विश्व होम्योपैथी दिवस पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - विश्व होम्योपैथी दिवस कब है - विश्व होम्योपैथी दिवस का इतिहास - होम्योपैथी क्या है - विश्व होम्योपैथी दिवस क्यों मनाते है - विश्व होम्योपैथी दिवस कैसे मनाते है - उपसंहार।

प्रस्तावना -

विश्व होम्योपैथी दिवस को अंग्रेजी में 'World Homeopathy Day' कहते हैं। प्रत्येक वर्ष पुरे विश्व भर में हर साल 10 अप्रैल को ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ मनाया जाता हैं। यह दिवस होम्योपैथी के संस्थापक जर्मनी के डॉ. क्रिश्चिन फ्रेडरिक सैमुएल हैनीमेन के जन्मदिवस के अवसर पर मनाया जाता है। होम्योपैथी भारत में सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, वास्तव में, आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) सेवाओं के बीच एक दूसरा स्थान है। भारत में आयुष प्रणालियों की तुलना में उपयोगकर्ताओं, चिकित्सकों, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्लीनिकों की संख्या बढ़ रही है।


विश्व होम्योपैथी दिवस कब है / विश्व होम्योपैथी दिवस कब मनाया जाता है -

हर साल 10 अप्रैल को होम्योपैथी के संस्थापक जर्मनी के डॉ. क्रिश्चिन फ्रेडरिक सैमुएल हैनीमेन के जन्मदिवस के अवसर पर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, 10 अप्रैल रविवार के दिन विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया गया है।


विश्व होम्योपैथी दिवस का इतिहास / डॉ. सैमुअल हैनिमैन कौन थे -

होम्योपैथी के संस्थापक जर्मनी के डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन एक जर्मन चिकित्सक थे। वह एक महान विद्वान, भाषाविद और प्रशंसित वैज्ञानिक थे। होम्योपैथी को आधार बनाने के इस सिद्धांत से चिकित्सा विज्ञान की एक पूरी प्रणाली को प्राप्त करने का श्रेय जर्मन चिकित्सक क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन को जाता है। हैनिमैन के पास एमडी की डिग्री थी। बाद में, उन्होंने अनुवादक के रूप में काम करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। फिर उन्होंने कई भाषाओं जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच, इतालवी, ग्रीक और लैटिन में चिकित्सा, वैज्ञानिक पाठ्यपुस्तकों को सीखा। होम्योपैथी के संस्थापक जर्मनी के डॉ. क्रिश्चिन फ्रेडरिक सैमुएल हैनीमेन के जन्मदिवस के अवसर पर तथा उनके जन्मदिन को याद करते हुए हर साल विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है।


होम्योपैथी क्या है / होम्योपैथी दवा किसे कहते हैं -

होम्योपैथी भारत में सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, वास्तव में, आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) सेवाओं के बीच एक दूसरा स्थान है। भारत में आयुष प्रणालियों की तुलना में उपयोगकर्ताओं, चिकित्सकों, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्लीनिकों की संख्या बढ़ रही है। होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 के तहत भारत में एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली है। इसे दवाओं की राष्ट्रीय प्रणाली के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।


विश्व होम्योपैथी दिवस क्यों मनाया जाता है -

विश्व भर में होम्योपैथी के बारे में जानकारी देना तथा उसके महत्व के बारे में लोगों तक संदेश पहुंचाने का कार्य करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है। विश्व होम्योपैथी दिवस का उद्देश्य भारत एवं विश्व में होम्योपैथी की दशा एवं दिशा, राष्ट्रीय नीतियों के विकास की रणनीति तैयार करना, होम्योपैथी औषधियों की सुरक्षा, गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता को मजबूत करना, उच्च स्तरीय गुणवत्तापरक चिकित्सा शिक्षा, अन्तरपद्धति और अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग, प्रमाण आधारित चिकित्सा कार्य एवं विभिन्न देशों में स्वास्थ्य देख भाल सेवाओं में होम्योपैथी को उचित स्थान दिलाकर सार्वभौमिक स्वास्थ्य को लक्ष्य को प्राप्त करना है।


विश्व होम्योपैथी दिवस कैसे मनाया जाता है -

विश्व होम्योपैथी दिवस के दिन विश्व के कई क्षत्रों में होम्योपैथी के बारे में लोगों तक उचित जानकारी देने का कार्य किया जाता है। इस दिन कई अस्पतालों में होम्योपैथी से सम्बंधित सेमिनार का आयोजन किया जाता है। मरीजों तथा उनके परिजनों को होम्योपैथी के फायदे और इसके खुराक कैसे लिया जाता है उसके बारे में बताया जाता है। आज भारत में लगभग तीन लाख होम्योपैथी प्रैक्टिशनर हैं। इस दिन होम्योपैथी अस्पतालों में होम्योपैथी से सम्बंधित कई गतिविधियां चलाई जाती है जिसमें कई लोग हिस्सा लेते है। कई होम्योपैथी अस्पतालों में लोगों को इसके फायदे और नुकसान के बारे में उचित शिक्षा दी जाती है।


उपसंहार -

आयुष की अर्थ (फुल फॉर्म:) आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी है। आज होम्योपैथी दुनिया के सौ से अधिक देशों में अपनाई जा रही है। भारत होम्योपैथी के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश है। होम्योपैथी के अविष्कारक डॉ. हैनीमैन के जन्मदिन के अवसर पर 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी के रूप में मनाई जाती है। आज भारत में लगभग 250 होम्योपैथी अस्पताल और 9000 से ज्यादा होम्योपैथी डिस्पेंसरी हैं। आज भारत में लगभग तीन लाख होम्योपैथी प्रैक्टिशनर हैं। आज विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी मानना है कि बिना वैकल्पिक एवं परम्परागत औषधियों को बढ़ावा दिये सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धितयों में विश्व में होम्योपैथी का प्रमुख स्थान है। होम्योपैथी दवाओं को कई संक्रमित व गैर संक्रमित बीमारियों व बच्चों और माताओं की बीमारियों में खासा प्रभावी माना जाता है।


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