हनुमान जयंती पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - हनुमान जयंती कब है - हनुमान जयंती मनाने के पीछे का इतिहास - हनुमान जयंती पर विशेष - हनुमान जयंती कैसे मनाते हैं - हनुमान जयंती का महत्व - उपसंहार।

प्रस्तावना / हनुमान जयंती -

हनुमान जयंती भारत में लोगों के द्वारा हर साल हनुमान जी के जन्म दिवस मनाने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भारतीय हिंदी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल चैत्र (चैत्र पूर्णिमा) माह के शुक्ल पक्ष में 15वें दिन मनाया जाता है। हर वर्ष हनुमान जयंती का भव्य कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान जी की मंदिरों में भजन का आयोजन किया जाता है। कई क्षत्रों में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। हनुमान जी के भक्तों द्वारा भजन, कीर्तन कर के उन्हें प्रसन्न करने का आयोजन किया जाता है।


हनुमान जयंती कब है / हनुमान जयंती कब मनाया जाता है -

वर्ष 2021 में हनुमान जयंती 27 अप्रैल, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।


हनुमान जयंती मनाने के पीछे का इतिहास / भगवान हनुमान जयंती का इतिहास -

हनुमान जयंती मनाने के पीछे का इतिहास बहुत पुराना है। कथा के अनुसार एकबार एक महान संत अंगिरा स्वर्ग के स्वामी, इन्द्र से मिलने के लिए स्वर्ग गए और उनका स्वागत स्वर्ग की अप्सरा और पुंजीक्ष्थला के नृत्य के साथ किया गया। हालांकि, संत को इस तरह के नृत्य में कोई रुचि नहीं थी, उन्होंने उसी स्थान पर उसी समय अपने प्रभु का ध्यान करना शुरु कर दिया। नृत्य के अन्त में, इन्द्र ने उनसे नृत्य के प्रदर्शन के बारे में पूछा लेकिन संत उस समय चुप थे। कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि, मैं अपने प्रभु के गहरे ध्यान में था, क्योंकि मुझे इस तरह के नृत्य प्रदर्शन में कोई रुचि नहीं है। यह सुनकर इन्द्र और अप्सरा क्रोधित हो गए तत्पश्चात इंद्र ने संत को निराश करना शुरु कर दिया। यह देखकर संत क्रोधित हो गए और उन्होंने इंद्र को शाप दिया कि, तुमने स्वर्ग से पृथ्वी को नीचा दिखाया है। तुम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में मादा बंदर के रुप में जन्म लोगे। यह सुनकर इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और संत से क्षमा याचना की। यह देख संत का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने इंद्र को आशीर्वाद देते हुए कहा कि, प्रभु का एक महान भक्त तुमसे जन्म लेगा और वह सदैव परमात्मा की सेवा करेगा। इसके बाद इंद्र का कुंजार (पृथ्वी पर बन्दरों के राजा) की बेटी बनकर धरती पर जन्म हुआ और उनका विवाह सुमेरु पर्वत के राजा केसरी से हुआ। उन्होंने पाँच दिव्य तत्वों जैसे-ऋषि अंगिरा का शाप और आशीर्वाद, उसकी पूजा, भगवान शिव का आशीर्वाद, वायु देव का आशीर्वाद और पुत्रश्रेष्ठी यज्ञ से हनुमान को जन्म दिया। यह माना जाता है कि, भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य के रुप पुनर्जन्म 11वें रुद्र अवतार के रुप में हनुमान बनकर जन्म लिया। सभी वानर समुदाय सहित मनुष्यों खुश हुई और महान उत्साह और जोश के साथ नाचकर, गाकर, उनका जन्मदिन मनाया। उस दिन से उनके भक्तों द्वारा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हनुमान जयंती मनाया जाता है।


हनुमान जयंती पर विशेष -

हर वर्ष हनुमान जयंती का विशेष कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। इस पर्व को लेकर पूरे देशभर में विशेष तैयारियां की जाती है। जयपुर में हनुमान जयंती की पूर्व संध्या शाम को भजन संध्या का आयोजन किया गया और भव्य शोभायात्रा भी आयोजित की जाती है। नई दिल्ली में हनुमान जयंती के पर्व को लेकर तैयारियां की जाती है। हनुमान जयंती के दिन दिल्ली स्थित प्रसिद्ध सिद्धपीठ मंदिर में कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और यहां हर वर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर लाखों के संख्या में भक्तगण इकठ्ठा होते है। इसी वजह से इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए तैयारियां की जाती है ताकि भक्तों को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। हनुमान जयंती के पर्व को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी कई सारी विशेष तैयारियां की जाती है। चैत्र पूर्णिमा को मनाये जाने वाली हनुमान जयंती में लोग जोर-शोर से लगे हुए रहते है। हर वर्ष वाराणसी में हनुमान जयंती के उत्सव की काफी भव्य तैयारियां की जाती है और परंपरागत रुप से भव्य हनुमान ध्वजा यात्रा का आयोजन किया जाता है। वाराणसी की यह ध्वजा यात्रा पूरे देश भर में काफी प्रसिद्ध है जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते है। यह यात्रा वाराणसी के भिखारीपुर से होते हुए वाराणसी के प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर पहुंची और वहां पर हनुमान ध्वज को संकटमोचन बजरंग बली के चरणों में अर्पित किया जाता है।


