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रुपरेखा : प्रस्तावना - राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 - राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है - राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है - राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व - उपसंहार।
प्रस्तावना -बालिका के लिये राष्ट्रीय कार्य दिवस के रुप में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। देश में लड़कियों को आत्मनिर्भर और अहम दर्जा देना इस दिवस का उदेश्य है। समाज में बालिका को असमानताओं को मिटाने के लिए लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाना इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है। बालिकाएं के साथ भेद-भाव एक बड़ी समस्या है जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे शिक्षा में असमानता, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय देख-रेख, सुरक्षा, सम्मान, बाल विवाह आदि। भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालिका विकास मिशन के रुप में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत हुई। लड़कियों की उन्नति के महत्व के बारे में पूरे देश के लोगों के बीच ये मिशन जागरुकता को बढ़ाता है। यह दूसरे सामुदायिक सदस्यों और माता-पिता के प्रभावकारी समर्थन के द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों के सार्थक योगदान को बढ़ाता हे।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2022 में भी राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी सोमवार के दिन मनाया जाएगा।
समाजिक लोगों के बीच बालिकाएं के जीवन को बेहतर बनाने के लिये और समाज में लड़कियों की स्थिति को बढ़ावा देने के लिये इस दिवस को मनाया जाता है। ये बहुत जरुरी है कि विभिन्न प्रकार के समाजिक भेदभाव और शोषण को समाज से पूरी तरह से हटाया जाये जिसका हर रोज लड़कियाँ अपने जीवन में सामना करती हैं। समाज में लड़कियों के अधिकारों की जरुरत के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये एक समान शिक्षा और मौलिक आजादी के बारे में विभिन्न राजनीतिक और समुदायिक नेता जनता में भाषण देते हैं। लड़कियों के लिये ये बहुत जरुरी है कि वो सशक्त, सुरक्षित और बेहतर माहौल प्राप्त करें। उन्हें जीवन की हर सच्चाई और कानूनी अधिकारों से अवगत होना चाहिये। उन्हें इसकी जानकारी होनी चाहिये कि उनके पास अच्छी शिक्षा, पोषण, और स्वास्थ्य बेहतर रखने का अधिकार है। जीवन में अपने उचित अधिकार और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिये उन्हें बहुत अच्छे से कानून सहित घरेलु हिंसा की धारा 2009, बाल-विवाह रोकथाम एक्ट 2009, दहेज रेकथाम एक्ट 2006 आदि से अवगत होना चाहिये। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने “धनलक्षमी योजना” की शुरुआत की है जिसके तहत बालिका शिशु के परिवार को नकद हस्तांतरण के द्वारा मूलभूत जरुरतों जैसे असंक्रमीकरण, जन्म पंजीकरण, स्कूल में नामांकन को पूरा किया जाता है। इसीलिए बालिकाएं को बराबरी का दर्जा देने के लिए देश के लोगों को जागरूकता को नजर रखते हुए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
समाज में लड़कियों की स्थिति को बढ़ावा देने के लिये और बालिका को बराबरी दर्जा देने के लिये पूरे देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारतीय समाज में लड़कियों की ओर लोगों की चेतना बढ़ाने के लिये एक बड़ा अभियान भारतीय सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है। इस अभियान के द्वारा भारतीय समाज में लड़कियों के साथ होने वाली असमानता को चिन्हित किया जाता है। इस दिन, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के संदेश के द्वारा तथा राष्ट्रीय अखबार पर सरकार द्वारा विभिन्न विज्ञापन चलाएँ जाते हैं। कई क्षत्रों में बालिकाएं को बराबरी का अधिकार मिलने के लिए जागृत करने के लिए कार्यकर्म रखे जाते है जहां बालिका को सम्मान के लिए लड़ना तथा आवाज उठाना सिखाते है।
समाज में बालिका शिशु के लिये नये मौके देता है और लोगों की चेतना को बढ़ाने को नजर में रखते हुए राष्ट्रीय कार्य के रुप में इसे मनाया जाता है। बालिके के प्रति असमानता को हटाना राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व है। ये सुनिश्चित किया जाये कि भारतीय समाज में हर बालिका शिशु को उचित सम्मान और महत्व दिया जाये ये इस दिवस का उदेश्य है। ये सुनिश्चित किया जाये कि देश में हर बालिका शिशु को उसके सभी मानव अधिकार मिलना चाहिए। भारत में बाल लिंगानुपात के खिलाफ कार्य करना तथा बालिका शिशु के बारे में लोगों का दिमाग इस दिवस के माध्यम से बदलेगा। बालिका शिशु के महत्व और भूमिका के बारे में जागरुकता बढ़ाने के द्वारा बालिका शिशु की ओर दंपत्ति को शुरुआत किया जायेगा। उनके स्वास्थ्य, सम्मान, शिक्षा, पोषण आदि से जुड़े मुद्दों के बारे में चर्चा करने से देश में बालिका को उचित सम्मान मिलेगा। भारत में लोगों के बीच लिंग समानता को प्रचारित करना ही इस दिवस का सबसे बड़ा महत्व दर्शाता है ।
बालिका के लिये राष्ट्रीय कार्य दिवस के रुप में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। देश में लड़कियों को आत्मनिर्भर और अहम दर्जा देना इस दिवस का उदेश्य है। समाज में बालिका को असमानताओं को मिटाने के लिए लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाना इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है। भारत में बालिका शिशु की स्थिति को सुधारने के लिये महिलाओं के लिये स्थानीय सरकार में एक-तिहाई सीट भारतीय सरकार ने आरक्षित रखी है। महिलाओं की स्थिति और रोजगार के मौंके को बढ़ाने के लिये कानून द्वारा एमटीपी विरोधी, सती कानून विरोधी, दहेज विरोधी एक्ट भी लाया गया है। बालिकाएं को बराबरी का दर्जा देने के लिए देश के लोगों को जागरूकता को नजर रखते हुए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
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