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रुपरेखा : बसंत पंचमी का आगमन - बसंत पंचमी 2022 - श्री पंचमी भी कहते है - माँ सरस्वती का जन्मदिन - रति-कामदेव की पूजा का दिन - वीर हकीकतराय का जन्मदिन - बसंत पंचमी का दिन - उपसंहार।
बसंत पंचमी का आगमन -माघ शुक्ल पंचमी को 'बसंत पंचमी' अथवा 'वसंत पंचमी' के नाम से जाना जाता है। बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। ऋतु गणना में चैत्र और वैसाख, दो मास वसंत के हैं। कहते हैं कि ऋतुराज बसंत के अभिषेक और अभिनंदन के लिए शेष पाँच ऋतुओं ने अपनी आयु के आठ दिन वसंत को समर्पित कर दिए। इसलिए बसंत पंचमी चालीस दिन पूर्व प्रकट हुई। यह तिथि चैत्र कृष्णा प्रतिषंदा से चालीस दिन पूर्व माघ शुक्ला पंचमी को आती है।
वर्ष 2022 में बसंत पंचमी 5 फरवरी, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।
भूमध्य रेखा का सूर्य के ठीक-ठीक सामने आ-जाने के आस-पास का कालखंड है वसंत। वसंत भारत का ही नहीं, विश्व-वातावरण के परिवर्तन का द्योत्तक है । संभव है कभी बृहत्तर भारत में माघं के शुक्ल पक्ष में वसंतागम होता हो और माघ शुक्ल पंचमी को वसंत आगमन के उपलक्ष्य में 'अभिनन्दन पर्व ' रूप में प्रस्थापित किया हो । इसतत पंचमी बसंतागमन की पूर्व सूचिका ही है, इसी कारण इसे 'श्री पंचमी' भी कहते है।
बसंत पंचमी विद्या की अधिष्ठान्री देंवी भगवती सरस्वती माँ का जन्म दिवस भी है। इसलिए इस दिन सरस्वती पूजन का विधान है। ज्ञान की गहनता और उच्चता का सम्यक् परिचय इसी से प्राप्त होता है। पुस्तकधारिणी वीणावादिनी माँ सरस्वती की यह देन है कि वे जीवन के रहस्यों को समझने की सूक्ष्म दृष्टि प्रदान कर ज्ञान लोक से सम्पूर्ण विश्व को आलोकित करती हैं। इसीलिए सरस्वती पूजा 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' के आदर्श पर चलने की प्रेरणा देती है। प्राचीन काल में वेद अध्ययन का सत्र श्रावणी पूर्णिमा से आरम्भ होकर इसी तिथि को समाप्त होता था। गत बीसवीं शताब्दी में बसंत पंचमी को न तो विद्या का सत्र समाप्त होता था, न विद्याभ्यास के लिए मंगल दिन मानकर विद्या ज्ञान का आरंभ होता था। माँ शारदा की कृपा एवं आशीर्वाद के लिए 'सरस्वती पूजन' अवश्य होता रहा है।
पौराणिक कोश के अनुसार बसंत पंचमी रति और कामदेव की पूजा का दिन है। मादक महकती वासंती बयार में, मोहक रस पगे फूलों की बहार में, भौरों की गुंजार और कोयल की कूक में मानव हृदय जब उल्लसित होता है, तो उसे कंकणों का रणन, नुपुरों की रुनझुन, किंकणियों का मादक क्वणन सुनाई देता है। मदन विकार का प्रादुर्भाव होता है तो कामिती और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है । वृद्धा स्त्री भी अदभुत श्रृंगार सज्जा से आनंद पुलकित जान पड़ती है । दाम्पत्य और परिवारिक जीवन की सुख समृद्धि के लिए रति और कामदेव की कृपा चाहिए। इसीलिए यह रति-कामदेव पूजन का दिन माना जाता है।
बसंत पंचमी किशोर हकीकतराय का बलिदान दिवस भी है। सियालकोट (अब पाकिस्तान) का किशोर हकीकत मुस्लिम पाठशाला में पढ़ते थे। एक दिन साथियों से झगड़ा होने पर उन्होंने 'कसम दुर्गा भवानी' की शपथ लेकर झगड़ा समाप्त करना चाहा। मुस्लिम छात्रों ने, जो झगड़ा करने पर उतारू थे, दुर्गा भवानी को अपशब्द कहा । हकीकत स्वाभिमानी थे, बलवान भी थे। प्रत्युत्तर में फातिमा को अपशब्द कह दिए। फातिमा को अपशब्द कहने के अपराध में उसे मृत्यु दण्ड या मुस्लिम धर्म स्वीकार करने का विकल्प रखा गया। किशोर हकीकत ने मुस्लिम धर्म स्वीकार नहीं किया। उसने हँसते हुए मृत्यु का वरण किया। वह दिन भी बसंत पंचमी का दिन था। लाहौर में रावी का तट था और वहां सहस्रों हिन्दू जमा थे। सबके सामने मुस्लिम शासक की आज्ञा से उस किशोर का सिर तलवार से काट दिया गया। रावी नदी के तट पर खोजेशाह के कोट क्षेत्र में धर्मवीर हकीकत की समाधि बनाई गई। सवंतंत्रा पूर्व सहस्रों लाहौरवासी वसंत के दिन वीर हकीकत की समाधि पर इकट्ठे होते थे। मेला लगता था और अपने श्रद्धा सुमन चढ़ाते थे।
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने की प्रथा थी। वह प्रथा आज नगरों में लुप्त हो गई है । गाँवों में अवश्य अब भी उसका कुछ प्रभाव दिखाई देता है। बसंती हलुआ, पीले चावल तथा केसरिया खीर खाकर आज भी बसंत पंचमी पर उल्लास, उमंग प्रकट होता है। परिवार में प्रसन्नता का वातावरण बनता है। वसंत हृदय के उल्लास, उमंग, उत्साह और मधुर जीवन का द्योतक है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन नृत्य-संगीत, खेलकूद प्रतियोगिताएँ तथा पतंगबाजी का आयोजन होता है। वसंत मेले लगते हैं। बसंत पंचमी प्रतिवर्ष आती है । जीवन में वसंत ( आनन्द) ही यशस्त्री जीवन जीने का रहस्य है, यह रहस्योद्घाटन कर जाती है।
बसंत पंचमी मौसमी त्योहारों में से एक त्योहार है। बसंत पंचमी बसंत मौसम के आगमन का प्रतीक है। यह सर्दियों के जाने के बाद आता है। बसंत पंचमी के दिन सभी लोग बड़े उत्साह, उमंग के साथ दीखते है। बसंत पंचमी साल का पहला त्योहार होता है। सभी जगह पिले वस्त्र में लोग नजर आते है। जहाँ भी देखे हरयाली नजर आती है। सचमुच बड़ा ही सूंदर त्योहार है वसंत पंचमी।
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