ईस्टर संडे पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - ईस्टर दिवस 2021 - ईस्टर दिवस का इतिहास - ईस्टर डे का मतलब - ईस्टर दिवस क्यों मनाया जाता है - ईस्टर दिवस कैसे मनाया जाता है - ईस्टर संडे का महत्व - उपसंहार।

प्रस्तावना -

ईस्टर दिवस को अंग्रेजी में 'Easter Day' कहते है। ईस्टर ईसाइयों का बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है। महाप्रभु ईसा मसीह (यीशु मसीह) मृत्यु के तीन दिनों के बाद फिर जी उठे थे। उनके पुनरुत्थान की स्मृति में यह पर्व संपूर्ण ईसाई जगत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हर वर्ष 21 मार्च के बाद पूर्णिमा के पहले रविवार को मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर 21 मार्च से 25 अप्रैल के बीच पड़ता है। ईस्टर दिवस हर साल रविवार के दिन ही मनाया जाता है इसीलिए इसे 'ईस्टर संडे' भी कहते है।


ईस्टर दिवस कब है / ईस्टर कब है / ईस्टर संडे कब मनाया जाता है -

ईस्टर पर्व हर वर्ष 21 मार्च के बाद पूर्णिमा के पहले रविवार को ईसाइयों लोगों द्वारा मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, 4 अप्रैल रविवार के दिन मनाया गया है। दुनियाभर के ईसाई इस दिन यीशु मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मनाती है।


ईस्टर दिवस का इतिहास / ईस्टर संडे की कहानी / यीशु मसीह की कहानी / ईसा मसीह की कहानी / ईस्टर डे का इतिहास -

ईसाईयों के गुरु के अनुसार दो हजार वर्ष पूर्व यरूशलम के पहाड़ों पर यहूदियों एवं रोमन सरकार ने ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया गया था, जिस कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी। महाप्रभु ईसा मसीह (यीशु मसीह) की भयानक और हृदयद्रावक मृत्यु के पश्चात उनके अनुयायी पूर्णतः निराश हो उठे। उन्होंने अपनी सारी आशाएँ ईसा में लगा रखी थीं। उनकी मृत्यु के बाद तो अनुयायियों की उम्मीदों का महल ही भहरा उठा। उनकी जिंदगी के ऊपर खतरे की डरावनी तलवार लटक रही थी। मृत्यु के भय से उन्होंने अपने को उस ऊपर के कमरे में छिपा लिया, जिसमें उन्होंने महाप्रभु के साथ रात्रि में भोजन किया था। वे शिष्य ईसा के साथ लगातार तीन परमानंददायी वर्षों तक रहे थे। ईसा के शब्दों के मोती उन्होंने हंस की तरह चुगे थे। ईसा से उन्होंने आस्था और प्रेरणा की सुनहली किरणें पाई थीं। अब तो उनके प्रभु परलोक सिधार चुके थे। अमृतवाणी बरसानेवाला मुख आज मौन था, बिलकुल निःस्पंद। उन बेचारे मछुओं के लिए अब बचा ही क्या था। वे उदास-हताश बैठे थे, इतने उदास-हताश कि आपस में दो-चार शब्द बोलना भी उनके लिए संभव नहीं हो रहा था। माना जाता है कि यीशु की मृत्यु होने के उपरांत उनके मृत शरीर को कब्र में दफन कर दिया गया था। लेकिन मौत के तीन दिवस बाद रविवार के दिन ईसा मसीह कब्र में से जीवित हो उठे। कहा जाता हैं ईसा पुनः जीवित होकर किसी धर्म या जाति की स्थापना करने के लिए नहीं आये बल्कि वह प्रेम और सत्य का संदेश बांटने के लिए आये थे। ईसा मसीह जीवित होने के बाद करीब 40 दिनों तक अपने भक्तों को दर्शन देते रहे। ऐसा माना जाता है कि आज भी यीशु की कब्र खुली हुई है।


ईस्टर डे का मतलब / ईस्टर संडे का अर्थ -

ईस्टर शब्द की उत्पत्ति जर्मन के 'ईओस्टर' शब्द से हुई जिसका मतलब होता है देवी। इसे ईसाई समुदाय के लोग बसंत की देवी भी मानते हैं। जिसे लोग बड़े ही उत्साह से सम्पूर्ण विश्व में मनाते हैं। इसके बारे मे एक मान्यता है कि जिस प्रकार एक उदासी से भरा माहोल रहता है लेकिन बसंत आने पर माहौल खुशनुमा हो जाता है उसी तरह शैल (खोल) यीशु की कब्र के बारे मे दर्शाता है।


