राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध

ADVERTISEMENT

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में - राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के लिए - Essay writing on Father of the Nation Mahatma Gandhi in Hindi - Essay on Father of the Nation Mahatma Gandhi in hindi for Class 10, 11 and 12 Students and Teachers - Father of the Nation Mahatma Gandhi Essay in Hindi for Class 10, 11 and 12 Children and Teachers - Father of the Nation Mahatma Gandhi Essay in Hindi in 100, 150, 200, 250, 300, 350, 400, 450, 500, 550, 600 Words

रूपरेखा : प्रस्तावना - गाँधी जी का जन्म - उनका प्रारंभिक शिक्षा - उनका राजनीति में प्रवेश - उनका महान बलिदान - स्वतंत्रता प्राप्ति - उपसंहार।

प्रस्तावना

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के ही नहीं बल्कि संसार के महान पुरुष थे। वे आज के इस युग की महान विभूति थे। महात्मा गांधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। विश्व में यह एकमात्र उदाहरण है कि गांधी जी के सत्याग्रह के समक्ष अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा।


गाँधी जी का जन्म

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। गांधी जी के पिता का नाम करमचन्द गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। मोहनदास जी अपने पिता जी की चौथी पत्नी की आखिरी संतान थे।


उनका प्रारंभिक शिक्षा

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। गांधी जी जब 13 साल की उम्र के थे और स्कूल में पढ़ते थे तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा देवी जी से हुआ था। अपनी कक्षा में वे एक साधारण विद्यार्थी थे। गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने शिक्षकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी औसत विद्यार्थी थे हालाँकि उन्होंने कभी-कभी पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन गाँधी जी पढाई और खेल में तेज नहीं थे।

गाँधी जी शुरू से ही सत्यवादी और मेहनती थे। गाँधी जी कभी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी की माता उन्हें बचपन से ही धर्म-कर्म की शिक्षा देती थीं जिससे वे विद्यालय में भी एक विनम्र विद्यार्थी थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद आदि से दूर रहते थे। एक बालक का इतना विनम्र रहना उचित नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्मजात थे।


उनका राजनीति में प्रवेश

जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तो उस समय भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे थे। उन दिनों में गोपाल कृष्ण गोखले जी कांग्रेस के गणमान्य सदस्य थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी की अपील पर गाँधी जी कांग्रेस में शामिल हुए थे और पूरे भारत का भ्रमण किया था। गाँधी जी ने जब देश की बागडोर को अपने हाथों में लिया था तो देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ था। गाँधी जी ने सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की थी। जब सन् 1928 में साइमन कमिशन भारत में आया था तो गाँधी जी ने उसका बहुत डटकर सामना किया था।


महान बलिदान

गाँधी जी जब तक जीवित रहे थे तब तक देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। बहुत से लोग गाँधी जी की हिन्दू-मुस्लिम एकता की भावना के विरुद्ध थे। गाँधी जी जब 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला भवन की प्रार्थना सभा में आ रहे थे तो नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उनकी मृत्यु के समाचार से पूरा देश गहरे शोक सागर में डूब गया। गाँधी जी के शरीर का अंत हो जाने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच हैं। यही समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं।


स्वतंत्रता प्राप्ति

इसकी वजह से देशभक्तों को बहुत प्रोत्साहन मिला था। गाँधी जी द्वारा सन् 1930 में चलाये गये नमक आन्दोलन और दांडी यात्रा ने अंग्रेजों को पूरी तरह से हिला दिया था। गाँधी जी कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने की वजह से स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े थे। उन दिनों में आन्दोलन की बागडोर तिलक जी के हाथ में थी। उनके साथ मिलकर ही गाँधी जी ने आन्दोलन को आगे बढ़ाया था।

जब सन् 1920 में तिलक जी का निधन हो गया था उसके बाद स्वतंत्रता आन्दोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया था। वे आन्दोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर करने लगे थे। इसी समय पर उन्होंने देश में असहयोग आन्दोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी शामिल हुए। गाँधी जी का यह आन्दोलन पूरी तरह से अहिंसक था। सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ था जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। सन् 1930 में गाँधी जी ने नमक कानून का डटकर विरोध किया। 24 दिनों की यात्रा के बाद दांडी में गाँधी जी ने खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया था।

इसकी वजह से गाँधी जी के साथ बहुत से नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। मजबूर होकर गाँधी जी को समझौते के लिए इंग्लैण्ड बुलाया गया लेकिन इसके परिणाम कुछ नहीं निकले। गाँधी जी का आन्दोलन जारी रहा। गाँधी जी और भारत के अनेक क्रांतिकारी लोगों की वजह से भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। गाँधी जी ने छुआछूत को भारत से खत्म करने के लिए अनेक प्रयास किये। जिन लोगों को अछूत कहकर पुकारा जाता था गाँधी जी ने उन्हें हरिजन की संज्ञा दी थी। गाँधी जी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं को प्रयोग करने पर अधिक बल दिया था। गाँधी जी ने खादी वस्त्रों के प्रसार के लिए भी अनेक प्रयास किये थे।


उपसंहार

गांधी जी को भारतीय इतिहास के युग पुरुष के रूप में हमेशा याद रखा जायेगा। आज सारा विश्व उन्हें श्रद्धा से नमन करता है। गांधी जी के जीवन पर अनेक भाषाओँ में फ़िल्में बनाई गईं जिससे आज का मानव उनसे प्रेरणा ले सके। गांधी जी के जन्मदिन को सारा संसार श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाता है। अमेरिका जैसे बड़े राष्ट्र ने भी अपने देश में 2 अक्टूबर को गांधी दिवस के रूप में मनाने की मान्यता दे दी है। युग-युग तक गांधी जी को बहुत याद किया जायेगा।


ADVERTISEMENT