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रूपरेखा : प्रस्तावना - लोहड़ी कब है - लोहड़ी क्यों मनायी जाती है - लोहड़ी मनाने के पीछे का इतिहास - लोहड़ी कैसे मनाते है - आज की लोहड़ी - लोहड़ी मनाने का महत्व - उपसंहार।
प्रस्तावना -लोहड़ी भारत के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक त्यौहार है। यह पंजाब का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है जिसे पंजाबी धर्म के लोगो द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। यह त्यौहार सर्दियों के महीने में मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन माना जाता है की जब दिन साल का सबसे छोटा दिन और रात साल की सबसे बड़ी रात होती है । इस दिन आलाव जलाकर नृत्य और दुल्हा बत्ती के प्रशंसा गायन द्वारा किसानी त्यौहार के रूप मे मनाया जाता है। यह पंजाबियों का त्यौहार है किन्तु आज इसे भारत के उत्तरी राज्य जैसे हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आदि राज्यो में रहने वाले लोगो के द्वारा भी मनाया जाता है।
लोहड़ी कब है -वर्ष 2022 में लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी, गुरुवार के दिन मनाया गया ।
लोहड़ी क्यों मनायी जाती है -लोहड़ी पंजाब का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है। पंजाबियों में लोहड़ी मनाने की बहुत सारी किस्से है जैसे माना जाता है कि नाम लोहड़ी शब्द "लोई" (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था। कुछ का कहना है कि यह शब्द "लोह" (चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण) से उत्पन्न हुआ था। लोहड़ी का त्योहार मनाने का एक और विश्वास है, कि लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के नाम पर हुआ लोग मानते है कि होलिका की बहन बच गयी थी, हालांकि होलिका खुद आग मे जल कर मर गयी। कई लोगों का मान्यता है कि लोहड़ी शब्द तिलोरही (तिल का और रोरही एक संयोजन) से उत्पन्न हुआ था। देश के किसान नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में लोहड़ी मनाते हैं।
लोहड़ी मनाने के पीछे का इतिहास -लोहङी मनाने के पीछे का इतिहास बहुत पुराना है। यह नए साल की निशानी है तथा वसंत के मौसम के शुरू होने के साथ ही सर्दी के मौसम के अंत का प्रतीक है। लोगो की मान्यता है कि लोहड़ी की रात साल की सबसे लंबी रात होती है, तब से प्रत्येक दिन बड़ा और रातें धीरे-धीरे छोटी होना शुरू हो जाती है। यह दुल्हा बत्ती की प्रशंसा में बड़े उत्साह में मनाया जाता है। राजा अकबर के समय में एक डाकू था जो अमीर लोगों के घरो से धन चोरी करता था और गरीब लोगों को बांट देता था। वह गरीब लोगों और असहाय लोगों के नायक की तरह था, उसने विभिन्न लड़कियों के जीवन को बचाया जो अजनबियों द्वारा जबरन अपने घर से दूर ले जायी गयी थी। उसने असहाय लड़कियों की उनके विवाह में दहेज का भुगतान करके मदद की। उसके महान कार्यों के लिए दुल्हा भट्टी की प्रशंसा मे लोहड़ी त्योहार मनाना शुरू कर दिया। लोहड़ी के दिन दक्षिण से उत्तर की दिशा में सूर्य की गति को इंगित करती है, और कर्क रेखा से मकर रेखा को प्रवेश करती है। लोहड़ी त्योहार भगवान सूर्य और आग को समर्पित है। यह हर पंजाबी के लिए खुशी का दिन होता है। लोहड़ी सिखों और हिंदुओं धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
लोहड़ी कैसे मनाते है -यह त्यौहार अन्य त्योहारों की तरह ही बहुत सारी खुशी और उल्लास के साथ भारत में लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह ऐसा त्यौहार है जहां परिवार के सभी सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों एक साथ मिलकर मनाते है। लोहड़ी के दिन सभी लोग एक-दूसरे मिलते है और मिठाई बॉटकर आनंद लेते है। यह सबसे प्रसिद्ध फसल कटाई का त्योहार है जो किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है। लोग इस दिन आलाव जलाते है, गाना गाते है और उस के चारो ओर नाचते है। आलाव के चारो ओर गाते और नाचते समय आग मे कुछ टॉफी, तिल के बीज, गुड अन्य चीज़ें आग मे डालते है।
