राजस्थान दिवस पर निबंध

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राजस्थान दिवस 2021 पर निबंध - राजस्थान पर निबंध - राजस्थान का इतिहास - राजस्थान स्थापना दिवस पर निबंध - Rajasthan Diwas - Rajasthan Day Essay in Hindi - Information on Rajasthan in Hindi

रुपरेखा : प्रस्तावना - राजस्थान दिवस 2021 - राजस्थान दिवस का इतिहास - राजस्थान राज्य में जन्में भारत के कई वीरों के नाम - किन सात चरणों से हुई राजस्थान राज्य की स्थापना - राजस्थान दिवस क्यों मनाया जाता है - राजस्थान दिवस कैसे मनाया जाता है - उपसंहार।

प्रस्तावना -

भारत के सर्वाधिक सुंदर राज्यों में राजस्थान का नाम भी आता हैं। राजस्थान हमेशा से ही भारत के लिए प्रमुख राज्य रहा है क्योंकि राजस्थान में कई वीरों ने जन्म लिया था। कई वीरों की गाथा राजस्थान को वीरों की भूमि कहे जाने की ओर प्रेरित करती है। प्राचीन समय से ही राजस्थान को भारत का सुंदर राज्य माना जाता है । प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस (अंग्रेज़ी में- Rajasthan Day) अथवा राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है। जब राजस्थान राज्य की उत्पत्ति हुई तब राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री के रूप में हीरालाल शास्त्री को चुना गया था ।


राजस्थान दिवस कब मनाया जाता है / राजस्थान दिवस कब हैं -

प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को भारत देश में स्थित राजस्थान राज्य की स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, 30 मार्च मंगलवार के दिन राजस्थान दिवस अथवा राजस्थान स्थापना दिवस बड़े धूम-धाम से राजस्थान वासियों द्वारा मनाया गया है।


राजस्थान दिवस का इतिहास / राजस्थान राज्य की स्थापना / राजस्थान का इतिहास -

राजस्थान शब्द का अर्थ है- ‘राजाओं का स्थान’ अर्थात यहाँ अनेक वीर राजाओं ने राज्य किया है और अपने प्रजा के लिए अपना बलिदान दिया है। वीर तो वीर, वीरांगनाएं भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में नहीं झिझकीं। शौर्य और साहस ही नहीं बल्कि हमारी धरती के सपूतों ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाकर देश-दुनिया में राजस्थान के नाम को चांद-तारों सा चमका दिया। आज यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि जाति के लोग यहाँ रहते है। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आज़ाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता-हस्तांतरण की कार्यवाही शुरू की, तभी लग गया था कि आज़ाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आज़ादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ सी मच गयी थी, उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगालिक स्थिति के नजरिये से देखें तो राजपूताना के इस भूभाग में कुल बाईस देशी रियासतें थी। इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग के अनुसार 'दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान कहा जा सकता है।'


राजस्थान राज्य में जन्में भारत के कई वीरों के नाम -

राजस्थान की धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है। यहां धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी को पराजित किया। कहा जाता है कि ग़ोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था जिसमें 17 बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी ने भी यह जन्म लिया जिन्होंने हाथों से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था। राणा सांगा का जन्म राजस्थान में हुआ था जिन्होंने सौ से भी ज्यादा युद्ध लड़कर साहस का परिचय दिया था। पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा (पाली) के ठाकुर मोहकम सिंह भी राजस्थान के थे जिनकी रानी बाघेली का बलिदान भी अमर है। राजस्थान राज्य के जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं।


किन सात चरणों से हुई राजस्थान राज्य की स्थापना -
  • 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर 'मत्स्य संघ' बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी।
  • 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ व शाहपुरा का विलय होकर राजस्थान संघ बना।
  • 18 अप्रॅल, 1948 को उदयपुर रियासत का विलय। नया नाम 'संयुक्त राजस्थान संघ' रखा गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह राजप्रमुख बने।
  • 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।
  • 15 अप्रॅल, 1949 को 'मत्स्य संघ' का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय हो गया।
  • 26 जनवरी, 1950 को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।
  • 1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, मध्य प्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।

राजस्थान दिवस क्यों मनाया जाता है -

प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 के दिन जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है। राजस्थान राज्य की स्थापना 30 मार्च, 1949 को हुई थी । इसी के उपलक्ष में राजस्थान में प्रतिवर्ष 30 मार्च को पुरे राजस्थान राज्य के नगरवासियों द्वारा 'राजस्थान दिवस' के रूप में मनाया जाता है।


राजस्थान दिवस कैसे मनाया जाता है -

प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को 'राजस्थान दिवस' अथवा 'राजस्थान स्थापना दिवस' मनाया जाता है। इस दिन पूरे राजस्थान में तरह तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं । इस दिन राजस्थान के लोग अपनी कला दिखाते हैं । सभी सरकारी डिपार्टमेंटो में राजस्थान दिवस मनाया जाता है और मिठाइयां बांटी जाती हैं । राजस्थान राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर 30 मार्च की शाम को जयपुर स्थित जनपथ पर राजस्थान दिवस समारोह के तहत कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनके अलावा लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां, पुलिस के जवानों द्वारा मोटरसाईकिलों पर साहसिक स्टंट्स कैरियर और सिंक्रनाइज साउंड व लाइट शो भी आयोजित किए जाते है। इस दौरान पुलिस के घोड़ों और ऊंटों का एक जुलूस भी निकाला जाता है। समारोह का समापन डांस ग्रुप द्वारा वंदे मातरम् की प्रस्तुति के साथ होता है।


उपसंहार -

राजस्थान की राजधानी जयपुर है। जयपुर को छोटी मुंबई भी कहा जाता है । राजस्थान में कई किलों प्रसिद्ध है जो आज भी सुंदर दिखाई देता है । यहां पर कई विदेशी पर्यटक घूमने के लिए आते हैं । राजस्थान में अनेकों किले मौजूद है जिन किलों को घूमने के लिए देश ,विदेश के लोग आते हैं । राजस्थान दिवस के दिन सभी इन किलो में घूमने के लिए आते हैं । इन किलो की दीवारों पर पुरानी संस्कृति एवं कला दिखती है । जब हम पुरानी कला एवं संस्कृति को देखते हैं तब हमें बहुत ही आनंद आता है । प्राचीन समय में जब राजा महाराजा हाथी की सवारी करते हुए शहरों का भ्रमण करते थे तब उनको देखने के लिए चारों तरफ की जनता एकत्रित हो जाती थी । आज राजस्थान के किला, राजस्थान की संस्कृति एवं कला को देश-विदेशों में पसंद किया जाता है । हम सभी लोगों को यह कोशिश करनी चाहिए कि हम हमारे राजस्थान को बेहतर से बेहतर बनाये रखने का ध्यान देना चाहिए जिससे की आने वाले कल के युवाओं इस राज्य का महत्व और दृश्य को देख और समझ सके।


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