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रुपरेखा : प्रस्तावना - चैत्र नवरात्रि 2021 - चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे का इतिहास - चैत्र नवरात्रि क्यों मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि कैसे मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि का महत्व - उपसंहार।
प्रस्तावना -नवरात्रि एक लोकप्रिय त्यौहार है। हिन्दू धर्म के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है परंतु इनमें से माघ और आषाढ़ नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होती है जिनके बारे में कई को जानकारी नहीं है। हिन्दू धर्म के अनुसार चैत्र तथा अश्विन नवरात्रि वह दो नवरात्रि हैं, जिनका हिंदू धर्म में सबसे अधिक महत्व है। चैत्र नवरात्रि के वसंत ऋतु में मनाये जाने के कारण इसे ‘वसंती नवरात्र ‘ भी कहते हैं। इसके साथ ही इस पर्व का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है।
वर्ष 2021 में चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल मंगलवार से शुरु होकर 22 अप्रैल गुरुवार को समाप्त होगा।
चैत्र नवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। इस दिन के प्रथम दिन यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि को लेकर कई सारी कथाएं भी प्रचलित हैं। इसी में से एक कथा के अनुसार रामायण काल में भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के लिए चैत्र महीनें में देवी दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु उनकी उपासना की थी। जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान किया था। कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन ही हुआ था, इसलिए इसदिन को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान जलवायु और सूर्य के प्रभावों का अनोखा संगम देखने मिलता है। इस नौ दिनों में विशेष खान-पान तथा व्रत पालन के द्वारा शरीर की सारी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं और शरीर में नयी ऊर्जा तथा सकारात्मकता का संचार होता है। यही कारण है कि नवरात्रि का यह विशेष पर्व मनाने के साक्ष्य वैदिक युग से चली आ रही हैं इसीलिए नवरात्रि के पर्व को हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि पूरे भारत भर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि मनाने का कई मुख्य कारन है। हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा का जन्म हुआ था और उनके कहने पर ही भगवान ब्रम्हा ने संसार की रचना की थी। यहीं कारण है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन हिंदू नववर्ष भी मनाया जाता है। कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था। माँ दुर्गा को आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र माह में उनकी पूजा-अर्चना करने के कारण हमारे अंदर सकारात्मकता का विकास होता है। यहीं कारण है कि चैत्र नवरात्रि का यह महत्वपूर्ण पर्व पूरे भारत भर में कई भव्य तरीके से मनाया जाता है।
माँ दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि के इस पर्व को मनाने का कई तरीका है जो इसे अन्य त्योंहारों से भिन्न बनाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा जैसे भारत के उत्तरी राज्यों में यह पर्व काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के समय से ही महाराष्ट्र में गुड़ी पाड़वा पर्व की भी शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन को प्रतिपदा भी कहा जाता है, इस दिन से माँ दुर्गा के मंदिरों में मेलो तथा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। चैत्र नवरात्रि के दिन माँ दुर्गा के मंदिरों में भारी संख्या में भक्तजन दर्शन के लिए आते हैं तथा शक्तिपीठों और प्रसिद्ध देवी मंदिरों में तो यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है। इस दौरान कई भक्तों द्वारा चैत्र नवरात्रि के पहले तथा आखरी दिन व्रत रखते है, वहीं कई भक्तों द्वारा नौ दिनों के कठिन व्रत भी रखते है। हर क्षेत्रों में अलग-अलग विधि और तरीके से नवरात्रि पूजन किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घरों में कलश स्थापना की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कलश को सुख-समृद्धि, वैभव, मंगल कार्यों का प्रतीक माना गया है। तत्पश्चात जौ (ज्वार) बोना जाता है इसके लिए लोगो द्वारा कलश स्थापना के साथ ही उसके चारों ओर थोड़ी मिट्टी भी फैलाई जाती है और इस मिट्टी के अंदर जौ बोया जाता है। नवरात्रि के पर्व में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। माँ दुर्गा के भक्तों द्वारा अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं की विशेष पूजा की जाती है। इसके अंतर्गत 9 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर पूरे आदर के साथ उन्हें भोजन कराया जाता है और भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें दक्षिणा और भेंट दी जाती है।
वैदिक तथा पुराणों में चैत्र नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है, इसे आत्म शुद्धि और मुक्ति का आधार माना गया है। चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा का पूजन करने से नकरात्मक ऊर्जा नहीं आती है और हमारे चारो ओर सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दौरान सूर्य का मेष राषि में प्रवेश होता है, सूर्य का यह राशि परिवर्तन हर राशि पर प्रभाव डालता है तथा इसी दिन से नववर्ष के पंचाग गणना की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि के यह नौ दिन इतने शुभ माने जाते हैं कि इन नौ दिनों में आप यदि कोई नया कार्य आरंभ करना चाहते हैं, तो आपको किसी विशेष तिथी का इंतजार करने की आवश्यकता नही है आप पूरे चैत्र नवरात्रि के दौरान कभी भी कोई भी नया कार्य आरंभ कर सकते हैं। इसके साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि जो व्यक्ति बिना किसी लोभ के चैत्र नवरात्रि में महादुर्गा की पूजा करता है, वो जन्म-मरण के इस बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
चैत्र नवरात्रि के अवसर माँ दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए 9 दिनों का व्रत रहा करते है और इस दौरान सिर्फ हल्का फलाहार तथा दूध-दही जैसी चीजों का सेवन किया करते है। एक वर्ष में सूर्य की परिक्रमा काल में चार संधिया होती है। इन ऋतुओं के संधियों में अक्सर कई शारीरिक बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं। इन चार संधियों में से दो संधिया चैत्र तथा आश्विन नवरात्र के समय आती हैं। इस समय हमें अपने शरीर तथा मन को स्वस्थ तथा निर्मल रखने के लिए जिस विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है, उसे ही नवरात्रि कहा जाता है। कई लोगो द्वारा इन नौ दिनों तक व्रत या फिर विशेष प्रकार के खान-पान का पान किया जाता है। इस क्रिया के द्वारा हमारे शरीर में मौजूद अशुद्धियां बाहर आ जाती हैं और सात्विक आहार का पालन करने से हम जलवायु परिवर्तन द्वारा शरीर में उत्पन्न होने वाले तमाम विकारों से भी मुक्त रहते हैं तथा इससे हमारा शरीर उत्तर विचारों तथा सकरात्मक ऊर्जा से भी भर जाता है।
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