बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध

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बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या पर निबंध - Essay on the problem of increasing population - Problem of increasing population Essay in Hindi

रूपरेखा : प्रस्तावना - विकास गति अवरुद्ध - जनसंख्या वृद्धि के कारण - वोट बैंक, जनसंख्या-नियंत्रण में बाधा - पाकिस्तानी तथा बंगला देशी नागरिकों का अवैध रूप से रहना - उपसंहार।

परिचय | बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या की प्रस्तावना -

बढ़ती जनसंख्या भी भारत की गहन समस्या है । इसने देश के विकास कार्यो को बौना, जीवनयापन को अत्यन्त दुरूह तथा जीवन-शैली को उच्छुंखल और कुरूप बना दिया है। इसका परिणाम है, आज भारत की 60 प्रतिशत जनता गरीबी की सीमा-रेखा से नीचे जीवनयाएन करने को विवश हो चुके है। वह भूखे पेट को शांत करने के लिए असामाजिक कार्य करने लगे है। भारत के उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने, अपने पैरों पर खड़ा करने की भी समस्या है। कारण, विदेशी पूँजी और टेक्नीक भारतीय उद्योग को परतन्त्रता के लौह-पाश में जकड़ती जा रही हैं । आज विदेशी पूँजी और तकनीकी ने भारत में विदेशी बहुउद्देशीय कंपनियों का साम्राज्य स्थापित कर दिया है। भारत का कुटीर-उद्योग और लघु-उद्योग मर रहे हैं और औद्योगिक समूहों की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है।


विकास गति अवरुद्ध -

विकासशील भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या उसकी विकास-गति को अवरुद्ध करेगी। जीवन-जीने के लिए अत्यावश्यक पदार्थों से वंचित करेगी । जीवन-मृल्यों पर प्रश्न-चिह्द लगाएगी। आनंद का हरण कर विश्व-प्रांगण में भारत के सम्मान को ठेस पहुँचाएगी।

जनसंख्या किसी भी राष्ट्र की शक्ति होती है, शोभा होती है। जनसंख्या के बल पर ही राष्ट्र सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त कर सकता है । विकसित राष्ट्र भी अपनी आंतरिक जन-शक्ति के बल पर विश्व में गर्व से अपना भाल ऊँचा कर सकते हैं। किन्तु जनसंख्या का अत्यधिक बढ़ जाना राष्ट्र के लिए अनेक समस्याएँ उत्पन्न कर देता है। यदि जनसंख्या वृद्धि कौ यही गति रही तो दो दशक बाद भारत चीन से भी अधिक जनसंख्या वाला हो जायेगा।


जनसंख्या वृद्धि के कारण -

भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्यत: तीन कारण हैं-

  1. काम में विवेक को कमी ।
  2. सत्ताधारियों में इच्छा-शक्ति का अभाव और
  3. वोट-बैंक का मोह।

भारत की लगभग 35 प्रतिशत जनसंख्या अशिक्षित है । लगभग इतनी ही जनता जीवन स्तर से नीचे का जीवन जीती है। अशिक्षा और गरीबी के मध्य विवेक का स्वर अब रुद्ध हो जाता है। काम ही उनके आनंद का एक मात्र स्रोत है, अत: निर्बाध (बिना किसी संकोज) रूप में वे बच्चे पैदा करते हैं । ये बच्चे गरीबी में जन्म लेते हैं, पलते हैं और युवा होकर समाज-द्रोही बनत हैं। वीर्यविहीत काम का आनंद उनकी समझ के बाहर है। ऐसे नर-नारियों का जबरदस्ती वंध्यकरण करके उन्हें प्रजनन अधिकार से वंचित कर देना चाहिए।


वोट बैंक, जनसंख्या-नियंत्रण में बाधा -

जनसंख्या-नियंत्रण में सबसे बड़ी बाधा हैं, वोट बैंक। बीसवीं सदी का सुशिक्षित नागरिक दो संतानों से अधिक की न तो कामना करता है, न उत्पन्न करता है, किंतु जहाँ सम्प्रदाय विशेष का धर्म-शास्त्र ही चार विवाह और अनेक संतान उत्पन्न कर जनसंख्या बढ़ाने की आज्ञा देता हो, वहाँ सरकार घुटने टेक देती है। इस भिड़ के छत्ते को हाथ लगाकर अपना वोट-बैंक कौन खराब करना चाहेगा ?

पाकिस्तानी तथा बंगला देशी नागरिकों का अवैध रूप से रहना दूसरी ओर, भारत में लगभग एक करोड़ पाकिस्तानी तथा बंगला देशी नागरिक अवैध रूप से रहते हैं। वोट के लोभी राजनीतिक दलों की कृपा से येन-केन-प्रकारेण ये वोटर भी हैं। इनमें से अधिकांश मुसलमान हैं। अल्पसंख्यक और वोटर, ऐसे जनों को देश से बाहर कौन निकाल कर जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहेगा ?

बंगलादेशी नागरिकों को भारत से निकालने पर तथाकथित धर्म-निरपेक्ष पार्टियों ने 1999 की लोकसभा में जो शक्ति प्रदर्शन किया, उसके पीछे वोट-बैंक नीति काम कर रही थी । ऊपर से निर्भय होकर ये अधिक संतान उत्पन्न करेंगे तो भारत की जनंसख्या बढ़ेगी ही। बढ़ती जनसंख्या का सर्वाधिक हानिकर पक्ष है, विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव। सरकार वर्तमान जनगणना के आधार पर जो भी विकास कार्य करती है, वह अपनी सम्पन्नता तक बढ़ती आबादी में खो जाती है । उदाहरणत: दिल्ली में हर साल 10-12 नए वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खुलते हैं, फिर भी दिल्ली के स्कूल सम्पूर्ण शिक्षार्थियों को प्रवेश नहीं दे पाते। कमोवेंश यही हाल रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रोजगार के नए साधन निर्माण का है, चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने का है, यातायात एवं संचार साधनों का है। सरकार कितना भी विकास-योजनाओं को सम्पन्न करे, वे सब ऊँट के मुँह में जीरा साबित हो रही हैं। देश की खुशहाली, प्रगति, औद्योगिक विकास, आर्थिक उन्नति को बढ़ती हुई जनसंख्या रूपी सुरसा का मुख निगल जाता है।


उपसंहार -

जब तक केन्द्रीय तथा प्रांतीय सरकारें प्रबल इच्छा शक्ति से जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को नहीं अपनाएँगी, अल्पसंख्यक-जन की पक्षधरता को नहीं त्यागेंगी तथा अवैध नागरिकों को बलपूर्वक उनके राष्ट्रों में जहाँ के वे नागरिक हैं, नहीं भेजेंगे, भारत में जनसंख्या पर नियंत्रण आकाश से तारे तोड़ लाना ही सिद्ध होगा अर्थात भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या कभी अंत नहीं होगा।


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