जन्माष्टमी पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जन्माष्टमी 2021 में कब है - जन्माष्टमी का इतिहास - जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है - जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है - जन्माष्टमी का महत्व - उपसंहार।

परिचय | कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव | जन्माष्टमी का पर्व | कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार की प्रस्तावना -

कृष्ण जन्माष्टमी अथवा श्री कृष्ण जी के जन्मदिन का पर्व भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोंत्सव (जन्मदिन) के रुप में मनाया जाता है। यह भारतीय पर्व भगवान श्री कृष्ण के मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों और आदर्शों को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, यही कारण है कि इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व मनाया जाता है।


जन्माष्टमी 2021 में कब है | कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाया जायेगा | जन्माष्टमी उत्सव 2021 में कब हैं -

कृष्ण जन्माष्टमी हर साल बड़े धूम-धाम से उनके भक्तों द्वारा मनाया जाता है। वर्ष 2021 में जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त, सोमवार के दिन मनाया जायेगा।


जन्माष्टमी का इतिहास | कृष्ण जन्माष्टमी की कथा | जन्माष्टमी उत्सव की शुरुआत -

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ भारत में ही नही बल्कि की विदेशों में भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेशों में विभिन्न जगहों पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और लोग भगवान श्री कृष्ण के याद में मध्यरात्रि तक जागते हुए उनके प्रशंसा में गीत गाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इस दिन को लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। इस पर्व को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण वासुदेव और देवकी के 8वें पुत्र थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था जिसका नाम कंस था। राजा कंस एक बहुत अत्याचारी इंसान था। उसके अत्याचार से हर कोई परेशान रहता था और वह दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे था। तभी भगवान ने धरती लोक पर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व वासुदेव के पुत्र रुप में हुआ था मथुरा के कारागार में लिया। उनके जन्म के समय में घनघोर वर्षा हो रही थी, चारों तरफ घना अंधकार छाया हुआ था। श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव की बेड़िया खुल गईं, कारागार के द्वार स्वयं खुल गये और सभी पहरेदार गहरी निद्रा में सो गये। ईश्वर की सहायता से उनके पिता वासुदेव उफनती हुई नदी पार करके अपने मित्र नंदगोप के यहां ले गये। जहां उनका लालन-पालन हुआ और वो बड़े हुए। इसके बाद उन्होंने कंस वध करते हुए, मथुरा के लोगो को कंस के अत्याचार से मुक्त कराया। तब से हर साल कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही प्रेम धुन में मनाया जाता हैं।


जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है | कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाते है | जन्माष्टमी उत्सव क्यों मनाई जाती -

भारत के साथ कई अन्य देशों में भी जन्माष्टमी का पर्व काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यह दिन श्री कृष्ण भगवान के भक्तों के लिए काफी खास होता है। पूरे भारत में इस दिन को लेकर उत्साह चरम पर होता है और लोग इस पर्व को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी को सभी पापियों से मुक्त करने के लिए भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को योगेश्वर श्रीकृष्ण के रुप में जन्म लिया था। यह दिन सभी भक्तगण के लिए नया साल से कम नहीं होता है। अपने पृथ्वी अवतार में उन्होंने पृथ्वी पर से दुराचारियों और अधर्मियों का नाश करने का कार्य किया। इसके साथ ही उन्होंने गीता के रुप में मानवता को सच्चाई और धर्म का संदेश दिया। यही कारण है कि इस दिन को उनके जन्म दिवस के रुप में भारत सहित अन्य कई देशों में भी इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।


जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है | कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाते है | जन्माष्टमी उत्सव कैसे मनाई जाती -

जन्माष्टमी के पर्व को विभिन्न संप्रदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। देशभर में जन्माष्टमी का पावन त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। देश के कुछ राज्यों में इस दिन दही हांडी के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। दही हांड़ी के दिन सड़कों पर अनगिनत भीड़ देखने को मिलते है। हर महौल्ले, सोसाइटी में दही हांड़ी का आयोजन करते है और हांड़ी फोड़ने वाले टीम को इनाम दिया जाता है। कई जगह दही-हांड़ी के साथ-साथ रगों की होली खेली जाती है।

जन्माष्टमी का सबसे भव्य आयोजन मथुरा में देखने को मिलता है। इसके साथ ही इस दिन मंदिरों विभिन्न प्रकार की झांकिया सजाई जाती है, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का नाटक मंचन किया जाता है तथा उनके रासलीलाओं का भी आयोजन किया जाता है। कई जगहों पर लोगो इस दिन मध्यरात्रि तक जागते रहते हैं और लोगो द्वारा श्री कृष्ण की मूर्ति बनाकर उसे पालने में झुलाते हुए रात भर भजन गाया जाता और नाच किया जाता है। इस शुभ अवसर में देश-विदेश के श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करने के लिए मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थली पहुंचते है। इसके साथ ही भारत में और भी कई स्थानों पर भव्य रुप से कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।


जन्माष्टमी का महत्व | कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व | जन्माष्टमी उत्सव का महत्व -

जन्माष्टमी का आनंदमय पर्व हिन्दू के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यहीं वह दिन है, जब भगवान विष्णु के आठवें अवतार योगेश्वर श्रीकृष्ण के रुप में पृथ्वी पर जन्म लिया था। यह अवतार भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर से पापियों का विनाश करने तथा धर्म की स्थापना के लिए लिया था। यही जन्माष्टमी महोउत्सव को दर्शाता है।


उपसंहार -

हर पर्व के तरह जन्माष्टमी के पर्व को मनाने का भी विशेष तरीका होता है कई लोग इस दिन व्रत रहते हैं, तो कई लोग इस दिन मंदिरो में भी जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण के भक्तों के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नही होता है। इसीलिए पहले के अपेक्षा कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व में कई सारे बदलाव हुए हैं। इन बदलावों ने इस पर्व को और भी लोकप्रिय बनाने का कार्य है। जिसके कारण यह त्योहार ना सिर्फ भारत में बल्कि की पूरे विश्व में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।


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