यह भारत के विभिन्न प्रांतो मे अलग अलग नामो से मनाया जाता है, जैसे आंध्र प्रदेश मे भोगी, असम मे मेघ बिहू, उत्तरप्रदेश, बिहार और कर्नाटक मे मकर संक्रांति, तमिलनाडू मे पोंगल आदि। इस दिन सभी सुन्दर और रंग बिरंगे कपडे पहनते है और ढोल (एक संगीत यंत्र) की थाप पर भांगड़ा(गिद्दा) करते है। शाम को एक पूजा समारोह रखा जाता है जिसमे लोग अग्नि की पूजा करते है और आलाव के चारो ओर परिक्रमा करते है भविष्य की समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते है। तत्पश्चात लोग स्वादिष्ट भोजन जैसे मक्के की रोटी, सरसो का साग, तिल, गुड, आदि खाने का आनंद लेते है। लोहडी का त्योहार किसानों के लिए नए वित्तीय वर्ष के लिए एक प्रारंभिक रूप का प्रतीक है। यह भारत और विदेशो मे रहने वाले सभी पंजाबियो द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
लोहडी का त्यौहार नवविवाहित जोडे के लिये उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि घर मे जन्मे पहले बच्चे के लिये। इस दिन, दुल्हन नई चूड़ियाँ, कपड़े, अच्छी बिंदी, मेंहदी, नए साड़ी पहनकर तैयार होती है वही दूसरी ओर नए कपडे और रंगीन पगड़ी पहने पति तैयार होता है। इस दिन हर नई दुल्हन को उसकी ससुराल की तरफ से नए कपड़े और गहने सहित बहुत से तोहफे दिये जाते है। दोनों परिवार (दूल्हे और दुल्हन) के सदस्यों की ओर से और अन्य मुख्य अतिथियो को इस भव्य समारोह में एक साथ आमंत्रित किया जाता है। नवविवाहित जोडा एक स्थान पर बैठा दिया जाता है और परिवार के अन्य सदस्यों, पड़ोसियों, दोस्तों, रिश्तेदारों द्वारा उन्हें कुछ उपहार दिये जाते है। वे सब उनके बेहतर जीवन और उज्जवल भविष्य के लिए नये जोड़े को आशीर्वाद देते है।
आज की लोहड़ी -आज कल लोहङी उत्सव का आधुनिकीकरण हो गया है। पहले लोग उपहार देने के लिए गुड़ और तिल इस्तेमाल करते थे तथापि, आधुनिक लोगों ने चॉकलेट केक और चॉकलेट जैसे उपहार देना शुरू कर दिया है। क्योंकि वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण, लोग लोहङी मनाते समय पर्यावरण संरक्षण और इसकी सुरक्षा के बारे में अत्यधिक जागरूक और बहुत सचेत है। आलाव जलाने के लिए बहुत वृक्ष काटने के बजाय वृक्षारोपण कर के नए तरीके से लोहड़ी त्यौहार का आनंद लेते है।
लोहड़ी मनाने का महत्व -लोहड़ी मनाने का कई महत्व बताई जाती है जैसे सर्दियों की मुख्य फसल गेहूँ है जो अक्टूबर मे बोई जाती है जबकि, मार्च के अंत मे और अप्रैल की शुरुआत मे काटी जाती है। फसल काटने और इकट्ठा करके घर लाने से पहले, किसान इस लोहड़ी त्योहार का आनंद मनाते हैं। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार जनवरी के मध्य मे पङता है जब सूर्य पृथ्वी से दूर होता है। लोहङी का त्यौहार सर्दी खत्म होने और वसंत के शुरु होने का सूचक है। हर कोई पूरे जीवन मे सुख और समृद्धि पाने के लिए इस त्योहार का जश्न मनाने है। यह सबसे शुभ दिन माना है जो मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को इंगित करता है।
उपसंहार -लोहड़ी के दिन घर के बच्चे कुछ पैसे और खाद्य सामग्रियों की मांग करते है। शाम को सूर्यास्त के बाद, लोग एक साथ कटी हुई फसल के खेत मे एक बहुत बङा आलाव जलाते है। लोग आलाव के चारो ओर घेरा बनाकर गीत गाते और नाचते है और सुख समृद्धि के लिए अपने भगवान अग्नि और सूर्य से प्रार्थना करते हैं। पूजा समारोह के बाद वे अपने मित्रो, रिश्तेदारो, पङोसियो आदि से मिलते है और बधाई व बहुत सारी सुभकामनाओं के साथ उपहार, प्रसाद वितरित करते है। लोहड़ी के बाद का दिन माघ महीने की शुरुआत का संकेत है जो माघी दिन कहा जाता है। इस पवित्र दिन पर लोग गंगा मे डुबकी लगाते है और गरीबो को कुछ दान देते है। वे घर में नए बच्चे के जन्म और नवविवाहित जोङे के लिए एक बड़ी दावत की व्यवस्था करते है। यह एक महान पर्व है जब लोग अपने व्यस्त कार्यक्रम या जॉब से एक अल्प विराम लेकर एक दूसरे के साथ का आनंद लेते है। यह बहुत बड़ा उत्सव है जो सभी के लिए एकता और भाईचारे की भावना लाता है। पृथ्वी पर खुश और समृद्ध जीवन देने के लिए लोग अपने भगवान को धन्यवाद देते है।
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