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रूपरेखा : प्रस्तावना - ईद 2023 में कब की है - ईद का इतिहास - ईद क्यों मनाया जाता है - ईद कैसे मनाया जाता है - ईद का महत्व - उपसंहार।
परिचय / ईद का त्यौहार / ईद की प्रस्तावनाईद रमजान के पवित्र महिने के बाद मनाया जाने वाला एक त्योहार है। ईद मुस्लमानों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है । मुसलमानों के बारह महीनों में एक महीने का नाम रमजान है । इस्लामी कैलेंडर के अनुसार ईद का त्योहार शवाल अल मुकर्रम्म को मनाया जाता है, जोकि इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने का पहला दिन होता है। इस्लाम धर्म में पवित्र रमजान के पूरे महीने रोजे अर्थात उपवास रखने के बाद नया चांद देखने के अवसर पर ईद का त्योहार मनाया जाता है । यह रोजा तोडने के त्योहार के रूप में भी लोकप्रिय है । यह त्योहार रमजान के अंत में मनाया जाता है ।
वर्ष 2023 में ईद का त्योहार 21 अप्रैल, शुक्रवार से शुरु होकर 22 अप्रैल, शनिवार को समाप्त होगा।
ईद के पर्व का इतिहास काफी पुराना है ऐसा माना जाता है। ईस्लामिक कैलेंडेर के शव्वाल महीने के पहले दिन मनाये जाने वाले इस त्योहार के उत्पत्ति को लेकर कई सारे मत तथा कथाएं प्रचलित है लेकिन इस विषय में जो कथा सबसे ज्यादे प्रचलित है उसके अनुसार पहली बार ईद का त्योहार पैगम्बर मुहम्मद साबह द्वारा जंग ए बदर के बाद मनाया गया था।
ऐसा माना जाता है कि इस जंग में पैगम्बर मुहम्मद साबह के नेतृत्व में मुसलमानों ने अपने से कई गुना बड़ी मजबूत मक्का की सेना को हराया था और इसी विजय के खुशी में अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए मुहम्मद साहब ने अल्लाह की विशेष इबादत की थी और ईद का यह त्योहार मनाया था। इस घटना के बाद से मुसलमानों द्वारा हर वर्ष रमजान के पवित्र महीनें के बाद से पहला चांद दिखने पर ईद का यह त्योहार मनाया जाने लगा।
ईद को ईद के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को मनाये जाने के लेकर कई सारे मत प्रचलित है लेकिन जो इस्लामिक मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है उसके अनुसार इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। तभी से इस पर्व का आरंभ हुआ और दुनियां भर के मुसलमान इस दिन के जश्न को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाने लगे।
वास्तव में ईद का यह त्योहार भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्योहार है क्योंकि इस दिन को मुस्लिम समुदाय के लोग दूसरे धर्म के लोगों के साथ भी मिलकर मनाते है और उन्हें अपने घरों पर दावत में आमंत्रित करते तथा अल्लाह से अपने परिवार और दोस्तों के सलामती और बरक्कत की दुआ करते है। यहीं कारण है कि ईद के इस त्योहार को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
हर मुस्लिम पर्व के तरह ईद के पर्व को मनाने का भी अपना एक विशेष तरीका और रीती रिवाज है। रमजान महीने के समाप्त होने के बाद मनाया जाने वाले इस पर्व पर माहौल काफी खुशनुमा होता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करके नये कपड़े पहनते है और मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए जाते है।
इस दिन सफेद कपड़े पहनना और इत्र लगाना काफी शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सफेद रंग सादगी और पवित्रता की निशानी है। इसके साथ ही ईद के दिन नमाज पढ़ने से पहले खजूर खाने का भी एक विशेष रिवाज है। ऐसा माना जाता है नमाज पढ़ने से पहले खजूर खाने से मन शुद्ध हो जाता है।
ईद के दिन मस्जिदों में नमाज पढ़ने वालों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस दिन की नमाज के लिए मस्जिदों में विशेष व्यवस्थाएं की जाती है ताकि नमाज पढ़ने वालों को किसी तरह की असुविधा का सामना ना करना पड़े। नमाज अदा करने के बाद सभी एक-दूसरे से गले मिलते है और एक-दूसरे को ईद की बधाई देते है। इसके साथ ही ईद के मौके पर सेवाइयां बनाने और खिलाने का भी एक विशेष रिवाज है।
इस दिन लगभग हर मुस्लिम घर में सेवई अवश्य बनाई जाती है और उनके द्वारा अपने मित्रों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को दावत पर भी आमंत्रित किया जाता है। ऐसा माना जाता है ईद के मौके पर सेवई खिलाने से संबंध मजबूत होते है और रिश्तों की कढ़वाहट दूर हो जाती है। इसके साथ ही इस विशेष त्योहार पर ईदी देने का भी एक रिवाज है। जिसमें हर बड़ा व्यक्ति अपने से छोटे को अपने सामर्थ्य अनुसार कुछ रुपये या उपहार प्रदान करता है, इसी रकम या तोहफे को ईदी कहा जाता है।
ईद उल-फितर मुसलमानों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह इस्लामी कैलेंडर में महत्वपूर्ण है और पैगंबर मुहम्मद ने खुद इसे शुरू किया था। लोग इसे 'द फैस्ट ऑफ ब्रेकिंग द फास्ट' के रूप में संदर्भित करते हैं और दुनिया भर में मुसलमान रमजान के अंत को चिह्नित करने के लिए इसे मनाते हैं। यह पर्व सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने में भी अपना एक अहम योगदान देता है। इस पर्व का यह धर्मनिरपेक्ष रुप ही सभी धर्मों के लोगों को इस त्योहार के ओर आकर्षित करता है।
ईद मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ईद का यह पर्व रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर मनाया जाता है। इस दिन लोग नमाज पढ़कर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते है। ईद के इस पर्व की सबसे ज्यादे खास बात यह है कि आज के समय में यह सिर्फ मुस्लिम धर्म का त्योहार नही रह गया है बल्कि दूसरे धर्म के लोग भी इस पर्व काफी उत्साह के साथ शरीक होते हैं। वास्तव में इस पर्व ने विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के बीच भाईचारे और एकता को बढ़ाने का भी कार्य किया है।
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