अंबेडकर जयंती पर निबंध

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डॉ भीमराव अंबेडकर पर निबंध - बी आर अंबेडकर जीवन परिचय - डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी - Ambedkar Jayanti 2021 - Ambedkar Jayanti Essay In Hindi - Dr Babasaheb Ambedkar Essay In Hindi - Dr B R Ambedkar In Hindi Essay

रुपरेखा : प्रस्तावना - अंबेडकर जयंती 2021 - डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस - डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी - अंबेडकर जयंती क्यों मनायी जाती है - अंबेडकर जयंती कैसे मनायी जाती है - अंबेडकर जयंती पर विशेष - बी.आर.अंबेडकर जी का योगदान - उपसंहार।

प्रस्तावना -

भारत के लोगों के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और देश के प्रति उनका योगदान के याद में 14 अप्रैल के दिन लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। मुंबई में निर्मित अंबेडकर स्मारक का उद्घाटन 14 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। अंबेडकर जयंती पर काँग्रेस के द्वारा अंबेडकर की जन्म स्थली, मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 2015 को अंबेडकर जयंती के उत्सव को प्रारंभ किया गया। भारतीय संविधान को बनाने के साथ ही देश के लिए उन्होंने उनका अधिक योगदानों रहा है। बाबासाहब अंबेडकर की विचारधारा के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।


अंबेडकर जयंती कब है -

अंबेडकर जयंती 2021 में लोगों द्वारा 14 अप्रैल, बुधवार के दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर मनाया जायेगा।


डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस -

भारत के लोगों के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और देश के प्रति उनका योगदान के याद में 14 अप्रैल के दिन लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। उनके स्मरणों को श्रद्धांजलि देने के लिए वर्ष 2021 में ये उनका 130 वाँ जन्मदिवस उत्सव होगा। अंबेडकर जयंती के दिन पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रुप में घोषित किया जाता है। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सदा की तरह एक सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया जाता है। अपने घर में उनकी मूर्ति तथा उनकी तस्वीर रख कर भारतीय लोग उन्हें एक भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस पर कई जगह बैठक, चर्चा, सेमीनार, सम्मेलन आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।


डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी -

डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत (मध्य प्रदेश) के केन्द्रीय प्रांत के महू जिले में एक गरीब महार परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था और माता का नाम भीमाबाई था। भारतीय समाज में अपने दिए गए महान योगदान के लिए वो लोगों के बीच बाबासाहेब नाम से जाने जाते थे। आधुनिक बौद्धधर्मी आंदोलन लाने के लिए भारत में बुद्ध धर्म के धार्मिक पुनरुत्थानवादी के साथ ही जीवन भर उन्होंने एक विधिवेत्ता, दर्शनशास्त्री, समाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, मनोविज्ञानी और अर्थशास्त्री के रुप में देश सेवा की। वो स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे और भारतीय संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार किए थे। भारत में सामाजिक भेदभाव और जातिवाद को जड़ से हटाने के अभियान के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष किया। निम्न समूह के लोगों को प्रेरणा देने के लिए उन्होंने खुद से बौद्ध धर्म को अपना लिया था जिसके लिए भारतीय बौद्धधर्मियों के द्वारा एक बोधिसत्व के रुप में उन्हें बताया गया था। उन्होंने अपने बचपन से ही सामाजिक भेदभाव को देखा था जब उन्होंने सरकारी स्कूल में दाखिला लिया था। उन्हें और उनके दोस्तों को उच्च वर्ग के विद्यार्थियों से अलग बैठाया जाता था और शिक्षक उनपर कम ध्यान देते थे। यहाँ तक कि, उन्हें कक्षा में बैठने और पानी को छूने की अनुमति भी नहीं थी। उन्हें उच्च जाति के किसी व्यक्ति के द्वारा दूर से ही पानी दिया जाता था। अपने शुरुआती दिनों में उनका उपनाम अंबावेडेकर था, जो उन्हें रत्नागिरी जिले में “अंबावड़े” के अपने गाँव से मिला था, जो बाद में उनके ब्राह्मण शिक्षक, महादेव अंबेडकर के द्वारा अंबेडकर में बदल दिया गया था। उन्होंने 1897 में एकमात्र अस्पृश्य के रुप में बॉम्बे के एलफिनस्टोन हाई स्कूल में दाखिला लिया था। इन्होंने 1906 में 9 वर्ष की रामाबाई से शादी की थी। 1907 में अपनी मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने सफलता पूर्वक दूसरी परीक्षा के लिए कामयाबी हासिल की। बाबासाहब अंबेडकर ने वर्ष 1912 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की। बाबा साहेब 3 साल तक हर महीने 11.50 यूरो के बड़ौदा राज्य छाज्ञवृत्ति से पुरस्कृत होने के बाद न्यू यार्क शहर में कोबंबिया विश्वविद्यालय में अपने परास्नातक को पूरा करने के लिए 1913 में अमेरिका चले गये थे। उन्होंने अपनी एमए की परीक्षा 1915 में और अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री 1917 में प्राप्त की। उन्होंने दोबारा से 1921 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स अपनी मास्टर डिग्री और 1923 अर्थशास्त्र में डी.एससी प्राप्त की। बाबासाहब अंबेडकर जी का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ था।


