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रूपरेखा : परिचय - मेरा बचपन - व्यवसाय का चुनाव - पसंदगी का कारण - मेरा जीवन का लक्ष्य - मैं डॉक्टर बनकर क्या करूँगा - लाभ - उपसंहार।
परिचयइस संसार में मनुष्य का महत्वकांक्षी होना एक स्वभाविक गुण होता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करने की इच्छा रखता है वैसे ही मुझे भी अपने जीवन में उचित शिक्षा प्राप्त कर के भविष्य में एक बड़ा पद पर कार्य कर के लोगो की सेवा करने की इच्छा है। मनुष्य अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करता है। कल्पना तो सबके पास होती हैं लेकिन कल्पना को साकार करने की शक्ति और लगन केवल कुछ लोग ही पूरा कर पाते है।
बचपन ही मानव-जीवन का स्वर्णिम काल होता है। चिंता रहित जीवन, स्वतंत्र जीवन, एवं भयविहीन कहीं भी घूमना फिरना, जो हाथ में आया खा लिया, अँगूठा चूसने में मधु का आनंद आना और दूध के कुल्ले पर किलकारी भरने में उल्लास की अनुभूति, रोकर-मचलकर, बड़े-बड़े मोती आँखों से बहाकर माँ को बुलाना एवं झाड़ पोंछकर हृदय से चिपका लेना, आदि कई ऐसे स्मृतियाँ है।
मेरा बचपन उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव देवरिया में बीता हैं। मेरे गाँव की सुंदरता का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता। मेरे गाँव में चारों और वृक्ष की हरयाली नजर आती है। गाँव में एक विशाल तालाब देखने को मिलता है। गाँव में आधा प्रतिशत जमीन खेतो से ढका रहता है जहाँ अन्य का खजाना उगता है। गाँव के नदी का तो कोई जवाब नहीं जहाँ की पानी की पवित्रता वहा के लोगों को लम्बी आयु प्रदान करती है। मेरे परिवार में माँ, पिताजी, दादाजी, और एक बड़ा भाई है । पिताजी देश की मायानगरी मुंबई में अध्यापक है। बाबा (दादाजी ) गाँव के एकमात्र सलाहकार है। मेरा परिवार बड़ा ही सरल है और उतना ही सरल हमारा जीवन है।
भविष्य में मैं क्या बनूँगा, इसका विचार मैंने अभी से कर लिया है। जी हाँ, अपना व्यवसाय मैंने अभी से चुन लिया है। मेरी महत्त्वाकांक्षा डॉक्टरी शिक्षा प्राप्त कर एक कुशल डॉक्टर बनने की है। डॉक्टर समाज का सबसे बड़ा सेवक होता है। वह बीमार लोगों को नई जिंदगी देता है। मैं चाहता हूँ कि मैं भी डॉक्टर बनकर अपने समाज और देश की सेवा करूँ।
आज हमारे देश में हैजा, मलेरिया, चेचक जैसे रोग तो कम हो गए हैं, लेकिन दूसरी अनेक बीमारियों ने सिर उठा लिया है। खाँसी, सर्दी, बुखार, सिरदर्द आदि रोगों के कारण असंख्य लोग परेशान रहते हैं। टी. बी., टाइफॉइड, डायबिटीज़ और ब्लडप्रेशर जैसी जानलेवा बीमारियों का प्रसार बढ़ गया है। देश का गरीब वर्ग इन बीमारियों से परेशान हो रहा है। मैं चाहता हूँ कि मैं डॉक्टर बनकर ऐसे मरीजों का इलाज करूँ और उन्हें रोगमुक्त करूँ। इस तरह मैं डॉक्टर बनकर जनसेवा का सुनहरा अवसर प्राप्त करूँगा।
मैं अक्सर अपने दोस्तों को बात करते हुए सुनता हूँ की वे क्या बनना चाहते हैं लेकिन मैंने तो पहले से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। मेरा जीवन में एक ही लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा। मैं डॉक्टर बनकर देश और समाज की रोगों से रक्षा करूंगा।
