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रूपरेखा : प्रस्तावना - हिंदी अध्यापकों का स्मरणांजलि दिवस - कार्यक्रम का शुभारम्भ - अध्यापकों का सम्मान - अंताक्षरी कार्यक्रम - विजयी छात्रों को पुरस्कार - उपसंहार।
परिचय | समारोह का दृश्य की प्रस्तावना -भारत देश में जब भी कोई शुभ काम होता है तो वो वह खुशी सबके साथ साझा करते है। साझा करने का उत्तम तरीका होता है समारोह का आयोजित करना। एक शानदार समारोह का आयोजित कर जहाँ अपने प्रियजनों को बुलाते है और उनके साथ खुशी मनाते है। इसी प्रकार देश में कई मौके पर समारोह आयोजित किया जाता है जैसे- वर्षगांठ समारोह, पुरस्कार समारोह, जन्मदिन समारोह, सम्मनित समारोह, जागरूकता समारोह, इंगेजमेंट समारोह आदि।
शरद् ऋतु का रविवार, 10 जनवरी 2021 को दिल्ली प्रांत के श्रेष्ठतम दस हिंदी अध्यापकों का स्मरणांजलि दिवस समरोह आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का स्थान था, दिल्ली पब्लिक लायबरेरी हॉल, डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी मार्ग, दिल्ली। इस अवसर पर अध्यापक-अध्यापिकाओं का आगमन तीन बजे से ही आरंभ हो गया था। साढ़े तीन बजते-बजते हिन्दी अकादमी, के सचिव डॉ. रामशरण गौड़ तथा महर्पि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक के हिन्दी आचार्य डॉ. बैजनाथ सिंहल पहुँच गए। निशांत झा ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया । संचालक श्री अशोक जी उन्हें समारोह स्थल की ओर ले गए। अब प्रतीक्षा थी दिल्ली सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की । लगभग 4 बजे जब सेल्यूलर फोन पर उनसे सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि वे साढ़े चार बजे तक पहुँचने वाले हैं।
स्मरणांजलि कार्यक्रम भी अद्भुत था। दिल्ली के बच्चों की अंताक्षरी प्रतियोगिता में जो पुरस्कार राशि बाँटी जानी थी, वे इन्हीं अध्यापकों के नाम पर रखी गई थी । 'सरस्वती वंदना' से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। श्रीमती मंजुशर्मा ने मधुर कंठ से “वीणावादिनी वर दे' गीत गाकर वाग्देवी की वंदना की । तत्पश्चात निशांत झा ने इस आयोजन की विशेषता पर प्रकाश डाला और बताया कि गत तीन दशकों से वे हिन्दी अध्यापक-अध्यापिकाओं को सम्मानित करते आ रहे हैं।
इसके बाद सम्मान कार्यक्रम शुरू हुआ। सर्वप्रथम अध्यापकों को शाल ओढ़ाकर और पुष्प माला पहनाकर श्री अशोक जी ने स्वागत किया। दिल्ली के विभिन्न स्कूलों से लगभग 100 विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम अत्यंत रोचक और आकर्षक रहा। हाँ, कभी-कभी निर्णय पर विवाद होता था, किन्तु निर्णायक तर्क द्वारा अपने निर्णय की पुष्टि करके उसे शांत कर देते थे । पराजित होने पर अपने को पराजित न मानना, यह मानवीयदुर्बलता है । इसीलिए निर्णय पर विवाद उठता था । अंताक्षरी का अंत और भी रोचक रहा। जब दो छात्र एक-दूसरे को पराजित कर प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने के लिए उत्तेजित थे, तभी माननीय मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. हर्षवर्धन पधार गए। अंताक्षरी कार्यक्रम रोक कर डॉ. हर्षवर्धन का पुष्पमाला पहना कर और शाल ओढ़ाकर स्वागत किया।
अंताक्षरी कार्यक्रम पुनः शुरू करने से पहले निर्णायकों ने यह सुझाव दिया कि क्यों न दोनों को प्रथम पुरस्कार (इक्कीस-इक्कीस सौ रुपए) देकर यह कार्यक्रम समाप्त कर दिया जाए। निर्णायकों की सहमति से दोनों विद्यार्थियों को प्रथम घोषित कर दिया गया। पुरस्कार वितरण से पूर्व सेवा-निवृत्त सात अध्यापक- अध्यापिकाओं का स्वागत किया गया। डॉ. रामशरण गौड़ तथा डॉ. हर्षवर्धन ने पुष्पमाला पहनाकर, शाल ओढ़ाकर इनका सम्मान किया। भाव-विभोर उपस्थित शिक्षकों ने खूब तालियाँ बजाकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया।
शिक्षक-सम्मान के पश्चात विद्यार्थियों का पुरस्कार कार्यक्रम आरंभ हुआ। प्रथम दो तथा तृतीय छात्र-छात्राओं के विजयी मुस्कान युक्त चेहरे देखने वाले थे। उनके भाल गर्व से दमक रहे थे। तीनों को पुरस्कार राशि देने से पूर्व उन्हें पुष्पहार पहनाए। प्रथम दो बच्चों से वे इतने भावाभिभूत थे कि उन्होंने दोनों को अपनी गोद में उठा लिया। शेष विजयी बच्चों को पुरस्कार सम्मानित शिक्षकों द्वारा दिलवाए गए। साथ ही तीनों विजयी विद्यार्थियों के हिन्दी अध्यापकों को भी पुष्पहार तथा शाल से सम्मानित किया गया।
अंत में सूर्य भारती प्रकाशन की ओर से स्मरणांजलि समिति के अध्यक्ष ने विशिष्ट महानुभावों और शिक्षकों को कार्यक्रम में भाग लेकर इसको पूर्णत: सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम समाप्ति पर उपस्थित प्रत्येक अध्यापक अध्यापिका को एक सुंदर बैग में नव वर्ष की डायरी तथा 'स्मरणांजलि' पुस्तिका दिया।
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