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रुपरेखा : प्रस्तावना - शून्य भेदभाव दिवस 2021 - शून्य भेदभाव दिवस का इतिहास - शून्य भेदभाव दिवस क्यों मनाया जाता है - शून्य भेदभाव दिवस कैसे मनाया जाता है - शून्य भेदभाव दिवस का उद्श्य - उपसंहार।
प्रस्तावना / शून्य भेदभाव दिवस -हर साल 1 मार्च को विश्व भर में शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1 मार्च 2014 को UNAIDS के कार्यकारी निदेशक द्वारा की गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं और लड़कियों के प्रति भेदभाव और असमानता को समाप्त करने के लिए इस दिवस मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के अधिकारों, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को समाप्त करने के रूप में इस दिवस को मनाया जाता है।
हर साल 1 मार्च को शून्य भेदभाव दिवस अथवा जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, शून्य भेदभाव दिवस 1 मार्च, सोमवार के दिन मनाया जायेगा।
शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाने की शुरुआत विश्व एड्स दिवस पर दिसंबर 2013 में यूएनएड्स(UNAIDS) द्वारा किया गया था। संयुक्त राष्ट्र ने UNAIDS के बाद 1 मार्च 2014 को शून्य भेदभाव दिवस मनाया। यूएनएड्स मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी/HIV) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (एड्स/AIDS) पर एक कार्यक्रम है, जिसने दिसंबर 2013 मंा विश्व एड्स दिवस पर अपना शून्य भेदभाव अभियान शुरू किया था और 1 मार्च 2014 को विश्व स्तर पर पहला शून्य भेदभाव दिवस मनाया गया।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं और लड़कियों के प्रति भेदभाव और असमानता को समाप्त करने के लिए पूरे विश्व में शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है। महिलाओं के अधिकारों, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए तथा इसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए यह दिवस को मनाया जाता है। महिलाओं व लड़कियों को कई तरह के असमानता को सहना पडता है, साथ ही उनके लिए लैंगिक समानता को बढ़ावा देने व सशक्तिकरण की दिशा में प्रयासों के तहत जागरूकता को फैलाने के लिए यह दिवस को मनाया जाता है। सभी के अधिकारों को प्रोत्साहित करने और उन्हें चिन्हित करने के लिए तथा मानव अधिकारों की रक्षा करने, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, भेदभावपूर्ण कानूनों को हटाने और निष्पक्ष न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए भी शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है।
शून्य भेदभाव दिवस संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों दवारा मनाया जाने वाला दिन है। यह समानता और भेदभाव रहित वातावरण बनाने के लिए मनाया जाता है । इस दिन संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन उम्र, लिंग, जातीयता, त्वचा का रंग, पेशा, विकलांगता, की परवाह किए बिना सभी को समान रूप से जीने के लिए विभिन्न गतिविधियों को कार्यकर्म के द्वारा लोगों को जागरूक करते है। आज महिलाओं के खिलाफ भेदभाव भारत में उच्च स्तर पर बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए तथा इसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए सेमिनार, कार्यकर्म के माध्यम से लोगों के अंदर जागरूकता फैलाया जाता है। समाज में निष्पक्षता लाने, विविधता को अपनाने तथा प्रतिभा एवं कौशल को महत्व देने के लिए शून्य भेदभाव दिवस का आयोजन करते है। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र की एचआईवी/एड्स पर कार्यरत एजेंसी ने विश्व के सभी लोगों से विविधताओं का सम्मान करने एवं अपनी कुशलता से एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए आग्रह करते है। 'तितली' को शून्य भेदभाव दिवस का प्रतीक चुना गया है, जिसका उपयोग लोगों द्वारा भेदभाव को समाप्त करने और सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में काम करने के प्रयासों के रूप में मनाया जाता है।
शून्य भेदभाव दिवस का उद्श्य उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है, जिनमें सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए समानता को सक्षम करने के लिए तत्काल बदलाव की आवश्यकता है। बहुत से देशों में आय, जातिवाद, विकलांगता, लिंग पहचान और नस्ल सहित कारकों के आधार पर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव अभी भी मौजूद है जिसे ख़तम करना इस दिवस उद्श्य है। इस दिन का उद्देश्य कानून के समक्ष सभी को पूर्ण और उत्पादक जीवन जीने का अधिकार देना है। यूएनएड्स के अनुसार, दुनिया भर में प्रत्येक तीन में से एक महिला को अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की हिंसा का अनुभव करना पड़ रहा है जिसे रोकना हमारा उद्श्य है। शून्य भेदभाव दिवस का उद्देश्य कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करना है तथा इस समानता की विचारधारा को पुरे विश्व तक फैलाना है। इस दिवस के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के साथ HIV स्टेटस, आयु, लिंग, नस्ल, भाषा इत्यादि के आधार पर किये जाने वाले भेदभाव को समाप्त करने का संदेश लोगों तक पहुँचना है।
यह दिवस किसी भी तरह के भेदभाव को समाप्त करने के लिए मनाया जाता है। आजकल की स्थिति के अनुसार यह दिन बहुत अधिक प्रासंगिक है। आज समाज जाति, धर्म, लिंग, अमीरी-गरीबी, रंग, भाषा आदि के रूप में विभिन्न वर्गों में बंट गया है। ऐसे में शून्य भेदभाव दिवस सबको जोड़ने का कार्य करते हैं वो उस धागे की तरह है जो बिखरे हुए मोतियों की एक धागे में पिरोने का कार्य करते हैं। इस दिन का आरंभ विश्व एड्स दिवस पर दिसंबर 2013 में यूएनएड्स द्वारा किया गया था। इसे प्रत्येक वर्ष 1 मार्च को मनाया जाता है। तितली को इसके प्रतीक के रूप में चुना गया है। सभी प्रकार के भेदभावों से उपर उठकर और सभी लोगों को एक गरिमामयी उत्पादक जीवन जीने के अधिकार देना इस दिवस का उद्श्य है।
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