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रुपरेखा : प्रस्तावना - विश्व दमा दिवस २०२१ - दमा किसे कहते है - दमा दिवस का इतिहास - दमा के कारण - दमा के लक्षण - दमा का बढ़ता ख़तरा - दमा दिवस का उद्देश्य - दमा दिवस का थीम - उपसंहार।
प्रस्तावना / विश्व दमा दिवस / विश्व अस्थमा दिवस / दमा दिवस -'विश्व दमा दिवस' या 'विश्व अस्थमा दिवस' को अंग्रेजी में 'World Asthma Day' कहते हैं। ये हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में मनाये जाने का घोषित किया गया है। अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। दमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अपने स्वास्थ्य को समझकर, दमा या दमा के मरीज़ भी मौसम का मज़ा ले सकते हैं। वातावरण में मौजूद नमी दमा के मरीज़ों को कई प्रकार से प्रभावित करती है।
प्रत्येक वर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में 'दमा दिवस' या 'विश्व अस्थमा दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 2021 में, विश्व दमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार यांनी 4 मई मंगलवार के दिन मनाया जायेगा। विश्व दमा दिवस 2020 की थीम “Enough Asthma Deaths” है। विश्व दमा दिवस 2021 की थीम "दमा की गलत धारणा को उजागर करना" है।
दमा या दमा श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है। इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है, छाती मे कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है।
वर्ष 1998 में इस दिवस को मनाने की शुरूआत की गई थी। इस दिन संपूर्ण विश्व में दमा के रोगियों को दमा नियंत्रित रखने के लिए प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को दमा बीमारी के बारे में जागरूक करना।
दमा का एटैक आने के बहुत से कारण होते है। इनमें वायु का प्रदूषण भी एक कारण है। एलर्जी के अलावा भी दमा होने के बहुत से कारणों में से कुछ इस प्रकार है-
दमा के कई लक्षण होते है। इससे पहली बात जो मन में आती है, वह है साँस लेने में कठिनाई। दमा का रोग या तो अचानक शुरू होता है या खाँसी, छींक या सर्दी जैसे एलर्जी वाले लक्षणों से शुरू होता है।
बदलती जीवन शैली युवाओं के लिए खतरा बन गई है। शहरों में खत्म होते खेल मैदान से बढ़ा इंडोर गेम्स का चलन युवाओं को दमा का मरीज बना रहा है। हालात इतने खतरनाक हैं कि दमा के कुल मरीजों में अब युवाओं और बच्चों की संख्या बड़ों से दोगुनी हो गई है। विशेषज्ञों की मानें तो खेल मैदान की कमी के चलते युवा इंडोर गेम्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इंडोर गेम्स के दौरान घर के पर्दे, गलीचे व कारपेट में लगी धूल उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। इससे उनमें एलर्जी और दमा की समस्या हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हम युवाओं के लिए संतुलित जीवन शैली का चुनाव नहीं करेंगे, यह समस्या ब़ढ़ती ही जाएगी। इतना ही नहीं घर की चहारदीवारी में बंद रहने वाले युवा जब कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो वातावरण के धूल व धुएँ के कण से भी उन्हें एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। एलर्जी और दमा के लक्षण बच्चों में उस समय प्रकट होते हैं, जब मौसम में कोई बदलाव होता है।
विश्व दमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को दमा बीमारी के बारे में जागरूक करना। विश्व दमा दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर दमा (जीआईएनए) द्वारा किया जाता है। वर्ष 1998 में पहली बार बार्सिलोना, स्पेन सहित 35 देशों में विश्व दमा दिवस मनाया गया।
एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में दमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़ है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु दमा से पीड़ित हैं। वायरल इंफेक्शन (विषाणु द्वारा संक्रमण) से ही दमा की शुरुआत होती है। युवा यदि बार-बार सर्दी, बुखार से परेशान हों तो यह एलर्जी का संकेत है। सही समय पर इलाज करवाकर और संतुलित जीवन शैली से बच्चों को एलर्जी से बचाया जा सकता है। समय पर इलाज नहीं मिला, तो धीरे-धीरे वे दमा के मरीज बन जाते हैं। विश्व दमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को दमा बीमारी के बारे में जागरूक करना है।
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