खेल के मैदान पर एक घंटा पर निबंध

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खेल के मैदान पर एक घंटा पर हिंदी निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on an hour on the playground in hindi - One Hour on the Playground Essay in hindi for class 10,11 and 12 Students. Essay on spending one hour on playground in Hindi for Class 10, 11 and 12 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना - खेल का परिचय - मैदान में क्रिकेट और फुटबॉल के खेल - कबड्डी का मैच - छोटे बच्चों की चहल-पहल - अखाड़े का रंग - खेल के मैदान के बाहर का वातावरण - खेलों में उज्वल भविष्य - उपसंहार।

प्रस्तावना

खेल का मैदान या क्रीडांगण एक ऐसा आनंद-स्थल है, जहाँ बच्चों और किशोरों की चहल-पहल देखते ही बनती है। अभी तक मैं केवल सिनेमा हॉल और नाट्यशाला को ही मनोरंजन के स्थान मानता था, किंतु उस दिन शाम के समय जब मैं अपने मित्र के साथ खेल के मैदान पर पहुँचा तो सचमुच मुझे लगा कि आनंद की असली जगह तो यही है।

खेल का परिचय

खेल एक मानसिक अवं शारीरिक क्रिया है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है। खेल के कई प्रकार होते है, और सारे प्रकार खेलने का तरीका भी अलग अलग होते है। खेल को सबसे ज्यादा बच्चें पसंद करते है। लड़के हो या लडकियां, दोनों ही खेलों रूचि रखते है। खेल हमारे शरीर के हर प्रकार से जुड़ा हुआ है जैसे शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा बौद्धिक स्वास्थ्य। यह हर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। खेल हमारे अंदर प्रेरणा, साहस, अनुशासन और एकाग्रता लाने का कार्य करता है। इसीलिए आज लगभग हर स्कूलों में खेल खेलना और इनमें भाग लेना विद्यार्थियों के लिए आवश्यक कर दिया गया है। जीवन सौन्दर्य की आत्मा है और खेल उसके प्राण। प्राणों के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है।

मैदान में क्रिकेट और फुटबॉल के खेल

खेल का मैदान बहुत विशाल और समतल था। हरी घास और खुली जगह होने के कारण वहाँ का वातावरण सुहाना लग रहा था। मैदान के एक हिस्से में कई खिलाड़ी क्रिकेट खेल रहे थे। उनका खेल देखने के लिए काफी भीड़ लगी हुई थी। चौका या छक्का लगने पर लोग मारे खुशी के तालियाँ बजाते थे। दूसरी ओर फुटबॉल के खिलाड़ियों ने रंग जमाया था। उनकी उछल-कूद और मस्ती देखने लायक थी।

कबड्डी का मैच

खेल के मैदान के एक हिस्से में कबड्डी का मैच चल रहा था। जब कभी कोई खिलाड़ी 'आउट' हो जाता तो दर्शक मारे खुशी के उछल पड़ते थे। एक बार तो 'आउट' होने के बारे में मतभेद होने से बात बढ़ गई। ऐसा लगा कि कुछ ही क्षणों में खेल का मैदान युद्ध का मैदान बन जाएगा ! पर फिर रेफरी के आदेश पर सभी खिलाड़ी फिर से मिल-जुलकर खेलने लग गए।

छोटे बच्चों की चहल-पहल

खेल के मैदान का एक हिस्सा छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित था। कहीं झूले की बहार थी, तो कहीं सरकपट्टी का मजा। सीढ़ी पर चढ़कर बच्चे पत्थर के हाथी पर बैठकर फूले नहीं समाते थे। कुछ बच्चे टोलियाँ बनाकर तरह-तरह के खेल खेल रहे थे। यहाँ की चहल-पहल दर्शनीय थी।

अखाड़े का रंग

खेल के मैदान में सबसे अलग एक कोने में अखाड़ा था, जहाँ कुश्ती के पहलवान आपस में भिड़ रहे थे। इन पहलवानों के दाँव-पेंच देखने योग्य थे। कुछ पहलवान दंड-बैठक लगा रहे थे। अखाड़े के बीच में मलखम का एक ऊँचा खंभा था। कुछ किशोर उस पर कसरत करने की धुन में मस्त थे।

खेल के मैदान के बाहर का वातावरण

खेल के मैदान के बाहर खानेवाले और खिलौनेवालों की भीड़ थी। लोग चाव से भेल-पूरी, आइसक्रीम आदि का मजा ले रहे थे। कुछ लोग बच्चों के लिए खिलौने खरीद रहे थे।

खेलों में उज्वल भविष्य

अगर कोई बच्चा बचपन से ही अपना मन कोई एक खेल में एकाग्रित कर लेता है और उसे सयम से सीखता है तो भविष्य में वो एक विद्यार्थी, एक महान खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बना सकता है। सभी प्रकार के खेलों में उज्वल भविष्य प्राप्ति हो सकती है अगर हम उस खेल में पूरी ऊर्जा के साथ सीखे तथा खेले।

उपसंहार

सिखने की प्रक्रिया में खेलों का विशेष स्थान है । बच्चों में खेलों द्वारा सीखने की सहज प्रवृत्ति है। बालक खेल-खेल में खड़ा होना, चलना और दौड़ना सीखता है। बालक खेल-खेल में भावी जीवन का विकास करता है। धीरे-धीरे अँधेरा बढ़ने लगा। खिलाड़ियों ने खेलना बंद कर दिया। लोग भी बिदा होने लगे। सबके चेहरों पर खुशी और ताजगी झलक रही थी। खेल के विभिन्न दृश्यों ने मुझे उत्साह से भर दिया। 'जीवन भी एक खेल ही है - ऐसा मेरा मानना है। मुझे पता भी न चला कि खेल के मैदान में एक घंटा कैसे बीत गया।


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