राष्ट्रीय एकता और आज का छात्र पर निबंध

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राष्ट्रीय एकता में विद्यार्थियों की भूमिका पर निबंध - विद्यार्थी और राष्ट्र एकता पर हिंदी निबंध - Essay on Student and Nation Unity - Essay on Role of Students in National Integration - Essay on National Integration and Today's Student

रूपरेखा : प्रस्तावना - भारत की अखण्डता - एकता भारतीय संस्कृति का आधार - विद्यार्थियों का दायित्व - देश की एकता धर्म से ऊपर - उपसंहार।

परिचय | राष्ट्रीय एकता में विद्यार्थियों की भूमिका की प्रस्तावना-

राष्ट्रीय एकीकरण को राष्ट्रीय एकता भी कहा जाता है। देश के लोगों के बीच असमानता के साथ ही समाजिक संस्कृति और अर्थशास्त्र के भेदभाव को घटाना इसका एक सकारात्मक पहलू है। देश में राष्ट्रीय एकता लाने के लिए किसी समूह, समाज, समुदाय और पूरे देश के लोगों के बीच एकता को मजबूती देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। किसी सत्ता के द्वारा ये कोई दबाव नहीं है बल्कि भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए ये लोगों से आग्रह करता है। ये केवल लोगों के बीच एकता होने पर ही संभव होगा। अपने भावनात्मक संबंध को बढ़ाने के लिए उन्हें अपने विचार, मूल्य और दूसरे मुद्दों को बाँटना चाहिये। लोगों को विविधता के अंदर एकता को जीना और महसूस करना चाहिये और अपने राष्ट्र की पहचान पुरे विश्व में बनानी चाहिये।


भारत की अखण्डता-

भारत देश में अनेक भाषाएँ, अनेक परिधान, अनेक धर्म और अनेक विचार होने के बाद भी देश अखण्ड है, इसका प्रभाव प्रमुख कारण यह भी कहा जा सकता है कि देश का युवा वर्ग, देश का छात्र देश की छवि सुधारने में सदैव अग्रणी रहा है। कवि इकबाल ने भारत देश की विशालता और महानता के साथ-साथ देश के युवावर्ग की सराहना करते हुए कहा कि युवा वर्ग देश का छात्र जब एक स्वर में गाता है तो लगता है कि सबके मन में देश को एकता की भावना कितनी प्रखर है, 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।' राष्ट्रीय एकता में देश के विद्यार्थी की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि देश सदैव युवा कंधों के बल पर ही आगे बढ़ता है।


एकता भारतीय संस्कृति का आधार-

भारतीय संस्कृति भावात्मक एकता का आधार मानी गयी है, लेकिन कई बार राजनीतिक स्वार्थ, अस्पृश्यता, साम्प्रदायिक तनाव, भाषा-भेद, क्षेत्रीय मोह और जातिवाद आदि संकीर्ण भावनाओं के प्रबल होने पर हमारी भावनात्मक एकता को खतरा उत्पन्न हो जाता है, लेकिन देश का जागरूक युवा छात्र अपने खुले मन से राष्ट्रीय एकता का पक्षधर बनकर सदैव तत्पर रहा है । हमारी संस्कृति इतनी विशाल न होती और सभ्यता इतनी महान होती तो हम कभी के मिट गये होते, लेकिन देश के युवा वर्ग ने, देश के छात्र वर्ग ने सदैव अग्रणी होकर देश को एकता और अखण्डता की रक्षा की है।


विद्यार्थियों का दायित्व-

देश की एकता बनाये रखने के भाई चारे के मूलमंत्र को देश के युवा ने सदैव अपनाया है और जब भी कभी देश पर संकट के बादल मण्डराने लगते हैं तो देश का युवा वर्ग, छात्र वर्ग सजग होकर एकता और देश की अखण्डता की रक्षा के लिए कवच बनकर सामने खड़ा हो जाता है। राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय चरित्र के अभाव में राष्ट्र की प्रगति प्राय: रुक जाया करती है, लेकिन देश का विद्यार्थी और युवा वर्ग यह भलीभाँति जानता है कि राष्ट्र की उन्नति हमारी आपसी एकता से ही सम्भव है। कोई भी नागरिक चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो, किसी भी भाषा परिवार का सदस्प हो, किसी भी धर्म को मानने वाला हो, जब राष्ट्रीय एकता का प्रश्न आता है तो हम सब एक हो जाते हैं, यही हमारी महानता है और यही देश की विशालता भी है। इस देश को, देश की एकता को सँभालने का दायित्व बच्चों पर है, छात्रों पर है, देश के युवाओं पर हैं। एक और गीत में कहा गया है कि ''जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती हैं बसेरा, वह भारत देश है मेरा, यह भी देश के छात्रों और विद्यार्थियों के मन की भावना को देश के प्रति व्यक्त करता है।


देश की एकता धर्म से ऊपर-

एक बार चीन के एक छात्र से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि यदि कोई व्यक्ति भगवान बुद्ध को अपमानित करे तो चीन के छात्र का क्या दायित्व होगा ? तो वह यह छात्र बोला- हम उस व्यक्ति की पिटाई कर देंगे जो बुद्ध का अपमान करेगा । इस पर उस व्यक्ति ने फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि- मान लो यदि बुद्ध ही चीन पर आक्रमण कर दें तो आप छात्रों और युवाओं का क्‍या दायित्व होगा ? इस पर उस छात्र ने प्रश्नकर्ता को तुरन्त उत्तर दिया कि हम पहले अपने देश की रक्षा के लिए सभी एक होकर बुद्ध से भी युद्ध करने को तत्पर हो जायेंगे। इसका उल्लेख यहाँ इसलिए किया गया है कि देश की एकता धर्म से अधिक सर्वोपरि है। यदि भारत में ऐसी स्थिति होती है तो देश का युवा छात्र देश की एकता के लिए देश के शत्रु से भिड़ने को तैयार है।


उपसंहार-

देश के वीरों ने, अमर शहीदों ने अपने बलिदान से देश को स्वाधीन कराया, हम स्वतंत्र हुए। देश की अखण्डता और राष्ट्रीय एकता बनाये रखने के लिए देश के छात्र को आगे आना है। देश तोड़ने की साजिश करने वाले देशद्रोहियों, राष्ट्र को एकता को ख़ण्डित करने का प्रयास करने वाली बाहरी शक्तियों को मुँह तोड़ उत्तर देने का दायित्व भौ देश के युवा छात्र वर्ग का है क्योंकि आज के युवा छात्र ही कल के देश के कर्णधार है और राष्ट्रीय एकता की कमान भी देश के युवा छात्र वर्ग के हाथ में है।


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