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रूपरेखा : प्रस्तावना - डायरी में दैनिक कार्यों का विवरण - विद्यार्थी एक अच्छा लेखक - डायरी में मन की बात को लिखना - डायरी में विद्यार्थी के चरित्र - डायरी विद्यार्थी का ईमानदार साथी - डायरी में विद्यार्थी का कार्यक्षमता और कार्यकौशल का परिचायक - उपसंहार।
परिचय | एक विद्यार्थी की डायरी की प्रस्तावना -विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी के कई किस्से सुनने एवं देखने को मिलते है। उन्ही में से एक किस्सा विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी की डायरी का है। विद्यार्थी अपने जीवन का लेखा जोखा डायरी में लिखना पसंद करते है। कुछ विद्यार्थी अपने मन के भावो को लोगो के समक्ष कहने से हिचकते है। यही वजह है कि वह अपनी सारी अनकही बातें डायरी में लिखते है। अपने दैनिक जीवन के अनुभव, कुछ अच्छी बुरी बातें इत्यादि डायरी में लिखकर अपने भावो को व्यक्त करते है। विद्यार्थी अपने रोज़मर्रा जीवन में घटने वाले महत्वपूर्ण कार्यो को लिखते है। डायरी में लिखने से विद्यार्थी के मन में दबे जज़्बातों को आवाज़ मिलती है और उनका भारी मन हल्का हो जाता है।
विद्वानों का कहना है कि महत्वपूर्ण दैनिक कार्यों के विवरण से युक्त पुस्तिका डायरी कहलाती है। स्वानुभूति के अतरंग भावों का दैनिक लेखा-जोखा डायरी है। प्रतिदिन देखी हुई दुनिया और भोगे हुए अनुभवों की अभिव्यक्ति का माध्यम डायरी है। रोजनामचा, दैनिकी, दैनंदिनी डायरी के पर्यायवाची हैं। डायरी में लेखक के मन पर पड़े प्रभाव उसी दिन लिखित रूप प्राप्त कर लेते हैं अतः डायरी उसके लेखक के व्यक्तित्व प्रकाशन का सर्वाधिक प्रमाणिक माध्यम है। स्पष्ट कथन, आत्मीयता तथा निकटता डायरी की विशेषताएं हैं।
डायरी के माध्यम से विद्यार्थी के अंदर एक सच्चा और अच्छा लेखक का जन्म होता है। कुछ विद्यार्थी अच्छे लेखक होते है। वह शायरी, कहानी और कविताएं अपने डायरी में लिखते है। डायरी को वह ऐसे गुप्त जगह पर रखते है ताकि कोई उसे पढ़ ना ले जब तक वह ना चाहे। डायरी में लेख लिखकर वह अपने लेखन परिचय का उदहारण देते है। डायरी विद्यार्थियों के लिए एक बेहतरीन लेखन माध्यम है। वे निस्वार्थ भाव से अपनी जीवन में खटित घटना का सही तरीके से प्रस्तुत करता है। अपने दृस्टि से देखी हुई घटना को बिना हेरफेर किये डायरी में उतरता है।
विद्यार्थी का कार्य क्षेत्र सीमित है, किंतु अनुभव संसार विशाल और विस्तृत है। आज भारत में अप्रत्याशित घटनाओं का बाहुल्य है। विद्यार्थी की डायरी सीमित क्षेत्र में भी अनुभूति की दृष्टि से व्यापकता लिए हो सकती है। विद्यार्थी जीवन में घटित विभिन्न परिस्थितियों के बारें में डायरी लिखते है। विद्यार्थी अपने विद्यालय में हुए घटनाओ को लिखते है।
विद्यालय में कोई अनपेक्षित प्रसंग आ गया। विद्यालय जाते मार्ग में कोई दुर्घटना देख ली, बस में चढ़ते हुए जेब कट गई, राशन की दुकान पर कोई अनहोनी बात हो गई, घर का सौदा खरीदते हुए किसी वस्तु की प्रमाणिकता पर पर संदेह हो गया, खेल के मैदान पर किसी खिलाड़ी से तू तू मैं मैं हो गई, विवाह या किसी उत्सव में भाग लेते हुए सुरा सेवन और भांगड़ा का अभिशाप देख लिया, घर के वातावरण में किसी दिन कड़वाहट आ गई, सगे-संबंधी का आगमन हो गया, अध्यापक से दंड या प्रशंसा मिली, यह सभी विद्यार्थी की डायरी में लिखे हो सकते हैं।
उन्हें क्या चीज़ अच्छी लगी, कौन से अध्यापक से वे प्रभावित हुए और कौन से दोस्त ने उसे मदद अथवा परेशान किया। ऐसे चीज़ो का वर्णन वह अपनी निजी डायरी में करते है। कभी कभी विद्यार्थी जब स्कूल से वापस आते है, तो वह रास्ते पर हो रही तमाम चीज़ो से विचलित भी हो जाते है जैसे दुकानदारों का आपस का झगड़ा और सड़क पर दुर्घटना इत्यादि अनुभव को वे डायरी में लिखते है।
