विश्व ब्रेल दिवस पर निबंध

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विश्व ब्रेल दिवस - लुईस ब्रेल दिवस - विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी - अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस - World Braille Day 2023 In Hindi - Essay On World Braille Day - Louis Braille Story In Hindi

रुपरेखा : प्रस्तावना - विश्व ब्रेल दिवस 2023 - लुइस ब्रेल की जीवनी - ब्रेल दिवस क्यों मनाया जाता है - उपसंहार।

प्रस्तावना -

ब्रेल एक ऐसा कोड है जो अक्षरों का प्रतिनिधित्व करने के लिए शब्दो का उपयोग करता है, जिसे स्पर्श द्वारा पहचाना जा सकता है। लुई ब्रेल, एक फ्रांसी व्यक्ति थे जो बहुत कम उम्र में एक दुर्घटना में अपनी आँखे खो दी थी और वे अंधा हो गए थे। ब्रेल छोटी-सी उम्र में नेत्रहीन हो गए थे इसीलिए उन्होंने एक नेत्रहीन प्रणाली का उपयोग करके अपनी आगे की पढाई की। यह एक जटिल प्रणाली थी जिसके लिए बहुत प्रशिक्षण की आवश्यकता थी और केवल लोगों को पढ़ने की अनुमति थी, लिखने की नहीं। इससे निराश होकर मात्र 15 साल की उम्र में ब्रेल ने ब्रेल कोड का आविष्कार किया। चूंकि ब्रेल एक कोड है, इसलिए सभी भाषाओं और विषय जैसे गणित, संगीत और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसे कुछ विषयों को ब्रेल कोड की मदत से पढ़ा और लिखा जा सकता है।


लुई ब्रेल जयंती 2023 -

हर साल की तरह इस साल भी पूरे विश्व में विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी 2023, बुधवार के दिन मनाया जायेगा।


लुइस ब्रेल का जीवन परिचय -

लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 में फ्रांस के छोटे से गाँव कुप्रे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता साइमन रेले ब्रेल शाही घोड़ों के लिये काठी और जीन बनाने का कार्य करते थे। इनकी माँ मोनिक ब्रेल गृहिणी थी। पारिवारिक आवश्यकताओं के अनुरूप पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं होने के कारण साइमन को अतिरिक्त मेहनत करनी होती थी इसीलिए जब लुइस मात्र तीन वर्ष के हुए तो उनके पिता ने उसे भी अपने साथ घोड़ों के लिये काठी और जीन बनाने के कार्य में लगा लिया। अपने स्वभाव के अनुरूप तीन वर्षीय बालक अपने आस पास उपलब्ध वस्तुओं से खेलने में अपना समय बिताया करता था इसीलिए लुइस के खेलने की वस्तुएं वही थीं जो उसके पिता द्वारा अपने कार्य में उपयोग की जाती थीं जैसे कठोर लकड़ी, रस्सी, लोहे के टुकड़े, घोड़े की नाल, चाकू और काम आने वाले लोहे के औजार। एक दिन काठी के लिये लकड़ी को काटते में इस्तेमाल की जाने वाली चाकू अचानक उछल कर लुइस ब्रेल की आंख में जा लगी और बालक की आँख से खून की धारा बह निकली। साधारण जडी लगाकर उसकी आँख पर पट्टी कर दी गयी लेकिन आठ वर्ष का पूरा होने तक पूरी तरह दृष्टि हीन हो गया। रंग बिरंगे संसार के स्थान पर उस बालक के लिये सब कुछ गहन अंधकार में डूब गया। एक नेत्रहीन प्रणाली का उपयोग करके अपनी आगे की पढाई की लेकिन उस प्रणाली से केवल लोगों को पढ़ने की अनुमति थी, लिखने की नहीं। इससे निराश होकर मात्र 15 साल की उम्र में ब्रेल ने एक लिपि बनाई जो12 की बजाय मात्र 6 बिंदुओं का उपयोग कर 64 अक्षर और चिह्न बनाए और उसमें न केवल विराम चिह्न बल्कि गणितीय चिह्न और संगीत के नोटेशन भी लिखे जा सकते थे। यही लिपि आज सर्वमान्य है। सन् 1824 में बनी यह लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है। सन् 1851 में उनकी तबियत बिगड़ने लगी और 6 जनवरी 1852 को मात्र 43 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के 16 वर्ष बाद सन् 1868 में 'रॉयल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ' ने इस लिपि को मान्यता दी।


ब्रेल दिवस क्यों मनाया जाता है -

लुइस ब्रेल एक फ्रांसी व्यक्ति थे जो बहुत कम उम्र में एक दुर्घटना में अपनी आँखे खो दी थी और वे अंधा हो गए थे। एक नेत्रहीन प्रणाली का उपयोग करके अपनी आगे की पढाई की और मात्र 15 वर्ष की उम्र में एक ऐसी लिपि का आविष्कार कर दिया जिसे ब्रेल लिपि कहते हैं। इस लिपि के आविष्कार ने दृष्टिबाधित लोगों की शिक्षा में क्रांति ला दी। गणित, भूगोल एवं इतिहास विषयों में प्रवीण लुई की अध्ययन काल में ही फ्रांस की सेना के कैप्टन चार्ल्स बार्बियर से मुलाकात हुई थी। उन्होंने सैनिकों द्वारा अंधेरे में पढ़ी जाने वाली नाइट राइटिंग व सोनोग्राफ़ी के बारे में बताया। ये लिपि उभरी हुई तथा 12 बिंदुओं पर आधारित थी। यहीं से लुई ब्रेल को आइडिया मिला और उन्होने इसमें संशोधन करके 6 बिंदुओं वाली ब्रेल लिपि का इज़ाद कर दिया। प्रखर बुद्धिवान लुई ने इसमें सिर्फ अक्षरों या अंकों को ही नहीं बल्कि सभी चिन्हों को भी प्रर्दशित करने का प्रावधान किया। उनके इस आविष्कार से लाखों नेत्रहीन लोग पढ़-लिख कर अपने जीवन में एक मुकाम हासिल कर पाए। उनके छोटी-सी उम्र में इस आविष्कार से लोगों के जीवन में रौशनी आई इसीलिए उनके जन्म दिवस के अवसर में हर वर्ष 4 जनवरी, को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है।


उपसंहार -

लुइस ब्रेल नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का निर्माण करने के लिये प्रसिद्ध हुए। ब्रेल लिपि के निर्माण से नेत्रहीनों के पढ़ने की कठिनाई को मिटाने वाले लुई स्वयं भी नेत्रहीन थे। लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के छोटे से ग्राम कुप्रे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। लुई ब्रेल ने एक दुर्घटना में तीन साल की उम्र में अपनी दृष्टि खो दी थी। उनकी आंखें संक्रमित हो गईं और ब्रेल पूरी तरह से अपनी दृष्टि खो बैठे थे। सन् 1851 में उनकी तबियत बिगड़ने लगी और 6 जनवरी 1852 को मात्र 43 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के 16 वर्ष बाद वर्ष 1868 में ब्रेल लिपि को प्रामाणिक रूप से मान्यता मिली। यह भाषा आज भी दुनियाभर में मान्य है।


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