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रुपरेखा : प्रस्तावना - शहीद दिवस 2022 - शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है - शहीद दिवस 23 मार्च को भी क्यों मनाया जाता है - शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है - शहीद दिवस पर विशेष - उपसंहार।
प्रस्तावना -भारत की आजादी, कल्याण और उनत्ति के लिये लड़े और अपने प्राणों की बलिदान देने वाले वीर लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस मनाया जाता है। प्रतिवर्ष 30 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत विश्व के उन 15 देशों में शामिल हैं जहाँ हर वर्ष अपने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस मनाया जाता है।
वर्ष 2022 में शहीद दिवस (अथवा सर्वोदय दिवस) भारत में 30 जनवरी, रविवार और 23 मार्च, बुधवार को मनाया जायेगा।
30 जनवरी 1948, का वह दिन था जब एक शाम की प्रार्थना के दौरान सूर्यास्त के पहले महात्मा गाँधी पर हमला किया गया था। महात्मा गाँधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे और लाखों शहीदों के बीच में महान देशभक्त के रुप में गिने जाते थे। भारत की आजादी, विकास और लोक कल्याण के लिये वो अपने पूरे जीवन भर कड़ा संघर्ष करते रहे। 30 जनवरी को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गाँधी को गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसके कारण यह दिन भारतीय सरकार द्वारा शहीद दिवस के रुप में घोषित कर दिया था। तब से प्रत्येक वर्ष महात्मा गाँधी को श्रद्धंजलि देने के लिये 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। गाँधी स्मृति वो जगह है जहाँ शाम की प्रार्थना के दौरान बिरला हाऊस में 78 वर्ष की उम्र में महात्मा गाँधी की हत्या हुयी थी। जिनके नेतृत्व में आजादी की कठिन जीत मिली हो ऐसे राष्ट्रपिता को खो देना देश के लिये सबसे बड़ा दुर्भाग्य दिन था। बापू एक महान इंसान थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन लाखों पुरुष और महिला के साथ आजादी की लड़ाई के लिये बलिदान कर दिया था और बाद में शहीद हुए। यही कारण है की भारत में शहीद दिवस का अवसर हर वर्ष पूरे भारतीय शहीदों की याद में मनाया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। भारत की आजादी के बाद, भारत के लोगों में भाईचारा, शांति और सौहार्द बनाने के लिये बापू ने एक मिशन की शुरुआत की थी लेकिन अपने मिशन के दौरान ही उनकी हत्या कर दी गयी। महात्मा गाँधी के अनुसार, युद्ध एक कुंद हथियार है और अहिंसा आजादी पाने के लिये सबसे अच्छा हथियार है वो उसका अनुसरण करते थे।
भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर जैसे वीर पुरुष को श्रद्धांजलि देने तथा उनके बलिदानों को याद करने के लिये भारत में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है। आजादी के लिये ब्रिटिश शासन से भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने लोहा लिया था। सिक्ख परिवार में पंजाब के लायलपुर में 28 सितंबर 1907 को जन्में भगत सिंह भारतीय इतिहास के महान स्वतंत्रता सेनानियों में जाने जाते थे। इनके पिता गदर पार्टी के नाम से प्रसिद्ध एक संगठन के सदस्य थे जो भारत की आजादी के लिये काम करती थी। भगत सिंह ने अपने साथियों राजगुरु, आजाद, सुखदेव, और जय गोपाल के साथ मिलकर लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज के खिलाफ लड़ाई की थी। शहीद भगत सिंह का साहसिक कार्य आज के युवाओं के लिये एक प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहा है।
शहीद दिवस के दिन, भारत के राष्ट्रपति सहित उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और सेवा प्रमुखों के साथ राजघाट पर बापू की समाधि पर फूलों की माला चढ़ाते हैं। शहीदों को सम्मान देने के लिये अंतर-सेवा टुकड़ी और सैन्य बलों के जवानों द्वारा इसके बाद एक सम्मानीय सलामी दी जाती है। इसके बाद, वहाँ एकत्रित लोग राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और देश के दूसरे शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखते हैं। उसी जगह पर उनको प्यार करने वालों के द्वारा धार्मिक प्रार्थना और भजन गाया जाता है। इस दिन कोलकाता के स्कूलों से बच्चे बापू का रुप बनाकर कार्यक्रम में भूमिका निभाते हैं। शहीद दिवस मनाने के दौरान स्कूली विद्यार्थियों द्वारा बापू के जीवन से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं। हालाँकि भारत में राष्ट्र के दूसरे शहीदों को सम्मान देने के लिये एक से ज्यादा शहीद दिवस (राष्ट्रीय स्तर पर इसे सर्वोदय दिवस भी कहा जाता है) मनाने की घोषणा की गयी है।
भारत ने कुष्ठ रोग से लड़ने हेतु बापू की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए शहीद दिवस को एंटी लेप्रोसी डे के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। नागालैंड में असम राइफल्स ने मोकोकचुंग स्थान पर शहीदों के लिए युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया था। देश के शहीदों को सम्मान देने के लिए राजस्थान के अजमेर में रविवार के दिन शहीद भगत सिंह नौजवान सभा की बैठक होती है। कई क्षत्रों में शौर्य कवि सम्मेलन का आयोजन होता है जहाँ सभा के प्रवक्ता सुरेश शर्मा ने बताया कि शौर्य कवि सम्मेलन में डॉक्टर अर्जुन सिसोदिया निवासी बुलंदशहर, हाशिम फिरोजाबादी निवासी उत्तर प्रदेश, चरणजीत चरण निवासी दिल्ली जैसे कवि उपस्थीत होते है। कवि सम्मेलन में देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के विषय में वीर रस से भरी कविताएं सुनने को अवसर मिलता है।
भारत की आजादी, कल्याण और उनत्ति के लिये लड़े और अपने प्राणों की बलिदान देने वाले वीर लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस मनाया जाता है। प्रतिवर्ष 30 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर जैसे वीर पुरुष को श्रद्धांजलि देने तथा उनके बलिदानों को याद करने के लिये भारत में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है। भारत ने कुष्ठ रोग से लड़ने हेतु बापू की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए शहीद दिवस को एंटी लेप्रोसी डे के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। कई क्षत्रों में शौर्य कवि सम्मेलन का आयोजन होता है जहाँ देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के विषय में वीर रस से भरी कविताएं सुनने को अवसर मिलता है।
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