स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

ADVERTISEMENT

स्वतंत्रता दिवस 2021 पर निबंध - स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी निबंध - 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में - 15 अगस्त पर निबंध - स्वतंत्रता दिवस का निबंध - स्वतंत्रता दिवस पर निबंध हिंदी में - स्वतंत्रता दिवस निबंध - Hindi Essay on Independence Day - Essay for Independence Day in Hindi - 15 August per Nibandh - Essay on Independence Day in Hindi Language - Independence Day Essay in Hindi Language - Swatantrata Diwas par Nibandh - About Independence Day in Hindi

रूपरेखा : प्रस्तावना - भारत की गुलामी का इतिहास - राष्ट्र का सिद्धांत - स्वतंत्रता दिवस समारोह - सरकारी स्तर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह - अन्य कारणों से महत्त्वपूर्ण दिन - उपसंहार।

परिचय | स्वतंत्रता दिवस की प्रस्तावना -

स्वतंत्रता दिवस अर्थात वह दिवस जब देश स्वतंत्र हुआ यानी आजाद हुआ था। यह हर भारतीय के लिए एक गर्व की बात है क्योंकि 15 अगस्त सन 1947 में भारत देश आज़ाद हुआ था और इस आज़ादी के पीछे रिपोर्ट के अनुसार लगभग 25 लाख भारतीयों ने कुर्बानी दी थी तब जाकर भारत आज़ाद देश कहा जाने लगा।

स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त के दिन सभी सरकारी दफ्तरों में छुट्टी होती है और विद्यालयों और स्कूलों में कार्यक्रम रखा जाता है जिसमें देशभक्ति गीत तथा अभिनय भी किया जाता है तथा किसी मुख्य अतिथि को बुलाकर विद्यार्थियों को संबोधित भी किया जाता है।


भारत की गुलामी का इतिहास | स्वतंत्रता दिवस का इतिहास -

स्वतंत्रता दिवस का शुभ दिन भारत के राजनीतिक इतिहास में सबसे अधिक महत्त्व का है। आज ही हमारी सघन कलुप-कालिमाययों दासता की लौह श्रृंखला टूटी थीं। आज ही स्वतंत्रता के प्रभात के दर्शन हुए थे। आज ही दिल्‍ली के लालकिले पर पहली बार यूनियन जैक के स्थान पर सत्य और अहिंसा का प्रतीक तिरंगा झंडा स्वतंत्रता की हवा के झोंकों से लहराया था। आज ही हमारे नेताओं के चिरसंचित स्वप्न चरितार्थ हुए थे। आज ही युगों के पश्चात शंख-ध्वनि के साथ जयघोप और पूर्ण स्वतंत्रता का उद्घोष हुआ था।

भारत आदि से हिन्दू-भूमि रहा है। पृथ्वीराज को परास्त करने के लिए राजा जयचन्द द्वारा विदेशी बादशाह मोहम्मद गौरी की सहायता लेना और पृथ्वीराज ड्रुरा गौरी को 17 बार परास्त करके बंदी न बनाने की ऐतिहासिक भूल ने हिन्दु-भुमि पर इडलाम का शासन स्थापित करवा दिया। मुगलों ने लगभग 1200 वर्ष तक भारत पर शारिवाक इसके बाद कूटनीनिज्ञ अंग्रेजों ने एयाश, विलासी और गद्दी-प्राप्ति के लिए रिक पड़्यंत्रों में संलग्न मुगल सल्तनत को जड़ें खोद कर ब्रिटिश राज्य स्थापित किया।

लगभग 200 वर्ष अंग्रेजों ने भारत में राज्य किया । उन्होंने भारत को एकसूत्र में पिरोकर एकात्मता के दर्शन करवाए। वैज्ञानिक उन्नति से देश को प्रगति-पथ पर अग्रसर किया। "लॉ एण्ड आर्डर"! की आदर्श व्यवस्था प्रस्तुत की। कूटनीति से श्रीलंका और बर्मा को भारत से अलग कर उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया। बंगाल को भी उन्होंने दो भागों में विभाजित करने की चेष्टा की थी, पर जनमत विरोध के कारण वे उसमें सफल न हो सके।


राष्ट्र का सिद्धांत -

राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस ने ब्रिटिश राज्य को उखाड़ने के लिए अहिंसात्मक सत्याग्रह आन्दोलनों को अपनाया। क्रांतिकारियों ने सशस्त्र आक्रमणों द्वारा ब्रिटिश राज्य की नींद हराम की। सुभाषचन्द्र बोस द्वारा निर्मित 'आजाद हिन्द फोज' ने सैन्य बल से ब्रिटिश भारत पर आक्रमण किया। भारत स्वतन्त्र तो हुआ, किन्तु अंग्रेजों की कुटनीति, मुसलमानों की हिंसक प्रवृनि तथा कांग्रेस के कर्णधारों के नैतिक हास के कारण, द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के आधार पर विभाजित होकर। ट्वि-राष्ट्र सिद्धांत था मुस्लिम गष्ट्र पाकिस्तान और हिन्दू- राष्ट्र हिन्दुस्तान । 14 अगस्त, 1947 को मुस्लिम-राष्ट्र पाकिस्तान का निर्माण होने पर हो 15 अगस्त, 1947 को यूनियन जैक भारत से उतरा।


