रेलवे स्टेशन पर एक घंटा पर निबंध

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रेलवे स्टेशन पर एक घंटा पर हिंदी निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on one hour at railway station in hindi - One Hour at Railway Station Essay in hindi for class 10, 11 and 12 Students. Essay on an hour at railway station in Hindi for Class 10,11 and 12 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना - स्टेशन पर जाने का कारण - स्टेशन का वर्णन - प्लेटफार्म पर लोगों का दृश्य - गाड़ी आने पर का दृश्य - गाड़ी छूटने से पहले - उपसंहार।

प्रस्तावना

यातायात के विविध साधनों में रेलगाड़ी अथवा ट्रेनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह सम्यो, सुलभ और अधिक सुरक्षित सवारी है। इसलिए इसे जनता की सवारी कहा जाता है। आज देश में रेलों का एक जालसा बिछा हुआ है। स्वराज्य-प्राप्ति के पश्चात्‌ राष्ट्र के कर्णधारों ने इसे प्रत्येक जिले, नगर, कस्बे तथा गाँव तक पहुँचाने का प्रयास किया है और आज भी कर रहे हैं। विशालकाय लौहपथ-गामिनी के ठहरने, विश्राम करने, कोयला-डीजल व पानी लेने तथा अपने भार को हल्का करने और नया भार लेने के लिए निश्चित स्थान है यह रेलवे स्टेशन । स्टेशन के अंदर गाड़ी पर यात्रियों के चढ़ने और उतरने के लिए एक चबूतरा या मंच होता है जिसे रेलवे की भाषा में प्लेटफार्म कहते हैं। रेलवे स्टेशन एक सार्वजनिक स्थान है। चहल-पहल तो दूसरी जगहों पर भी होती है, पर रेलवे स्टेशन की चहल-पहल कुछ और ही प्रकार की होती है।

स्टेशन पर जाने का कारण

पिछली 29 मार्च को मुझे वन्दे भारत एक्सप्रेस से वाराणसी जाना था। टिकट मैंने पहले ही आरक्षित करा लिया था। स्टेशन पहुँचने पर पता चला कि गाड़ी एक घंटा देर से छुटेगी।

स्टेशन का आँखों देखा हाल का वर्णन

स्टेशन के परिसर में बड़ी हलचल थी। कारों, टैक्सियों और रिक्शों से यात्री आ रहे थे। वाहनों के पहुँचते ही लाल कुर्तेवाले कुली उनकी ओर दौड़ पड़ते। मजदूरी तय कर वे यात्रियों का सामान उठाकर प्लेटफार्म की तरफ चल पड़ते। टिकट-घर की खिड़कियों के सामने लोगों की लंबी कतारें थीं। कुछ लोग कतार के बीच में घुसने की कोशिश कर रहे थे। उनकी इस हरकत पर पीछे के लोग चिल्लाए। शोर सुनकर पुलिस आ गई। प्लेटफार्म टिकट के लिए भी लंबी कतार थी।

प्लेटफार्म पर लोगों का दृश्य

प्लेटफार्म पर स्त्री, पुरुष, बच्चे, बूढ़े सभी तरह के लोग थे। कुछ लोगों की वेश-भूषा बता रही थी कि वे किस प्रांत के हैं। बुक स्टॉल पर काफी लोग खड़े थे। कोई अखबार खरीद रहा था, कोई पत्रिकाएँ। 'रेल आहार' के स्टालों पर लोग आलू वड़ा, समोसा, पेटिस, कचौड़ी आदि खाद्य पदार्थ खरीद रहे थे। शीत पेय तथा आइसक्रीम की बहुत माँग थी। कुछ लोग गरमा-गरम चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। खिलौनों के स्टॉल पर माता-पिता बच्चों का खिलौने दिला रहे थे। कई यात्री प्याऊ पर पानी पी रहे थे या वॉटर बैग में पानी भर रहे थे। कुली छोटी-छोटी हाथगाड़ियों पर सामान ढोते हुए आ-जा रहे थे।

गाड़ी आने पर का दृश्य

इसी समय एक रेलगाड़ी स्टेशन पर आई। प्लेटफार्म पर उसके रुकते ही यात्रियों का सामान उतारने के लिए कुली दौड़ पड़े। बहुत से यात्री खुद अपना सामान लेकर नीचे उतर पड़े। जो लोग अपने प्रियजनों को लेने आए थे, वे उन्हें लेकर बाहर निकलने लगे। फाटक पर खड़े टी. सी. बाहर निकलने वाले यात्रियों से टिकट ले रहे थे।

इसी बीच हमारी गाड़ी प्लेटफार्म पर लगी। उसका इंतजार करने वाले यात्रियों में हलचल मच गई। गाड़ी में जगह पाने के लिए कुछ कुली और यात्री चलती हुई गाड़ी में चढ़ने लगे। सामान अंदर धकेला जाने लगा। डिब्बों से झगड़ने की तेज आवाजें आने लगीं। छोटे बच्चे चिल्ला रहे थे। कोई किसी की नहीं सुन रहा था। आरक्षित डिब्बों में शोरगुल कम था।

गाड़ी छूटने से पहले का दृश्य

अब यात्री अपनी-अपनी जगह बैठ गए थे। कुछ देर पहले झगड़ने वाले लोग अब मित्रों जैसा व्यवहार करने लगे। बिदा करने आए लोग बाहर से अंदर बैठे यात्रियों को सलाह-सूचनाएँ देने लगे। इतने में गार्ड ने सीटी दी। 'शुभ यात्रा', 'गुड बाई', 'पहुँचते ही फोन करना' आदि शब्दों से प्लेटफार्म गूंज उठा। लोग हाथ हिलाकर अपने स्वजनों को बिदा देने लगे। मैं भी झटपट अपनी आरक्षित सीट पर जा बैठा।

उपसंहार

पलभर में हमारी गाडी स्टेशन से बाहर निकल आई। मैंने खिड़की से पीछे प्लेटफार्म की तरफ देखा। बहुते-से अब भी टाटा, बाई-बाई करते हुए हिल रहे थे। गाड़ी आई और चली गई। यात्री आए और चले गए। पर प्लेटफार्म शान्त भाव से अपनी जगह अवस्थित है । वह आने वाली गाड़ी की प्रतीक्षा में है, जिसके आने से चेहरे पर रौनक आ जाती है। फिर वही दृश्य देखने को मिलेगा, फिरसे प्लेटफार्म पर हलचल होगी। फिर लोगों में अपने परिजनों को विदाई देने तथा परिजनों का स्वागत करने की फुर्ती दिखेगी। फिरसे गरम चाय गरम चाय समोसा गरम ठंडा पानी की ध्वनि सुनाई देगी।


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