अंबेडकर जयंती क्यों मनायी जाती है -

भारत के लोगों के लिए उनके योगदान और त्याग को याद के अवसर पर भारत के लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के पिता थे जिन्होंने भारत के संविधान का ड्रॉफ्ट (प्रारुप) तैयार किया था। वो एक महान मानवाधिकार कार्यकर्ता थे जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उन्होंने भारत के निम्न स्तरीय समूह के लोगों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के साथ ही शिक्षा की जरुरत के लक्ष्य को फैलाने के लिए भारत में वर्ष 1923 में “बहिष्कृत हितकरनी सभा” की स्थापना की थी। इंसानों की समता के नियम के अनुसरण के द्वारा भारतीय समाज को पुनर्निर्माण के साथ ही भारत में जातिवाद को जड़ से हटाने के लक्ष्य के लिए “शिक्षित करना-आंदोलन करना-संगठित करना” के नारे का इस्तेमाल कर लोगों के लिए वो एक सामाजिक आंदोलन चला रहे थे। जाति विरोधी आंदोलन, पुजारी विरोधी आंदोलन और मंदिर में प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत करने के लिए भारतीय इतिहास में उन्हें चिन्हित किया जाता है। वास्तविक मानव अधिकार और राजनीतिक न्याय के लिए महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 1930 में उन्होंने मंदिर में प्रवेश के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया था। उनका कहना था कि दलित वर्ग के लोगों की सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए राजनीतिक शक्ति ही एकमात्र तरीका नहीं है, उन्हें समाज में हर क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिलना चाहिये। 1942 में वाइसराय की कार्यकारी परिषद की उनकी सदस्यता के दौरान निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों को बचाने के लिए कानूनी बदलाव बनाने में वो गहराई से शामिल थे। भारतीय संविधान में राज्य नीति के मूल अधिकारों (सामाजिक आजादी के लिए, निम्न समूह के लोगों के लिए समानता और अस्पृश्यता का जड़ से उन्मूलन) और नीति निदेशक सिद्धांतों (संपत्ति के सही वितरण को सुनिश्चित करने के द्वारा जीवन निर्वाह के हालात में सुधार लाना) को सुरक्षा देने के द्वारा उनका बड़ा योगदान था। बुद्ध धर्म के द्वारा अपने जीवन के अंत तक उनकी सामाजिक क्रांति जारी रही। भारतीय समाज के लिए दिये गये उनके महान योगदान के लिए 1990 के अप्रैल महीने में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।


अंबेडकर जयंती कैसे मनायी जाती है -

पूरे भारत भर में भव्य तरीके से कार्यक्रम आयोजित कर अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। वाराणसी, दिल्ली सहित कई क्षत्रों में अंबेडकर जयंती का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। कचहरी क्षेत्र में डॉ अंबेडकर जयंती समारोह समिति के द्वारा डॉ अंबेडकर के जन्मदिवस उत्सव के लिए कार्यक्रम वाराणसी में आयोजित होता है। वो विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते हैं जैसे चित्रकारी, सामान्य ज्ञान प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, चर्चा, नृत्य, निबंध लेखन, परिचर्चा, खेल प्रतियोगिता और नाटक जिसके लिए पास के स्कूलों के विद्यार्थीयों सहित कई लोग भाग लेते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिए, लखनऊ में भारतीय पत्रकार लोक कल्याण संघ द्वारा हर वर्ष एक बड़ा सेमीनार आयोजित किया जाता है। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर बाबा शमशान नाथ मंदिर में तीन दिवसीय लंबा उत्सव रखा गया जहाँ नृत्य और संगीत के कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये थे। कई जगहों पर, गरीब लोगों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण और दवा उपलब्ध कराने के लिए मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण कैंप भी आयोजित किया गया था।