सरकारी स्तर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह -

15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ। अत: 15 अगस्त भारत का स्वतंत्र जन्म दिवस है। राष्ट्रीय-जीवन में हर्ष और उल्लास का दिन है। स्वतंत्रता की दीर्घायु की कामना का दिन है। इसलिए प्रांतों की राजधानियाँ तथा राष्ट्र की राजधानी दिल्ली राष्ट्रीय ध्वजों से सजाई जाता हैं। सरकारी राष्ट्रीय भवनों को विद्युत दीपों से अलंकृत किया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य कार्यक्रम दिल्‍ली के लाल किले पर होता है। प्रातःकाल से ही लोग 'लालकिले 'पर पहुँचना प्रारंभ कर देते हैं । लालकिले के सामने का मैदान और सड़कें खचाखच भरी होती हैं। जन-समूह उमड़ पड़ता है।

प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व समारोह का आँखों देखा हाल सुनाने वालों द्वारा आजादी की लड़ाई तथा ऐतिहासिक चाँदनी चौक के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है । साथ ही ध्वनि-विस्तारक से राष्ट्रीय गीतों ओर धुनों से जन-जन में राष्ट्रीय भावनाएँ जागृत की जाती हैं। प्रधानमन्त्री के आगमन पर स्वतन्त्रता समारोह का शुभारम्भ होता है । जल, थल और नभ, तीनों सेनाओं को सैनिक टुकड़ियाँ तथा राष्ट्रीय छात्र सैन्य दल के छात्र-छात्राएँ सलामी देकर प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं । सैनिक बैंड अपनी मोहक धुन से स्वागत में माधुय-वृद्धि करता है।

प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर पहुँच कर जन-जन का अभिनन्दन स्वीकार करते हैं। राष्ट्रीय ध्वज को लहराते हैं। ध्वजारोहण पर ध्वज को 31 तोपों की सलामी दी जाती है। प्रधानमंत्री ध्वजारोहण के उपरान्त राष्ट्र के स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हैं । स्वतंत्रता के लिए न्यौछावर हुए शहोदों को स्मरण करते हैं। देश के कष्टों, कठिनाइयों, विपदाओं को चर्चा कर, उनसे राष्ट्र को मुक्त कराने का संकल्प करते हैं। देश की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हैं। वर्ष-भर की उपलब्धियों पर हर्ष प्रकट करते हैं । राष्ट्र की शक्ति को निर्बल करने वाले आन्तरिक और बाद्य तत्त्वों पर प्रहार करते हैं । राष्ट्र को शत्रुओं के नापाक इरादों से सावधान करते हैं। भाषण के अन्त में तीन बार 'जयहिन्द' का घोष करते हैं, जिसे लाखों कंठ दुहराते हैं। अन्त में राष्ट्रीय गीत के साथ प्रातः:कालीन समारोह समाप्त होता है।


अन्य कारणों से महत्वपूर्ण दिन -

स्वतंत्रता दिवस अन्य कारणों से भी महत्त्वपूर्ण दिन है। पॉण्डिचेरी के संत महर्षि अरविन्द का जन्म दिन है। स्वामी विवेकानन्द के गुरु स्वामी रामकृष्णपरमहंस की पुण्य-तिथि है। भारत के सभी प्रान्तों में भी सरकारी स्तर पर यह पर्व मनाया जाता है। प्रभात-फेरियाँ निकलती हैं । मुख्यमंत्री पुलिस-गार्ड की सलामी लेते हैं । राज्य सचिवालयों पर राष्ट्रीय-ध्वज लहराया जाता है, आतिशबाजी छोड़ी जाती हैं और गण्यमान्य नागरिकों को भोज दिया जाता है।

सायंकाल सरकारी भवनों (विशेषकर लालकिले) पर रोशनी की जाती है। आतिशबाजी छोड़ी जाती है । प्रधानमंत्री दिल्‍ली के प्रमुख नागरिकों, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, विभिन्‍न धर्मों के आचार्यो और विदेशी राजदूतों एवं कूटनीतिज्ञों को सरकारी भोज पर निमन्त्रित करते हैं। इस प्रकार यह दिन हँसी-खुशी से बीत जाता है।


उपसंहार -

स्वतंत्रता दिवस राष्ट्र-स्वातन्त्रय के लिए न्यौछावर हुए शहीदों की याद का दिन है। इस दिन शहीदों की चिताओं के प्रतीक रूप में निर्मित "शहीद ज्योति" का अभिनन्दन किया जाता है। राष्ट्र को परतन्त्रकाल से नेतृत्व प्रदान करने वाले शहीद महात्मा गाँधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन चढ़ाकर शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। पन्द्रह अगस्त प्रतिवर्ष आता है और 'हम स्वतन्त्र हैं और स्वतन्त्र रहेंगे', यह भाव जागृत कर चला जाता है । राष्ट्र और राष्ट्रीयवा की हल्की-सी हलचल उत्पन्न कर जाता है । वर्ष में राष्ट्र ने क्या खोया और क्या पाया' का हिसाब प्रस्तुत कर जाता है। थोड़ी देर के लिए ही सही भारतमाता और भारत की स्वतन्त्र-सत्ता के लिए कर्तव्य- भाव जगा जाता है।

आइए, हम राष्ट्र-ध्वज को नमन करें, अपने राष्ट्रीय संकल्प को दुहराएं तथा स्वयं को राष्ट्र के गौरव एवं भारतीय-जन के कल्याण के लिए पुनः समर्पण की प्रतिज्ञा करें।


ADVERTISEMENT