ADVERTISEMENT
रूपरेखा : प्रस्तावना - गणतंत्र दिवस का इतिहास - गणतंत्र दिवस के दिन लोगों का आनंद - गणतंत्र दिवस के पूर्व संध्या को राष्ट्रपति का संदेश - गणतंत्र दिवस के दिन अदभुत कार्यक्रम - गणतंत्र दिवस के दिन भव्य समारोह - गणतंत्र दिवस के दिन विशेष स्तर पर कार्यक्रम - गणतंत्र दिवस का महत्व - उपसंहार
प्रस्तावनाभारत में ब्रिटिश शासन समाप्त होने के बाद से हमारे यहाँ दो विशेष त्योहारों का आयोजन किया जाता है - स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस। इन्हें हम राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाते हैं। १५ अगस्त का त्योहार देश को स्वतंत्रता मिलने की खुशी में मनाया जाता है, जबकि २६ जनवरी देश में गणतंत्र की स्थापना की याद में मनाया जाता है।
गणतंत्र दिवस का इतिहासभारत के राष्ट्रीय पर्वों में 26 जनवरी का विशेष महत्व है। इस दिन प्रतिवर्ष हमें हमारी लोकतंत्रात्मक सत्ता का प्रकाश कराकर चली जाती है । यह दिवस हमारे लिए लोकप्रिय राष्ट्रीय पर्व बन गया है। भारतीय स्वतन्त्रता-संग्राम का इतिहास बहुत लम्बा है। 26 जनवरी का दिन इस संघर्ष में नया मोड़ देने वाला बिन्दु है। सन् 1929 तक स्वतन्त्रता-संग्राम के सेनानी औपनिवेशिक स्वराज्य की माँग कर रहे थे, किन्तु जब अंग्रेज किसी भी तरह इसके लिए तैयार नहीं हुए, तब अखिल भारतीय कांग्रेस के उन दिनों के अध्यक्ष पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी विचारो एवं बलवत्ता का परिचय देते हुए 1929 को लाहौर के समीप रावी नदी के तट पर घोषणा की यदि ब्रिटिश सरकार औपनिवेशिक स्वराज्य देना चाहें, तो 31 दिसम्बर,1929 से लागू होने की स्पष्ट घोषणा करे, अन्यथा 1 जनवरी, 1930 से हमारी माँग पूर्ण स्वाधीनता होगी । इस घोषणा के बाद 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस द्वारा तैयार किया हुआ प्रतिज्ञा-पत्र पढ़ा गया। इसमें विनम्र अपेक्षा और करबन्दी की बात कही गई। इसी पूर्ण स्वतन्त्रता के समर्थन में 26 जनवरी, 1930 को सारे देश में तिरंगे (राष्ट्रीय) ध्वज के नीचे जलूस निकाले गए तथा सभाएँ की गईं।
प्रस्ताव पास करके प्रतिज्ञा की गईं कि जब तक हम पूर्ण स्वतन्त्र न हो जाएँगे, तब तक हमारा स्वतन्त्रता युद्ध चलता रहेगा। लाठियों, डण्डों, तोपों, बन्दूकों और पिस्तौलों से सजी हुई फौज और पुलिस से घिरे हुएं भी हमने प्रतिवर्ष इस दिवस को अपनी पूर्ण स्वतन्त्रता-प्राप्ति की प्रतिज्ञा दोहराते हुए मनाया। अब स्वतन्त्रता-दिवस का महत्व 15 अगस्त को प्राप्त हो गया, किन्तु 26 जनवरी फिर भी अपना महत्व रखती है। भारतीयों ने इसके गौरव को स्थिर रखने के लिए डॉ.राजेद्ध प्रसाद की अध्यक्षता में देश के गण्यमान्य नेताओं द्वारा निर्मित विधान को 26 जनवरी,1950 को लागू किया। इस दिन भारत में प्रजातांत्रिक शासन की घोषणा की गई। भारतीय संविधान में देश के समस्त नागरिकों को समान अधिकार दिए गए। भारत को गणराज्य घोषित किया गया। इसलिए 26 जनवरी को गणतन्त्र-दिवस कहा जाता है।
गणतंत्र दिवस के दिन लोगों का आनंदहर साल २६ जनवरी को भारत की जनता अपने इस प्यारे राष्ट्रीय पर्व को मनाती है। इस दिन पाठशालाएँ, कॉलेज, दफ्तर, बैंक, सभी सरकारी कार्यालय तथा मुख्य बाजार बंद रहते हैं। लोग बड़े उत्साह से ध्वजवंदन के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। राष्ट्रगीत गाते समय सबके हृदय में राष्ट्रप्रेम उमड़ पड़ता है। भारत के सैकड़ों नगरों तथा लाखों गाँवों में २६ जनवरी का दिन देशप्रेम तथा राष्ट्रीयता की नई लहर पैदा करता है।
