बरसात का पहला दिन का दृश्य पर निबंध

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बरसात का पहला दिन पर हिंदी निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on First Day of Rain in hindi - First Day of Rainy in hindi for class 10, 11 and 12 Students. Essay on First Day of Rain in Hindi for Class 10,11 and 12 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना - बरसात के पहले का वातावरण - बरसात का आगमन - बरसात का प्रभाव - वातावरण में प्रसन्नता - मेरी खुशी - उपसंहार।

प्रस्तावना | बरसात के पहले का वातावरण

बरसात के उस पहले दिन को मैं कभी नहीं भूल सकता। आषाढ़ का महीना लग चूका था और सूर्य देवता आग बरसा रहे थे। पेड़-पौधे मुरझा रहे थे। बागों से बहारें गायब हो गई थीं। नदी-नाले, तालाब और झीलों का पानी सूख गया था। पशु, पक्षी, मनुष्य सभी प्राणी गरमी से बेचैन हो रहे थे। सभी के मन में एक ही चाह थी कि बरसात हो, शीतलता मिले। बिजली के पंखे चल रहे थे, कई घरों के दरवाजों पर पानी से तर खस-ट्टियाँ झूल रही थीं। फिर भी लोगों की आँखें आकाश की ओर लगी हुई थीं।

बरसात का आगमन

इस गर्मी से तंग आकर मैं भी गाँव से दूर एक पहाड़ी पर चला गया था। एकाएक आकाश मटमैले बादलों से ढंक गया। बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की कड़कड़ाहट और पवन की सरसराहट ने पूरे वातावरण को बदल दिया। धीरे-धीरे पानी की बूंदें गिरने लगीं। अहा ! आषाढ़ की यह पहली बौछार कितनी आह्लादक थी ! बरसात की बूंदें सुहावनी और सुखद लग रही थीं ! उनकी ठंडक ने कलेजे को तर कर दिया। धरती भीगने लगी। उसकी सोंधी गंध चारों ओर फैल गई। धीरे-धीरे वर्षा का जोर बढ़ा। धरती से आकाश तक जल-ही-जल दीखने लगा। मैं बैठा रहा और प्रकृति के रूप में आए हुए इस आकस्मिक परिवर्तन को देखता रहा।

बरसात का प्रभाव

उस पहाड़ी पर से चारों ओर पानी-ही-पानी दिखाई दे रहा था। ऊपर से नीचे बहते हुए पानी की आवाज बड़ी मधुर लग रही थी। पेड़ों की पत्तियाँ पानी से धुलकर चमक उठी थीं। सूखी घास का अंग-अंग महक उठा था। सूखी लताओं में भी जान आ गई थी। आकाश में उड़ती हुई पक्षियों की टोलियाँ मानो बादलों को धन्यवाद दे रही थीं। मयूर नृत्य करने लगे पपीहे ने 'पिऊ पिऊ' की मधुर ध्वनि से वातावरण को सुरीला बना दिया। मेढकों की टर्र टर्र और झींगुरों की झनकार सुनाई देने लगीं। सारी प्रकृति वर्षा के आगमन से झूम उठी थी

वातावरण में प्रसन्नता

वर्षा थम गई। मैं पहाड़ी से नीचे उतरा। उसी समय सामने की सड़क से एक युवक गाता हुआ निकला, “घिर आई बदरिया सावन की। सावन की मनभावन की" सारे वातावरण में नई रौनक आ गई थी। मेरी खुशी

मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। घर आया तो देखा कि बहनें नीम की डाल पर झूला डालने की तैयारी कर रही हैं। वे आकाश में बने हुए इंद्रधनुष की ओर देख-देखकर आनंदविभोर हो रही हैं।

उपसंहार

कितना मधुर और आह्लादक था बरसात का वह पहला दिन। इस दिन का मुझे वर्षों से इंतिज़ार रहता हैं।


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