अंतरराष्ट्रीय नाच दिवस पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस 2021 - अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास - नृत्य की उत्पत्ति - भारत के प्रमुख नृत्य कौन-कौन से हैं - अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस क्यों मनाते है - अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस कैसे मनाते है - अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का उद्देश्य - उपसंहार।

प्रस्तावना / अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस -

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस को अंग्रेज़ी में 'International Dance Day' कहते हैं। हर साल 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्मदिवस के अवसर पर यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस कब मनाया जाता है / अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस 2021 कब है / अंतर्राष्ट्रीय नाच दिवस कब मनाया जाता -

हर साल 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस अथवा अंतर्राष्ट्रीय नाच दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस 29 अप्रैल को गुरुवार के दिन मनाया जायेगा।


अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास / अंतरराष्ट्रीय नाच दिवस की शुरुवात -

प्रत्येक वर्ष दुनियाभर में 29 अप्रैल को ‘अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस’ मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्मदिवस के अवसर पर यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।


नृत्य की उत्पत्ति / डांस की मूल -

एक रिपोर्ट के अनुसार आज से लगभग २००० वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरतमुनि के सौ पुत्रों ने किया। आज विश्व में नृत्य एक अपनी अलग पहचान बना ली है। आज विश्वभर में करोड़ो लोगों को नृत्य करना, नृत्य देखना पसंद है।


भारत के प्रमुख नृत्य / भारत के प्रमुख नृत्य कौन-कौन से हैं / भारत के प्रमुख नृत्य इन हिंदी -

भारत में कई प्रकार का नृत्य देखने तथा सिखने के लिए लोग पसंद करते है। भारत के प्रमुख नृत्य के नाम कुछ इस प्रकार है।

  • कथकली / कथकली क्या है / कथकली नृत्य / कथकली किस राज्य का नृत्य है
  • कथकली नृत्य 17वीं शताब्दी में केरल राज्य से आया। इस नृत्य में आकर्षक वेशभूषा, इशारों व शारीरिक थिरकन से पूरी एक कहानी को दर्शाया जाता है। इस नृत्य में कलाकार का गहरे रंग का श्रृंगार किया जाता है, जिससे उसके चेहरे की अभिव्यक्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके।

  • मोहिनीअट्टम / मोहिनीअट्टम नृत्य / मोहिनीअट्टम नृत्य कहा का है
  • मोहिनीअट्टम नृत्य केरल राज्य का है। मोहिनीअट्टम नृत्य कलाकार का भगवान के प्रति अपने प्यार व समर्पण को दर्शाता है। इसमें नृत्यांगना सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद सा़ड़ी पहनकर नृत्य करती है, साथ ही गहने भी काफी भारी-भरकम पहने जाते हैं। इसमें सादा श्रृंगार किया जाता है।

  • ओडिसी / ओडिसी नृत्य / ओडिसी किस राज्य का नृत्य है
  • ओडिसी ओडिशा राज्य का प्रमुख नृत्य है। उ़ड़ीसा राज्य का यह प्रमुख नृत्य भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आराधना व प्रेम दर्शाने वाला है। इस नृत्य में सिर, छाती व श्रोणि का स्वतंत्र आंदोलन होता है। भुवनेश्वर स्थित उदयगिरि की पहा़ड़‍ियों में इसकी छवि दिखती है। इस नृत्य की कलाकृतियाँ उड़ीसा में बने भगवान जगन्नाथ के मंदिर पुरी व सूर्य मंदिर कोणार्क पर बनी हुई हैं।

  • कथक / कथक लोक नृत्य
  • इस नृत्य की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश से की गई, जिसमें राधाकृष्ण की नटवरी शैली को प्रदर्शित किया जाता है। कथक का नाम संस्कृत शब्द कहानी व कथार्थ से प्राप्त होता है। मुगलराज आने के बाद जब यह नृत्य मुस्लिम दरबार में किया जाने लगा तो इस नृत्य पर मनोरंजन हावी हो गया।

  • भरतनाट्यम / भरतनाट्यम किस राज्य का नृत्य है / भरतनाट्यम नृत्य
  • यह शास्त्रीय नृत्य तमिलनाडु राज्य का है। पुराने समय में मुख्यतः मंदिरों में नृत्यांगनाओं द्वारा इस नृत्य को किया जाता था। जिन्हें देवदासी कहा जाता था। इस पारंपरिक नृत्य को दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है। यह पारंपरिक नृत्य पूरे विश्व में लोकप्रिय माना जाता है। भरतनाट्यम तमिलनाडु राज्य का नृत्य है।

  • कुचिपुड़ी / कुचिपुड़ी नृत्य कहाँ आरंभ हुआ / कुचिपुड़ी डांस
  • आंध्रप्रदेश राज्य के इस नृत्य को भगवान मेला नटकम नाम से भी जाना जाता है। इस नृत्य में गीत, चरित्र की मनोदशा एक नाटक से शुरू होती है। इसमें खासतौर से कर्नाटक संगीत का उपयोग किया जाता है। साथ में ही वायलिन, मृदंगम, बांसुरी की संगत होती है। कलाकारों द्वारा पहने गए गहने ‘बेरुगू’ बहुत हल्के लक़ड़ी के बने होते हैं। कुचिपुड़ी नृत्य आंध्रप्रदेश राज्य का नृत्य है।

  • मणिपुरी / मणिपुरी डांस
  • मणिपुरी राज्य का यह नृत्य शास्त्रीय नृत्यरूपों में से एक है। इस नृत्य की शैली को जोगाई कहा जाता है। प्राचीन समय में इस नृत्य को सूर्य के चारों ओर घूमने वाले ग्रहों की संज्ञा दी गई है। एक समय जब भगवान कृष्ण, राधा व गोपियाँ रासलीला कर रहे थे तो भगवान शिव ने वहाँ किसी के भी जाने पर रोक लगा दी थी, लेकिन माँ पार्वती द्वारा इच्छा जाहिर करने पर भगवान शिव ने मणिपुर में यह नृत्य करवाया।


अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस क्यों मनाया जाता है -

विश्वभर में जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस कैसे मनाया जाता है -

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के दिन विश्व भर में अलग-अलग जगह डांस का कार्यक्रम किये जाते है। इस दिन सभी डांस कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। कार्यक्रम के दौरान अच्छे नृत्य अथवा डांस करने वाले प्रतियोगी को पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इस दिन कई जगह नृत्य से सम्बंधित गतिविधियां रखी जाती है जहाँ बड़े-बड़े कलाकारों के उपस्थिति में विभिन्न प्रकार के नृत्य की प्रतियोगिता कराये जाते है और सबसे सूंदर नृत्य करने वाले को कलाकारों द्वारा सम्मानित किया जाता है।


अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का उद्देश्य -

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरुकता फैले। साथ ही सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराना था। साल 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। लोगों के अंदर नृत्य के प्रति जागरूक करने का यह दिवस का उद्देश्य है।


उपसंहार -

हर साल 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। एक रिपोर्ट के अनुसार आज से लगभग २००० वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। भारत के प्रमुख नृत्य में कथकली नृत्य, मोहिनीअट्टम नृत्य, ओडिसी नृत्य, कथक लोक नृत्य, कुचिपुड़ी नृत्य, मणिपुरी डांस आदि नृत्य शामिल है। लोगों के अंदर नृत्य के प्रति जागरूक करना नृत्य दिवस का उद्देश्य है।

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