विश्व विरासत दिवस पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - विश्व धरोहर दिवस कब है - विश्व धरोहर दिवस का इतिहास - विश्व धरोहर दिवस क्यों मनाते है - विश्व धरोहर दिवस कैसे मनाते है - विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य - भारत के कुछ प्राचीन धरोहरों के नाम - भारत के विश्व विरासत स्थल 2021 - उपसंहार।

प्रस्तावना -

विश्व धरोहर दिवस का प्रारम्भिक नाम "विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस" था। बाद में इसका नाम बदलकर 'विश्व धरोहर दिवस' अथवा 'विश्व विरासत दिवस' रखा गया। विश्व धरोहर दिवस पुरे दुनिया भर में हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मानव विरासत को संरक्षित करना और क्षेत्र के सभी प्रासंगिक संगठनों के प्रयासों को पहचानना है।


विश्व धरोहर दिवस कब है / विश्व विरासत दिवस कब मनाया जाता है / विश्व धरोहर दिवस 2021 -

हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस (प्रारम्भिक नाम - विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस) मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, विश्व धरोहर दिवस' अथवा विश्व विरासत दिवस 18 अप्रैल रविवार के दिन पुरे विश्व भर में मनाया गया है।


विश्व धरोहर दिवस का इतिहास / विश्व विरासत दिवस का इतिहास -

पहला 'विश्व धरोहर दिवस' 18 अप्रैल, 1982 को ट्यूनीशिया में 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स' द्वारा मनाया गया था। एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 1968 ई. में विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के सामने 1972 ई. में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान रखा गया, जहाँ ये प्रस्ताव पारित हुआ। इस तरह विश्व के लगभग सभी देशों ने मिलकर ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने की शपथ ली। इस तरह "यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर" अस्तित्व में आया। 18 अप्रैल, 1978 ई. में पहले विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया। इस दिन को तब "विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस" के रूप में मनाया जाता था। लेकिन यूनेस्को ने वर्ष 1983 ई. से इसे मान्यता प्रदान की और इस दिवस को "विश्व धरोहर दिवस" के रूप में बदल दिया। वर्ष 2011 तक सम्पूर्ण विश्व में कुल 911 विश्व धरोहर स्थल थे, जिनमे 704 ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक, 180 प्राकृतिक और 27 मिश्रित स्थल हैं।


विश्व धरोहर दिवस क्यों मनाया जाता है / विश्व विरासत दिवस क्यों मनाया जाता है -

विश्व के सभी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने के लिए तथा उनकी रक्षा और लोगों तक उसकी महत्वता का संदेश देने के लिए हर साल विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को इन धरोहरों के संरक्षण तथा महत्व से अवगत कराया जाए तथा दुनियां के विभिन्न देशों में स्थित ऐसे स्थलों की जानकारी देकर उन्हें विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके। दुनिया के इन स्थलों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विश्व धरोहर दिन मनाया मनाया जाता हैं।


विश्व धरोहर दिवस कैसे मनाया जाता है / विश्व विरासत दिवस कैसे मनाया जाता है -

इस दिवस के दिन प्रत्येक देश में कई कार्यक्रम देखने को मिलते है। इस दिन इन सांस्कृतिक संपत्तियों को संरक्षित करने के महत्व को उजागर करने के उद्देश्य से साइटों और स्मारकों के दौरे की योजना बनाई जाती है। जब मरम्मत का काम पूरा हो जाता है तो लोगों को अक्सर इन साइटों पर जाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इन चीजों पर व्यापक मीडिया कवरेज भी की जाती है जो प्रभावशाली स्मारकों पर प्रकाश डालती है। साक्षात्कार और सम्मेलन भी हर जगह आयोजित किए जाते हैं। बहस और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं और अच्छी झांकियों के लिए प्रदर्शन भी लगाए जाते हैं। यह दिन वास्तव में देश के हर संबंधित नागरिक के लिए अपने देश की महान सांस्कृतिक संपत्ति पर गर्व महसूस करने का एक दिन है।


विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य / विश्व विरासत दिवस का उद्देश्य -

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि सम्पूर्ण विश्व में मानव इतिहास से जुड़े समस्त इतिहास, संस्कृति एवं प्रकृति से जुड़े स्थलों का संरक्षण किया जाए तथा आमजन में इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए और इसकी विशेषताएं लोगो को बताई जाए। यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की तीन सूचियों में शामिल किया गया, जो इस प्रकार हैं -

  1. प्राकृतिक धरोहर स्थल (Natural Heritage Site)
  2. सांस्कृतिक धरोहर स्थल (Cultural heritage site)
  3. मिश्रित धरोहर स्थल (Mixed Heritage Site)
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि तीनो श्रेणियों की विरासत को अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित करना तथा उसके प्रासंगिक प्रयासों को दुनिया के समक्ष रखना है।

भारत के कुछ प्राचीन धरोहरों के नाम / भारत के प्राचीन विरासत के नाम जाने -

भारत में कुल 38 स्थानों, शहर, इमारतों, गुफाओं आदि को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का नाम दिया है। हमें इनके बारे में जानना चाहिए। जो इस प्रकार हैं

