बिहू पर निबंध

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बिहू त्योहार - बिहू फेस्टिवल - Bihu 2021 - Bihu Festival Essay In Hindi - Bohag Bihu Essay In Hindi - Essay On Bihu Festival Of Assam In Hindi - Essay On Bihu In Hindi

रुपरेखा : प्रस्तावना - बिहू त्यौहार कब है - बिहू त्यौहार के प्रकार - उपसंहार।

प्रस्तावना -

भारत के सभी राज्य के कुछ अपने त्योहार भी है जो सिर्फ उन्ही राज्य में मनाए जाते हैं। बिहू भारत के असम राज्य में मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह त्योहार फसल की कटाई से जुड़ा है जो कि साल में तीन बार मनाया जाता है और तीनों बार अलग अलग कृषि चक्र को दर्शाता है। यह त्योहार हर स्थान पर असम प्रवासियों के द्वारा मनाया जाता है। बिहू का त्यौहार भारत के असम राज्य का प्रमुख फसल कटाई पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। बिहू त्यौहार एक वर्ष में तीन बार मनाया जाता है।


बिहू त्यौहार कब है -

वर्ष 2021, में बिहू त्यौहार का पर्व 14 अप्रैल, बुधवार के दिन भारत के असम राज्य में मनाया जाएगा।


बिहू त्यौहार के प्रकार -

बिहू त्यौहार एक वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। असम के तीन बिहू त्योहारों के नाम हैं रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू , भोगाली बिहू या माघ बिहू , और कोंगाली बिहू या कटी बिहू।

रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू -

विषुव संक्रांति के दिन बिहू त्यौहार बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ भव्यता से मनाया जाता है। असमी भाषा में इस दिन मनाये जाने वाले बिहू त्यौहार को रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू भी कहते हैं। रोंगाली का अर्थ होता है आनंदमय होना। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन की ख़ुशी को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। इस समय पेड़ों और लताओं में ढेर सारे रंग-बिरंगे फूल बहुत सूंदर दीखते हैं। प्रकृति की सौन्दर्य के साथ-साथ लोगों की इस त्यौहार के प्रति निष्ठा और भी ज्यादा इस दिन को महत्वपूर्ण बना देता है। बिहू शब्द बिहू नृत्य और बिहू लोक गीत दोनो की और् संकेत करते है। रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू असम का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। रोंगाली के पहले दिन लोग प्रार्थना, पूजा और दान करते हैं। लोग इस दिन नदियों और तालाबों में पवित्र स्नान करते हैं। सभी बच्चे और बड़े इस दिन नए कपडे पहनते हैं। रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू त्यौहार पुरे एक हफ्ते तक धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन गाये और नाचे जाने वाले पारंपरिक नृत्य और गीत को 'हुचारी' कहते हैं। ड्रम और बाजों के ध्वनि के साथ इन समाराहो को देखना बहुत ही आनंदमय होता है। इस त्यौहार में बैलों की लड़ाई, मुर्गों की लड़ाई और अण्डों का खेल जैसे अद्भुत प्रतियोगिता खेले जाते है।

भोगाली बिहू या माघ बिहू -

पौष संक्रांति के दिन असम में भोगाली बिहू के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को माघ बिहू भी कहा जाता है। इस त्यौहार के आरंभ में सभी लोग अग्नि देवता की पूजा करते हैं। इस दिन वे बम्बुओं से एक मदिर के जैसे अकार बनाते हैं जिसे आसमी भाषा में 'मेजी' कहते हैं। सूर्योदय से पहले सभी परिवार के लोग स्नान करते हैं। इस दिन लोग मेजी को जलाते हैं। सभी अपने घरों में स्वादिष्ट भोजन बनाते है और अपने परिवार संग सब मिलकर खाते है।

कोंगाली बिहू या कटी बिहू -

कोंगाली बिहू या कटी बिहू कार्तिक माह में मनाया जाता है। इस त्यौहार के दिन लोग बांस के डंडों के ऊपर दियें जलाते हैं और तुलसी के पौधों के नीचे दीप जला कर चारों ओर रौशनी करते हैं। कोंगाली बिहू के दिन किसी भी प्रकार के पकवान नहीं बनाये जाते हैं और आनंद भी नहीं मनाया जाता है इसलिए इस दिन को कोंगाली बिहू कहते हैं।


उपसंहार -

भारत के सभी राज्य के कुछ अपने त्योहार भी है जो सिर्फ उन्ही राज्य में मनाए जाते हैं। बिहू भारत के असम राज्य में मनाया जाने वाला त्यौहार है। तीनों प्रकार के बिहूओं का सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आर्थिक महत्त्व है । बोहाग बिहू सभी में सबसे लोकप्रिय है और वसंत ऋतु के आगमन के निशान हैं। पारंपरिक लोक गीत और नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण हैं। बोहाग बिहू अप्रैल में, अक्टूबर में कटी बीहु और हर साल जनवरी माह में माघ बीहू मनाया जाता है। हर अवसर का अपना महत्व है सांस्कृतिक परंपराएं दुनिया भर में त्योहार को बहुत ही मनोरंजक और लोकप्रिय बनाती हैं। बिहू असम के लोगों की भावना से जुड़ा हुआ पर्व है और असम की एकता का प्रतीक है।


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