हनुमान जयंती कैसे मनाते हैं -

हनुमान जयंती प्रभु श्री हनुमान के जन्म दिन पर मनाया जाता है। श्री हनुमान जी भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त हैं। हनुमान जयंती के दिन सभी हनुमान मंदिरों में बहुत अधिक मात्रा में लोग दर्शन करने आते है। हनुमान जयंती हनुमान भक्तों द्वारा एक महत्वपूर्ण त्योहार के रुप में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है। यह एक ऐसा उत्सव है, जो सांस्कृतिक और परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। लोग प्रभु हनुमान जी की पूजा उनके प्रति आस्था, शक्ति, और प्रेम के रुप में करते हैं। कुछ लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, क्योंकि यह बुरी शक्तियों का विनाश करने और मन को शान्ति प्रदान करने की क्षमता रखती है। जैसा कि सभी जानते हैं कि, हनुमान जी का जन्म वानर समुदाय में लाल-नारंगी शरीर के साथ हुआ था, इसी कारण, सभी हनुमान मंदिरों में लाल-नारंगी रंग की हनुमान जी की मूर्ति होती है। पूजा के बाद, लोग अपने मस्तिष्क (माथे) पर प्रसाद के रुप में लाल सिंदूर लगाते हैं और भगवान हनुमान जी से माँगी गई अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोग लड्डू के प्रसाद का वितरण करते हैं।


हनुमान जयंती का महत्व -

हनुमान जयंती का समारोह प्रकृति के अद्भुत प्राणी के साथ पूरी प्रजाति के सह-अस्तित्व में संतुलन की ओर संकेत करता है। प्रभु हनुमान वानर समुदाय से थे, और सभी लोग हनुमान जी को एक दैवीय जीव के रुप में पूजते हैं। यह त्योहार सभी के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है, हालांकि ब्रह्मचारी, पहलवान और बलवान इस समारोह की ओर से विशेष रुप से प्रेरित होते हैं। हनुमान जी के उनके भक्तों द्वारा दिए हुए कई नाम है जैसे- बजरंगवली, पवनसुत, पवन कुमार, महावीर, बालीबिमा, मारुतसुत, संकट मोचन, अंजनिसुत, मारुति, आदि। हनुमान जी को महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ताकत, ज्ञान, दैवीय शक्ति, बहादुरी, बुद्धिमत्ता, निःस्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों का अवतार माना जाता है। इन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम और माता सीता की भक्ति में लगा दिया और बिना किसी उद्देश्य के कभी भी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं किया। हनुमान भक्त हनुमान जी की प्रार्थना उनके जैसा बल, बुद्धि, ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं।


उपसंहार -

हनुमान जयंती भारत में लोगों के द्वारा हर साल हनुमान जी के जन्म दिवस मनाने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। हनुमान जयंती के दिन सभी हनुमान मंदिरों में बहुत अधिक मात्रा में लोग दर्शन करने आते है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार महाराष्ट्र में चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाया जाती है। तमिलानाडु और केरल में, यह मार्गशीर्ष माह (दिसंबर और जनवरी के बीच में) में, इस विश्वास के साथ मनाई जाती है कि, भगवान हनुमान इस महीने की अमावश्या को पैदा हुए थे। ओडिशा में, यह वैशाख (अप्रैल) महीने के पहले दिन मनाई जाती है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह वैशाख महीने के 10वें दिन मनाई जाती है, जो चैत्र पूर्णिमा से शुरु होती है और वैशाख महीने के 10वें दिन कृष्ण पक्ष पर खत्म होती है। सभी हनुमान मंदिरों में लाल-नारंगी रंग की हनुमान जी की मूर्ति होती है। पूजा के बाद, लोग अपने मस्तिष्क (माथे) पर प्रसाद के रुप में लाल सिंदूर लगाते हैं और भगवान हनुमान जी से माँगी गई अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्राथना करते है।


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