  • ताजमहल, आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं।
  • गुजरात की रानी की वाव, पश्चिमी घाट, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और राजस्थान का किला।
  • नालंदा विश्वविद्यालय, कार्बूजिए की वास्तुकला, कंचनजंघा पुष्प उद्यान और अहमदाबाद शहर।
  • काजीरंगा अभयारण्य, केवलादेव उद्यान, महाबलीपुरम और सूर्य मंदिर कोणार्क।
  • भीमबैठका, कुतुब मीनार, हिमालयन रेल और महाबोधि मंदिर।
  • मानस अभयारण्य, हम्पी, गोवा के चर्च और फतेहपुर सीकरी।
  • छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, चंपानेर पावागढ़, दिल्ली का लाल किला और जयपुर का जंतर मंतर।
  • चोल मंदिर, खजुराहो मंदिर, पट्टादकल और एलिफेंटा की गुफाएं।
  • सुंदरबन, सांची के बुद्ध स्मारक, हुमायूं का मकबरा और नंदा देवी का पुष्प उद्यान।
  • जयपुर, विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको।

भारत के विश्व विरासत स्थल 2021 / भारत के विश्व विरासत स्थल की सूची / भारत में महत्वपूर्ण विश्व विरासत स्थल -

यूनेस्को द्वारा दुनिया के अलग अलग देशों में ऐसे विरासत स्थलों को सूचीबद्ध किया जाता हैं। विश्व में सर्वाधिक वर्ल्ड हेरिटेज साइट इटली में हैं जिसकी संख्या 51 हैं। इसके अतिरिक्त चीन में 48, स्पेन में 44, फ्रांस में 41, जर्मनी में 40, मेक्सिको में 33 हमारे देश भारत में 38 ऐसे स्थलों को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया गया हैं।

यहाँ भारत के विश्व विरासत स्थलों के नाम, वर्ष और किस राज्य में स्थित है, इसकी जानकारी दी गयी है।
  • आगरा का किला (1983, उत्तर प्रदेश)
  • अजंता की गुफाएं (1983, महाराष्ट्र)
  • एलोरा की गुफाएं (1983, महाराष्ट्र)
  • ताज महल (1983, उत्तर प्रदेश)
  • महाबलीपुरम के स्मारक (1984, तमिलनाडु)
  • सूर्य मंदिर (1984, ओड़िशा)
  • मानस वन्यजीव अभ्यारण्य (1985, असम)
  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (1985, असम)
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1985, राजस्थान)
  • गोवा के चर्च (1986, गोवा)
  • फतेहपुर सीकरी (1986, उत्तर प्रदेश)
  • हम्पी के स्मारक (1986, कर्नाटक)
  • खजुराहो के मंदिर (1986, मध्य प्रदेश)
  • एलीफेंटा की गुफाएं (1987, महाराष्ट्र)
  • महान चोल मंदिर (1987/2004, तमिलनाडु)
  • पट्टाकल के स्मारक (1987, कर्नाटक)
  • सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (1987, पश्चिम बंगाल)
  • नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान व फूलों की घाटी (1988/2005, उत्तराखंड)
  • सांची का स्तूप (1989, मध्य प्रदेश)
  • हुमायूं का मक़बरा (1993, दिल्ली)
  • क़ुतुब मीनार (1993, दिल्ली)
  • भारत के पर्वतीय रेलवे -
  • दार्जिलिंग (1999, पश्चिम बंगाल)
  • नीलगिरी (2005, तमिलनाडु)
  • शिमला (2008, हिमाचल प्रदेश)
  • महाबोधि मंदिर (2002, बिहार)
  • भीमबेटका गुफ़ाएं (2003, मध्य प्रदेश)
  • चंपानेर - पावागढ़ पार्क (2004, गुजरात)
  • छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (2004, महाराष्ट्र)
  • लाल किला (2007, दिल्ली)
  • जंतर-मंतर (2010, राजस्थान)
  • पश्चिमी घाट (2012, गुजरात,महाराष्ट्र, कर्नाटक,तमिलनाडु,केरल)
  • राजस्थान के पहाड़ी किले (2013, राजस्थान)
  • रानी की वाव (2014, गुजरात)
  • ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान (2014, हिमाचल प्रदेश)
  • नालंदा (2016, बिहार)
  • कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (2016, सिक्किम)
  • ली कार्बुसियर के स्थापत्य कार्य (2016, चंडीगढ़)
  • अहमदाबाद (2017, गुजरात)
  • विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको (2018, महाराष्ट्र)
  • जयपुर (2019, राजस्थान)

उपसंहार -

दुनियां के विभिन्न देशों में ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व के स्थल को भावी पीढ़ी के लिए बचाकर रखा जाए इन्हें धरोहर की सूची में रखा जाता हैं जिसे यूनेस्को द्वारा ऐसे ही प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों को चिन्हित कर हेरिटेज साईट की लिस्ट में शामिल किया जाता हैं। हर वर्ष 18 अप्रैल के दिन विश्व विरासत दिवस दुनिया भर में मनाया जाता हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को इन धरोहरों के संरक्षण तथा महत्व से अवगत कराया जाए तथा दुनियां के विभिन्न देशों में स्थित ऐसे स्थलों की जानकारी देकर उन्हें विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके। हमारा भारत भी ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक एवं संस्कृतियों कलाकृतियों, स्मृतियों एवं स्थलों से परिपूर्ण देश हैं। ये विरासत के स्थल संसार के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने देश की विरासत स्थलियों पर गर्व होना चाहिए तथा उनके संरक्षण के लिए आगे बढ़ना चाहिए।


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