कुछ विद्यार्थी डॉक्टर इसलिए बनना चाहते हैं जिससे वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें लेकिन मेरा उद्देश्य यह नहीं है। मैं डॉक्टर बनकर गरीबों और पीड़ितों की सेवा करना चाहता हूँ। कुछ लोग अपने उद्देश्य को पाकर भी गलत रास्ते पर चल देते हैं वे अपने कर्तव्य को अच्छी तरह नहीं निभाते हैं। मैं अपने लक्ष्य पर पहुंचने के बाद अपने कर्तव्य से नहीं भटकूँगा। मैं ऐसा चिकित्सा ज्ञान प्राप्त करना चाहता जिसे लोग पैसा के अभाव की वजह से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। मैं डॉक्टर इसलिए बनना चाहता हूँ जिससे मैं गरीब लोगों की रोगों से रक्षा कर सकूं।
मैं उन्हें स्वस्थ रहने के लिए अनेक प्रकार के तरीके बताऊंगा जैसे-वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, स्वास्थ्य और संतुलित भोजन के महत्व को समझें, किस प्रकार रोगों से खुद की रक्षा करें इन सब में मैं अपना पूरा योगदान दूंगा। मैं डॉक्टर बनकर अपने देश और समाज की सेवा करना चाहता हूँ। आज देश में कोरोना महामारी फैला हुआ है। कोरोना वायरस के वजह से हजारों लोग दिन-प्रतिदिन मर रहे है। कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है। मैं बड़ा होकर डॉक्टर बन के ऐसी महामारी से देश के नागरिक को बचाऊँगा। अपनी हर संभव प्रयास कर के अधिक से अधिक लोगों को बचाने का कार्य करूँगा ताकि सभी लोग जल्दी से ठीक होके अपने परिवार के साथ रह सके।
आज हमारे गाँवों को डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है। आज के नए डॉक्टर अक्सर शहरों में ही रहना पसंद करते हैं, लेकिन मैं तो गरीबों की सेवा करना चाहता हूँ। अत: गाँव का डॉक्टर बनने में मुझे जरा भी हिचकिचाहट न होगी। मैं अपने इलाज से गाँव के लोगों का दुःख दूर करूँगा। लोग मेरे पास रोते-कराहते आएँगे और हँसते मुस्कराते हुए जाएँगे। उनकी उस खुशी में ही मुझे अपनी खुशी मिल जाएगी।
आर्थिक दृष्टि से भी डॉक्टर का व्यवसाय लाभदायक है। लेकिन केवल पैसे कमाना ही मेरा उद्देश्य नहीं होगा। मेरे लिए डॉक्टर बनना दीनबंधु बनने का अवसर है। मैं यह कभी नहीं भूलूँगा कि डॉक्टरी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें धनलाभ के साथ साथ जनसेवा का आनंद भी मिलता है। इसलिए एक आदर्श डॉक्टर की तरह मैं ग्रामीणों को स्वास्थ्य-लाभ कराना अपना पहला कर्तव्य मानूँगा।
मेरी यह इच्छा है कि मैं अपने लक्ष्य को जल्द-से-जल्द सफलता पूर्वक पूरा करूं। मैं इस काम को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाज शिक्षक का भी सहयोग लूँगा। मुझे पता है कि यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन मेरे दृढ निश्चय और संकल्प से सभी काम संभव हो सकते हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे मेरी लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करें। मुझे विश्वास है कि मेरे डॉक्टर बनने के लक्ष्य में मेरे गुरुजन, सहपाठी और मेरे माता-पिता मेरा साथ जरुर देंगे। मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन-से-कठिन परिश्रम करूंगा और एक दिन में अपने लक्ष्य को पूरा कर के अपने परिवार, समाज और देश का नाम ऊँचा करूँगा। सचमुच, डॉक्टर बनना मेरे लिए बड़े गौरव और आनंद की बात होगी।
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