मेरा अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

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मेरा अविस्मरणीय यात्रा पर हिंदी निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on My Unforgettable Journey in hindi - My Unforgettable Journey Essay in hindi for class 10, 11 and 12 Students. Essay on My Unforgettable Journey in Hindi for Class 10, 11 and 12 Students and Teachers.

रूपरेखा : परिचय - गंतव्य स्थान तक पहुँचना - वहाँ का वातावरण - दर्शनीय स्थल - अन्य मनोरंजन - उपसंहार।

परिचय

मुझे यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। मैंने आज तक कई यात्राएँ की हैं। पिछली छुट्टियों में मैं माथेरान गया था। यह यात्रा मेरे लिए यादगार बन गई है।

गंतव्य स्थान तक पहुँचना

बारिश का मौसम शुरू हुआ। बारिश का मौसम हम सभी को पसंद है। एक शाम हम सभी मित्र कही यात्रा जाने का मन बनाया। तभी मैंने अपने कुछ मित्रों के साथ माथेरान जाने का निश्चय किया था। मेरा पड़ोसी में रहने वाला मेरा एक मित्र गौरेश भी हमारे साथ था। वह कालेज में पढ़ता है। हम मुंबई के ठाणे स्टेशन से ट्रैन में बैठे। दो घंटे के सफर के बाद हम नेरल स्टेशन पहुँचें।

वहाँ का वातावरण

वहाँ से हम छोटी ट्रैन जिसे 'मिनी ट्रेन' कहते है उसमें बैठकर माथेरान की ओर चल पड़े। चारों ओर फैली हरियाली, हरे भरे पेड़ और गहरी घाटियों की शोभा का आनंद लेते हुए हम माथेरान पहुँचे। वहाँ हम होटल में ठहरे। माथेरान का वातावरण मोहक और स्फूर्तिदायक था। लाल-लाल वहां की मिट्टी वाले रास्ते और घने जंगल मन को मोह लेते थे। दोपहर के समय भी वहाँ की हवा में ठंडक थी। माथेरान में देखने लायक कई स्थल हैं जो पॉइंट के नाम से मशहूर थे। सुबह और शाम के समय हमने घूम-घूमकर इनमें से अनेक स्थल देखे।

दर्शनीय स्थल

यहाँ के हर स्थल की अपनी अलग सुंदरता और विशेषता है। पर कुछ स्थल तो सचमुच अद्भुत हैं। एको (प्रतिध्वनि) प्वाइंट पर हमने कई बार चिल्लाकर अपनी ही प्रतिध्वनियाँ सुनीं। दूसरे दिन शाम को हमने सनसेट (सूर्यास्त) प्वाइंट पर डूबते हुए सूर्य के दर्शन किए। पैनोरमा (चित्रावली) प्वाइंट ने तो हमारा दिल ही जीत लिया। शारलोट तालाब की शोभा निराली थी। हमने घुड़सवारी की और हाथ-रिक्शे पर बैठने का मजा भी लिया। हमने अपने कैमरों से वहाँ के कई स्थानों की तस्वीरें खीची। वहाँ हम रोज घंटों पैदल चलते थे, पर जरा भी थकान नहीं लगती थी।

अन्य मनोरंजन

माथेरान के छोटे-से बाजार में दिनभर यात्रियों का मेला-सा लगा रहता था। जूते-चप्पल, शहद, चिक्की, रंगबिरंगी छड़ियाँ, सुंदर-सुंदर फूलों के गुलदस्ते आदि चीजें यहाँ खूब बिकती हैं। हमने भी चिक्की और शहद खरीदा। वहां बंदर तो इतने थे की पूछो मत! बन्दर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पे आना-जाना कर रहे थे। कोई व्यक्ति अगर उनके सामने खाने का कुछ निकालता तो वे बंदर उनसे वो चीजे छीन लेते थे। हमसे भी बंदर चिप्स का पैकेट छीन लिया था।

उपसंहार

माथेरान में चार दिन चार पल की तरह बीत गए और हम घर लौट आए। वहाँ के मनोहर दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने तैर रहे हैं।


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