जमात-उल-विदा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जमात-उल-विदा 2021 में कब है - जमात-उल-विदा इतिहास - जमात-उल-विदा क्यों मनाया जाता है - जमात-उल-विदा कैसे मनाया जाता है - जमात-उल-विदा का महत्व - उपसंहार।

परिचय | जमात-उल-विदा की प्रस्तावना -

जमात उल विदा मुस्लिम समुदाय का लोगों का त्योहार है। जमात उल विदा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है कि जुमे की विदाई। इस पर्व को पूरे विश्व भर के मुस्लिमों द्वारा काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे Jumu’atul-Wida (जुमातुल विदा) भी कहा जाता है। यह पर्व रमजान के अंतिम शुक्रवार यानी जुमे के दिन मनाया जाता है।


जमात-उल-विदा 2021 में कब है -

वर्ष 2021 में जमात-उल-विदा का पर्व 7 मई, शुक्रवार को मनाया गया है।


जमात-उल-विदा इतिहास -

जमात-उल-विदा को अरबी में अल-जूमुह-अल-यदिम भी कहा जाता है। वही उर्दू में इसे अलविदा जुमा के नाम से भी जाना जाता है। जमात-उल-विदा इतिहास ये बताता है कि, पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस दिन अल्लाह की विशेष इबादत की थी। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन खुदा अपने दूत(सेवक) को बंदगी करने वाले लोगों की फरियाद सुनने तथा उनकी सारी तकलीफ़ दूर करने के लिए धरती पर भेजते हैं। इसीलिए मुस्लिम समुदाय के लिए जमात-उल-विदा एक खास दिन होता है।


जमात-उल-विदा क्यों मनाया जाता है -

जमात-उल-विदा को मनाने को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब ने अल्लाह की विशेष इबादत की थी। यही कारण है कि इस शुक्रवार को बाकी के जुमे के दिनों से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जमात-उल-विदा के दिन जो लोग नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत करेंगे और अपना पूरा दिन मस्जिद में बितायेगें। उसे अल्लाह की विशेष रहमत और बरकत प्राप्त होगी। इसीलिए हर साल मुस्लिम समुदाय द्वारा बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।


जमात-उल-विदा कैसे मनाया जाता है -

जमात-उल-विदा की दिन की लोग कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। जमात-उल-विदा के पवित्र पर्व पर लोग बहुत सारी ख़रीददारी करते हैं। इस त्यौहार के आने के समय मुस्लिम समुदाय अपने घर को सजाते हैं। इस दिन मस्जिदों और ईदगाह को भी बड़े हैं भव्य तरीके से सजाया जाता है, लोग अपने घरों में नए-नए पकवान बनाते हैं जिसमें सेवई भी शामिल होती है। जमात-उल-विदा के दिन लोग साफ-सुथरे कपड़े पहन कर मस्जिदों में नमाज अदा करने जाते हैं। इस दिन मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के लिए पुरुषों का जाना अनिवार्य होता है तथा महिलाएं घर पर भी नमाज़ अदा करते हैं।


जमात-उल-विदा का महत्व -

रमज़ान का महीना ही पवित्र और खास माना जाता है परंतु रमज़ान के आख़िरी शुक्रवार का अधिक महत्व होता है। इस दिन मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है। इस दिन का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस खास दिन पर मुस्लिम समुदाय के द्वारा एक साथ नमाज अदा करने की मान्यता है। इस दिन को लोग सफलता और बरकत प्राप्त करने के उद्देश्य से मस्जिदों में सच्चे हृदय से नमाज़ अदा करते हैं। रमजान के महीने को काफी पवित्र माना जाता है लेकिन जमातुल विदा के इस मौके पर रखे जाने वाले इस रोजे का अपना ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति जमात-उल-विदा के दिन सच्चे दिल से नमाज पढ़ता है और अल्लाह से अपने पिछले गुनाहों के लिए माफी मांगता है, उसकी दुआ जरूर पूरी होती है। इसीलिए जमात उल विदा को इबादत के दिन के रूप में भी जाना जाता है।


उपसंहार -

मुस्लिम धर्म के सभी त्योहारों में से सबसे अधिक मान्यता और उत्साह लोगों को रमज़ान के महीने के लिए होती है। रमज़ान के पवित्र महीने का लोग कई महीने पहले से बड़ी उत्सुकता के साथ इंतजार करते हैं। वैसे तो पूरा रमज़ान का महीना ही पवित्र और खास माना जाता है परंतु रमज़ान के आख़िरी शुक्रवार का अधिक महत्व होता है।


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