किसी व्यक्ति को नशा करते हुए देखना, किसी विद्यार्थी को अपने सहपाठी की निंदा करते हुए सुनना, अपने दोस्त को गलत दोस्तों के संगत में बिगड़ते हुए देखना ऐसी घटनाओ का इंगित डायरी के पृष्टो में विद्यार्थी द्वारा किया जाता है। कुछ विद्यार्थी से अगर किसी प्रकार की भूल हो जाए तो वह उसका एहसास करके डायरी में अपने बातों को लिखते है। रात में सोने से पहले अपने ज़रूरी कार्यो का एक लेखा जोखा विद्यार्थी तैयार करते है। डायरी को विद्यार्थी का आत्म दर्पण कहा जा सकता है। जिस विद्यार्थी का मन जितना साफ़ और चारित्रिक तौर पर ईमानदार होता है, वह अपनी डायरी में अच्छे और सकारात्मक चीज़ो को लिखते है जो अपने आनेवाले भविष्य में वह करना चाहता है। ऐसे ही अनेक बातें से विद्यार्थी का डायरी भरा रहता है।
विद्यार्थी की डायरी विद्यार्थी के चरित्र का दर्पण है। साफ सुथरा रखने वाला विद्यार्थी जीवन में स्वच्छता का आधार होगा। मैंले वस्त्र, बिना प्रेस के कपड़े, गंदा भोजन या गंदे स्थान पर कोई चीज खाना पसंद नहीं करेगा। डायरी में अत्यधिक काट छांट करने वाला विद्यार्थी मति भ्रम का शिकार होगा। गलत लिखने वाला छात्र पढ़ाई लिखाई में कमजोर होगा। इसीलिए कहते है की डायरी विद्यार्थी के चरित्र बताता है। उसका सभाव, व्यवहार, सामने वाले के प्रति सोच-विचार आदि बातें डायरी के जरिये विद्यार्थी का चरित्र बताता हैं।
डायरी विद्यार्थी का ईमानदार साथी माना जाता है और एक अमूल्य धन से कम नहीं है। डायरी बीती पुरानी बातें और वर्तमान की बातों को सहज कर रखता है। अगर किसी विद्यार्थी को अपनी मन की बात किसी से कहना हो और उसे दर लगता है कि वह बात किसी और को न कह दे उस परिस्थिति में डायरी एक ईमानदार साथी के रूप में विद्यार्थी को मिलता है जहाँ वे अपनी मन की बात को खुलकर लिख सकते है और अपने समय अनुसार उसे पढ़ सकते हैं न किसी ओर को पता चलने का दर सताता है और नाही किसी के सामने मजाक बनते का ख्याल आता हैं। सचमुच विद्यार्थी के जीवन में डायरी का महत्व अधिक मायने रखता हैं।
विद्यार्थी की डायरी विद्यार्थी की कार्य क्षमता तथा कार्य कौशल का परिचायक है। विद्यार्थी को दैनन्दिन कितना काम मिलता है, कितना कर पाता है किस कौशल से अपने काम को पूर्ण करता है, यह उसकी डायरी बताएगी। डायरी विद्यार्थी को गीता का संदेश देती है। वह विद्यार्थी को आलस्य, निद्रा, प्रमाद, संकोच को त्यागकर स्कूल में बताए गए काम की पूर्ति के लिए प्रेरित करती है। उस चैन से बैठने नहीं देती, रात को आराम नहीं करने देती। कर्मण्येवाधिकारस्ते (उचित अधिकार) से मन को प्रेरित करती रहती है।
विद्यार्थी की डायरी उसके नेत्र हैं। नेत्र विज्ञान के द्वार हैं। उसकी डायरी कामधेनु गाय है जो उसे शैक्षणिक प्रगति का वरदान देती है। उसकी डायरी उसका कोष है जो कोष का प्रयोग करते हैं सफलता उनके चरण चूमती है। जो कोष को गाड़ कर रख देते हैं वह नष्ट हो जाते हैं। डायरी का प्रयोग अमृतपान के समान है और बिना प्रयोग के यह विष बन जाती है। यही कारण है कि जो विद्यार्थी डायरी की ओर ध्यान नहीं देते और अपने समय को व्यर्थ नष्ट करते हैं वे असफलता का मुंह देखते हैं। इस प्रकार विद्यार्थी की डायरी उसका अमूल्य धन है। विद्यालय क्षेत्र से बाहर, वह उसकी मित्र है, गुरु है और पथ प्रदर्शक। डायरी विद्यार्थी का साया होता है जिसका कोई मोल नहीं लगाया जा सकता हैं।
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