गणतंत्र दिवस के पूर्व संध्या को राष्ट्रपति का संदेशगणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को हमारे राष्ट्रपति दूरदर्शन पर राष्ट्र के नाम अपना संदेश प्रसारित करते हैं। इस संदेश में वे देश से जुड़ी हुई समस्याओं की चर्चा करते हैं और देशवासियों तथा विदेशों में बसे भारतीयों का अभिनंदन करते हैं। सभी लोग अपने घरो में परिवार के संग राष्ट्रपति का संदेश सुनते हैं।
गणतंत्र दिवस के दिन अदभुत कार्यक्रमइस दिन सभी लोग अपने मकानों की खिड़कियों पर छोटे-छोटे तिरंगे लगाते है जिसकी शोभा दर्शनीय होती है। जगह- जगह ध्वजवंदन के कार्यक्रमों की धुन सुनाई देती है। स्कूलों और कालेजों में राष्ट्रध्वज फहराने के साथ ही तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रम होते हैं। आकाशवाणी के द्वारा इस दिन एक अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
गणतंत्र दिवस के दिन भव्य समारोहभारत की राजधानी दिल्ली में यह समारोह विशेष उत्साह से मनाया जाता है। गणतन्त्र-दिवस की पूर्व संध्या को राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश प्रसारित करते हैं। यह कार्यक्रम दूरदर्शन पर देखा तथा आकाशवाणी में सभी अपने परिवारों के साथ सुनते है। गणतंत्र -दिवस की सुबह शहीद ज्योति के अभिवादन से कार्यक्रम आरम्भ होता है। प्रधानमंत्री सुबह ही इंडिया गेट पर प्रज्वालत शहीद ज्योति जलाकर उसका अभिनन्दन करके राष्ट्र की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गणतंत्र दिवस के दिन विशेष स्तर पर कार्यक्रमकुछ ही क्षण पश्चात् राष्ट्रपति-भवन से राष्ट्रपति की सवारी चलता है। छह घोड़ों की बग्घी पर यह सवारी दर्शनीय होती है । इस शाही बग्घी पर राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों सहित जलूस के रूप में विजय चौक तक आते हैं । सुरक्षात्मक कारणों से सन् 1999 से गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्रपति बग्घी में नहीं, कार में पधारते हैं। परम्परानुसार किसी एक अन्य राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष या राष्ट्रपति अतिथि रूप में उनके साथ होते हैं । तीनों सेनाध्यक्ष राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं । उसके बाद राष्ट्रपति प्रधानमंत्री जी का अभिवादन स्वीकार कर आसन ग्रहण करते हैं। इसके बाद आरम्भ होती है गणतंत्र-दिवस की परेड । परेड का प्रारम्भ सेना के तीनों अंगों के सैनिक करते हैं | बैण्ड की धुन पर अपने-अपने शानदार गणवेश में सैनिकों का पथ-संचलन देखते ही बनता है।
गणतंत्र दिवस का महत्वसचमुच, २६ जनवरी हमारे लिए एक सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार है। यह हमारा गणतंत्र पर्व हैं तथा यह हमारे प्रजातंत्र भारत के गौरव और स्वाभिमान का पावन दिवस है। भारत के अनेक पर्व और त्यौहार का एक दिन नहीं, दो दिन नहीं, अनेक दिनों तक निरन्तर चलकर हिन्दू जन-जीवन को अमृतमय बना देते हैं। वासन्तिक नवरात्र यदि नौ दिन तक धर्म की ध्वजा फहराते हैं तो शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से दसवीं तक उत्तर भारत में रामलीला से तथा पूर्व भारत में पूजा द्वारा जीवन को उल्लास और उमंग प्रदान करते हैं।
उपसंहारइस दिन के लिए हमारे कई वीर जवानो ने अपना बलिदान दिया है, तथा कई महान व्यक्ति ने अपना जीवन समर्पित किया है। इसीलिए गणतंत्र दिवस हमारे लिए और हमारे राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस है और इससे हर साल बड़े ही आनंद के साथ हमे मिलकर मनाना चाहिए।
ADVERTISEMENT