प्रदर्शन के दिन को आज महाशिवरात्रि के महा पर्व के रुप में मनाया जाता है।


महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है -

महाशिवरात्रि मनाने से जुड़ी कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं, एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय वासुकि नाग के मुख से भयंकर विष की ज्वालाएं उठी और यह समुद्र के जल में मिलकर एक भयानक विष बन गया। इस संकट को देखते हुए सभी देव, ऋषि, मुनि आदि भगवान शंकर के पास गये और रक्षा के लिए प्रर्थना करने लगे। उनकी इस विनती को स्वीकार करते हुए भगवान शंकर ने अपनी योग शक्ति से उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। उसी समय समुद्र के जल से चंद्रमा भी प्रकट हुए और देवताओं के आग्रह पर अपने कंठ के विष के शांति के लिए भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने ललाट पर धारण किया। जिससे उनका गला नीला पड़ गया और तभी से वह नीलकंठ कहलाने लगे। तभी से यह रात्रि शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध हुई और भगवान शिव द्वारा मानव जाति तथा सृष्टि के कल्याण के लिए किए गए इस त्याग के याद में ही महाशिवरात्रि का यह महापर्व मनाया जाता है।


महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं -

महाशिवरात्रि के दिन सभी भक्त सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात भगवान शिव की स्तुति, पूजा और भजन करते हैं। इस दिन लाखों लोग शिव मंदिरों में दर्शन तथा रुद्राअभिषेक, महामृत्यंजय जाप जैसे विशेष पूजा-पाठ के लिए जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में काफी भीड़ रहती है। कई शिव भक्त इस दिन गंगा स्नान के लिए जाते हैं। भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए उन्हें जल तथा भांग, धतूरा और फूल आदि चढ़ाकर उनसे प्राथना करते है। कई लोग उपवास रखकर अपने पूजा को सफल बनाते है।


महाशिवरात्रि का महत्व -

महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता हैं। जीवन में ईश्वरीय शक्ति के महत्व को दिखलाता है और हमें भगवान शिव के द्वारा मानव जाति तथा सृष्टि के कल्याण के लिए विषपान जैसे असीम त्याग को प्रदर्शित करता है। यह दिन हमें इस बात की याद दिलाता है यदि अच्छे कर्म करेंगे और ईश्वर के प्रति श्रद्धा रखेंगे तो ईश्वर भी हमारी रक्षा अवश्य केरेंगे। लोगों का मानना है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव हमारे निकट होते हैं और इस दिन पूजा अर्चना तथा रात्रि जागरण करने वालों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। कई लोग इस दिन दान धर्म करते है तथा गरीबों को खाना खिलाकर भगवान शिवजी से अपनी सुखी जीवन के लिए प्राथना करते है।


उपसंहार -

महाशिवरात्रि का यह पावन त्योहार भगवान शिव को समर्पित एक त्योहार है। यह भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन अब पहले के अपेक्षा मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के लिए काफी भीड़ होने लगी है। महाशिवरात्रि के कई कथाएं प्रचिलित है जो हमे जीवन में सयम तथा खुश रहने की शक्ति देता है। महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर लोग अपने जीवन अनुसार पूजा करते है, युवाओं जश्न करते है तथा बच्चे भगवान और अपनों बड़ो से आशीर्वाद लेकर अपने सुखी जीवन की कामना करते है।


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