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रुपरेखा : प्रस्तावना - हजरत अली जन्मदिन 2023 - हजरत अली जन्मदिन का इतिहास - हजरत अली का जन्मदिन क्यों मनाया जाता है - हजरत अली का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है - हजरत अली के जन्मदिन का महत्व - उपसंहार।
प्रस्तावना / हजरत अली / अली इब्न अबी तालिबईस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हजरत अली का जन्म 13 रजब 24 हिजरी पूर्व को हुआ था। ग्रोगेरियन कैलेंडर के अनुसार 17 मार्च 599 ईस्वी को हजरत अली का जन्म हुआ था। वह इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। उन्होंने 656 ईस्वी से लेकर 661 ईस्वी तक इस्लामिक साम्राज्य के चौथे खलीफा के रुप में शासन किया और शिया इस्लाम के अनुसार वह 632 से 661 तक पहले इमाम के रुप में भी कार्यरत रह चुके थे। उनके याद में भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों में उनके जन्मदिन के इस पर्व को धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। हजरत अली को 'अली इब्न अबी तालिब' के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन लोगों के बीच 'हजरत अली' नाम से मशहूर हैं।
ईस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हजरत अली का जन्म 13 रजब 24 हिजरी पूर्व को हुआ था। ग्रोगेरियन कैलेंडर के अनुसार 17 मार्च 600 ईस्वी को हजरत अली का जन्म हुआ था। हजरत अली का जन्म मक्का, सऊदी अरब (काबा) में हुआ था। वर्ष 2023 में हजरत अली का जन्मदिन 3 फरवरी, शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा।
हजरत अली के जीवन से जुड़े कई तरह की कहानियां प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि वह पहले पुरुष थे जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार किया था। इसके साथ यह भी मान्यता है कि वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका जन्म मक्का शहर के सर्वाधिक पवित्र स्थान काबा में हुआ था। इनके पिता का नाम हजरत अबुतालिब और माता का नाम फातिमा असद था। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म रजब माह की 13वीं तारीख को हुआ था। हजरत अली वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद के साथ नमाज पढ़ी। पैगंबर मोहम्मद ने अपने मृत्यु से पहले उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। अपने पांच वर्षीय शासनकाल में कई युद्धों, विद्रोंहो का सामना करते हुए भी समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने जनता को तमाम तरह के करों से मुक्ति और अधिकार प्रदान किये। इसके साथ ही उन्होंने की भ्रष्ट शासकीय अधिकारियों को निलंबित किया और उनके स्थान पर ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त किया। हजरत अली राजकोष का विशेष ध्यान रखते थे क्योंकि उनका मानना था कि राजकोष सार्वजनिक संपत्ति है और इसका उपयोग सिर्फ जनता के भलाई के लिए उपयोग होना चाहिए नाकि किसी व्यक्ति के नीजी कार्यों में, हजरत अली के इन्हीं कार्यों के कारण कई सारे रसूखदार और शक्तिशाली व्यक्ति उनके शत्रु बन गये। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान मास की 19वीं तारीख को जब वह सुबह की नमाज पढ़ने के लिए गये तो सजदा करते समय अब्दुर्रहमान नाम के व्यक्ति ने उनके ऊपर तलवार से हमला करके घायल कर दिया और इस घटना के दो दिन पश्चात यानि रमजान की 21 वीं तारीख को उनकी मृत्यु हो गयी। यह उनकी नेकदीली और प्रेमभावना ही थी कि उन्होंने अपने कातिल को भी माफ कर दिया। उनके शहादत के समय की स्थिति काफी भयंकर थी, समाज में चारों ओर शत्रुता व्याप्त थी और इस बात का भय था कि कही शत्रु कब्र खोदकर लाश ना निकाल ले जाये। इसी कारणवश उनके शरीर को गुप्त रुप से दफन किया और काफी लंबे समय बाद लोगों को उनके समाधि के बारे में जानकारी मिली। समाज और गरीबों के लिए किये इन्हीं कार्यों के कारण हजरत अली सामान्य जनता बीच काफी प्रसिद्ध थे। यहीं कारण हैं कि हर साल रजब माह की 13वीं तारीख को उनके जन्म उत्सव को पुरे विश्व में हर्ष और और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