ईस्टर दिवस क्यों मनाया जाता है / ईस्टर संडे क्या होता है -

हर साल 21 मार्च के बाद पूर्णिमा के पहले रविवार को ईस्टर दिवस मनाया जाता है। ईस्टर दिवस हर साल रविवार के दिन ही मनाया जाता है इसीलिए इसे ईस्टर संडे भी कहते है। ईस्टर क्रिसमस की तरह धूमधाम और बाहरी तड़क-भड़क के साथ नहीं मनाया जाता, तथापि यह ईसाइयों के सभी पर्वों में महत्तम है। सेंट पॉल के कथन के अनुसार, ''यदि ईसा जीवित नहीं होते, तो हमारा विश्वास खंडित हो जाता।'' इस त्यौहार का सबसे पहला जिक्र दूसरी शताब्दी में मिलता है । प्रथम परिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया कि त्योहार स्वतंत्र संगणना के माध्यम से मनाया जाएगा। तब से, इस दिन को 21 मार्च के बाद के पहले चाँद के बाद पहले रविवार को मनाया जाता है। इसाईओं की सच्ची श्रद्धा और अपने गुरु के प्रति अपने अंदर अटूट विश्वास को बनाये रखने के लिए प्रति वर्ष इसे एक दिवस के रूप में मनाया जाता है।


ईस्टर दिवस कैसे मनाया जाता ईस्टर दिवसहै / ईस्टर संडे कैसे मनाते है / ईस्टर डे मनाने के तरीके -

ईस्टर पर्व दुनिया भर में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। ईस्टर दिवस या ईस्टर डे पर्व के अवसर पर ईसाईयों लोगों द्वारा इस दिन लोग रात्रि को गिरजाघरों में इकट्ठा होकर मोमबत्ती जलाते हैं और पूरी रात ईसा मसीह का नाम लेकर उनके द्वारा किये गये सन्देशों को याद करते हुए रात्रि जागरण करते हैं। ईस्टर संडे के दिन लोग इकट्ठा होकर सुबह फिर से गिरजाघरो में मोमबत्ती जलाकर ईसा के पुनः जीवित होने की खुशी मनाते हैं। इस दिन वह ईसा की आराधना के साथ भोज में भी सम्मिलित होते हैं एवं एक दूसरे को ईसा मसीह के पुनः जीवित होने की शुभकामनाएं भी देते हैं। ईस्टर में अंडो को बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। अंडा ईसाई समुदाय के पुनरुत्थान का प्रतीक है, इसलिए ईस्टर में अच्छी तरह से सजाए गए अंडे और अंडे का शिकार बहुत महत्वपूर्ण होता है। ईस्टर के दिन अंडे की आकार के चॉकलेट, खरगोश और मार्शमेलो गिफ्ट में दी जाती हैं। इतना ही नहीं इस दिन ईसाई समुदाय के लोग अपने घरों में भी सजी हुई मोमबत्तियां लाकर जलाते हैं एवं मोमबत्तियों को अपने दोस्तो व रिश्तेदारों में वितरित कर भोज भी करते हैं। दुनिया भर के ईसाई इस प्रमुख त्यौहार के दिन चर्च की प्राथना में भाग लेते हैं और आपने परिवार और रिश्तेदारों को दावत देते हैं।


ईस्टर संडे का महत्व / ईस्टर दिवस का महत्व -

ईस्टर दिवस के दिन सभी ईसाई के चेहरे पर एक खुशियाँ दिखाई देती है क्यूंकि इस दिन उनके गुरु इसा मसीह पूर्ण जीवित हुए थे। यही इस दिवस के महत्व को दर्शाता है। इस दिन लोग अपने परिवारों, मित्रों और रिश्तेदारों को दावत पर बुलाते है और सभी लोग मिलकर इस दिवस को पर्व के रूप में मनाते है। ईस्टर में अड़े को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है, क्योंकि जिस तरह चिड़िया सबसे पहले अपने घोंसले में अंडा देती है उसके बाद उसमें से चूजे निकलते हैं। इसी तरह यहा अंडे को शुभ माना जाता है. ईस्टर में अंडे का बहुत तरीके से उपयोग किया जाता है। यह शुभ संकेत होता हैं जो लोगों में उत्साह भर देता है।


उपसंहार -

ईस्टर एक पवित्र त्योहार है जो दुनिया भर के चर्चों में ईसाई समुदाय द्वारा मनाया जाता है। त्योहार के पारंपरिक उत्सव में यीशु मसीह की प्रशंसा में गाए जाने वाले विशेष प्रार्थनाओं के साथ एक मंद रोशनी वाला चर्च शामिल है। इसके बाद एक विस्तृत संडे मास होता है, जिसकी पृष्ठभूमि में खुशहाल संगीत बजाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन ईसा मसीह का पुर्नजन्म हुआ था और और वो एक बार फिर से अपने शिष्यों के साथ रहने लगे थे। इसीलिए ईस्टर को मृतोत्थान दिवस या मृतोत्थान रविवार भी कहते हैं। ईस्टर में अंडो को बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। अंडा ईसाई समुदाय के पुनरुत्थान का प्रतीक है।


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