अंबेडकर जयंती पर विशेष -

हर साल 14 अप्रैल के दिन भारत रत्न बाबासाहब भीमराव अंबेडकर की याद में देशभर में अंबेडकर जयंती के कार्यक्रम को धूम-धाम के साथ मनाया गया। इसी के तहत जोधपुर में डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर जोधपुर में बाडी बिल्डिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसी तरह उत्तरप्रदेश के मऊ में इब्राहिमाबाद स्थित अंबेडकर प्रतिमा के पास 14 अप्रैल को बाबा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के युवा एकता मंच के बैनर तले विशाल मानव श्रृंखला का आयोजन करते है। अंबेडकर जयंती के अवसर पर राजस्थान के भरतपुर जिले में जिला जाटव महासमिति के द्वारा डॉ अंबेडकर जयंती पर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही अंबेडकर जयंती से एक दिन पहले स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के खंडवा में डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर शोभयात्रा निकाली जाती है। इसी तरह राजस्थान के खेड़ली में अबेंडकर जयंती के अवसर पर अंबेडकर विचार मंच द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उत्तर प्रदेश के संभल में भी विशेष तैयारियां देखने को मिलता है जहां लोगों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नारी अधिकार, अंधविश्वास को लेकर संदेश दिया जाता है।


बी.आर.अंबेडकर जी का योगदान -

निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिए अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिए उन्होंने काम किया। बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने के दौरान उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिए समाज में अस्पृश्यों को ऊपर उठाने के लिए उन्होंने विरोध किया। दलित वर्ग के जातिच्युतता लोगों के कल्याण और उनके सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिए अस्पृश्यों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘बहिष्कृत हितकरनी सभा’ कहे जाने वाले एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। “मूक नायक, बहिष्कृत भारत और जनता समरुपता” जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा उन्होंने दलित अधिकारों की रक्षा की। उन्होंने एक सक्रिय सार्वजनिक आंदोलन की शुरुआत की और हिन्दू मंदिरों (1930 में कालाराम मंदिर आंदोलन) में प्रवेश के साथ ही जल संसाधनों के लिए अस्पृश्यता को हटाने के लिए 1927 में प्रदर्शन किया। दलित वर्ग के अस्पृश्य लोगों के लिए सीट आरक्षित करने के लिए पूना संधि के द्वारा उन्होंने अलग निर्वाचक मंडल की माँग की। 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद पहले कानून मंत्री के रुप में सेवा देने के लिए उन्हें काँग्रेस सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था और 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा के अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किये गये जहाँ उन्होंने भारत के नये संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार किया जिसे 26 नवंबर 1949 में संवैधानिक सभा द्वारा अंगीकृत किया गया। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में इन्होंने एक बड़ी भूमिका निभायी क्योंकि वो एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे। अर्थशास्त्र पर अपने तीन सफल अध्ययनशील किताबों जैसे “प्रशासन और ईस्ट इंडिया कंपनी का वित्त, ब्रिटिश इंडिया में प्रान्तीय वित्त के उद्भव और रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और समाधान” के द्वारा हिल्टन यंग कमीशन के लिए अपने विचार देने के बाद 1934 में भारत के रिजर्व बैंक को बनाने में वो सफल हुये। इन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की योजना में अपनी भूमिका निभायी क्योंकि कि उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री विदेश से हासिल की थी। देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए औद्योगिकीकरण और कृषि उद्योग की वृद्धि और विकास के लिए लोगों को बढ़ावा दिया। खाद्य सुरक्षा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने सरकार को सुझाव दिया था। अपनी मूलभूत जरुरत के रुप में इन्होंने लोगों को अच्छी शिक्षा, स्वच्छता और समुदायिक स्वास्थ्य के लिए बढ़ावा दिया। इन्होंने भारत की वित्त कमीशन की स्थापना की थी।


उपसंहार -

डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत (मध्य प्रदेश) के केन्द्रीय प्रांत के महू जिले में एक गरीब महार परिवार में हुआ था। भारत के लोगों के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और देश के प्रति उनका योगदान के याद में 14 अप्रैल के दिन लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है।पूरे भारत भर में भव्य तरीके से कार्यक्रम आयोजित कर अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। बाबासाहब अंबेडकर जी का देश के प्रति कई योगदान रहा है जैसे बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने के दौरान उनकी सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिए समाज में अस्पृश्यों को ऊपर उठाने के लिए उन्होंने विरोध किया। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में इन्होंने एक बड़ी भूमिका निभायी थी। भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ खड़े हुए थे।


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