पैगंबर मुहम्मद के मृत्यु के बाद इस्लामिक संप्रदाय दो विचारों में बट गया जिन्होंने अबु बकर को अपना नेता चुना वह सुन्नी मुस्लिम कहलाये और जिन्होंने हजरत अली को अपना नेता चुना वह शिया मुस्लिम कहलाये। हजरत अली मुहम्मद साबह के चचेरे भाई और दामाद होने के साथ ही उनके उत्तराधिकारी भी थे। शिया संप्रदाय के लोगों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद के मृत्यु के पश्चात हजरत अली को ही शहनशाह नियुक्त किया जाना चाहिए था लेकिन इसके बावजूद पैगंबर मोहम्मद के बातों को नजर अंदाज करके उन्हें तीन लोगो के बाद शहनशाह बनाया गया। जब वह इस्लामिक साम्राज्य के चौथे शहनशाह चुने गये, तो उन्होंने सामान्य जनता की भलाई के लिए कई सारे कार्य किये। जिसके वजह से उन्हें सह लोक द्वारा काफी पसंद किया जाता था। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार वह पहले पुरुष थे, जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया था। अपने साहस, विश्वास और दृढ़ संकल्प के कारण उन्हें मुस्लिम समुदाय में काफी सम्मान दिया जाता था। उनके विचारों और समाज के उत्थान के लिए किये गये प्रयासों को देखते हुए, उनके सम्मान में हर वर्ष उनके जन्म उत्सव को पुरे विश्व भर में हर्ष और और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
हजरत अली का जन्मदिन पुरे विश्व भर में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। भारत में शिया मुस्लिमों द्वारा इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत में शिया समुदाय के सबसे बड़े केंद्र लखनऊ में स्थित विभिन्न इमामबाड़ों तथा मस्जिदों को काफी भव्य रुप से सजाया जाता है। इस दिन कई क्षत्रों में विभिन्न प्रकार के जुलूस निकाले जाते है, इसके आलावा धार्मिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन मुस्लिम श्रद्धालु पैगंबर मोहम्मद और हजरत अली को याद करते हुए उनसे दुआ माँगते हैं। इस दिन सभी मुस्लिम निवासी अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं तथा अपने घरों में विभिन्न प्रकार के लजीज प्रकार के व्यंजन बनाकर हजरत अली का जन्मदिन मनाते है।
हजरत अली के जन्मदिन का यह पर्व सभी मुस्लिम लोगों के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है। यह दिन उनके कुशल योद्धा और धर्मज्ञाता होने के याद में मनाया जाता है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने स्वंय की हत्या करने वाले व्यक्ति को भी क्षमा कर दिया था। यहीं कारण है कि उन्हें वर्तमान समय में भी इतना अधिक सम्मान प्राप्त है। उनके इन्हीं गुणों और विशेषताओं के कारण लोगो में उनके इन्हीं विचारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन के दिन जश्न मनाया जाता है।
ग्रोगेरियन कैलेंडर के अनुसार 17 मार्च 599 ईस्वी को हजरत अली का जन्म हुआ था। हजरत अली का जन्म मक्का, सऊदी अरब (काबा) में हुआ था। वह इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। हजरत अली को 'अली इब्न अबी तालिब' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वह पहले पुरुष थे जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार किया था। पैगंबर मोहम्मद के मृत्यु के बाद हजरत अली को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। अपने पांच वर्षीय शासनकाल में कई युद्धों, विद्रोंहो का सामना करते हुए भी समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने जनता को तमाम तरह के करों से मुक्ति और अधिकार प्रदान किये। एक दिन सजदा करते समय अब्दुर्रहमान नाम के व्यक्ति ने उनके ऊपर तलवार से हमला कर दिया और इस घटना के दो दिन पश्चात यानि रमजान की 21 वीं तारीख को उनकी मृत्यु हो गयी। समाज और गरीबों के लिए किये कई सफल कार्यों के कारण हर साल रजब माह की 13वीं तारीख को उनके जन्म उत्सव को पुरे विश्व में हर्ष और और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
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