नदी-किनारे की एक शाम का दृश्य पर निबंध

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नदी-किनारे की एक शाम पर हिंदी निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on Nadi ke Kinare ek Shaam in hindi - Essay on an Evening by the Riverside in hindi for class 10, 11 and 12 Students. Essay on Nadi ke Kinare Ek Shaam ka Drishy in Hindi for Class 10, 11 and 12 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना - प्राकृतिक वातावरण - नदी किनारे के दृश्य - खानेवाले की कतारे - नौकाविहार का आनंद - मंदिर में भगवान विट्ठल के दर्शन - उपसंहार।

प्रस्तावना

मैं क्रिसमस की छुट्टियों में अपने चाचा के यहाँ पंढरपुर गया था। वहाँ मैं पहले भी कई बार जा चूका हूँ इसीलिए वहाँ मेरे कई मित्र बने थे। एक दिन शाम को हम कुछ मित्र मिलकर चंद्रभागा नदी पर जाने का प्रोग्राम बनाये। फिर एक शाम हम चंद्रभागा के किनारे निकल पड़े।

प्राकृतिक वातावरण

चंद्रभागा महाराष्ट्र की प्रसिद्ध नदी है। जब हम वहाँ पहुँचे, तब सूर्य पश्चिम दिशा में पहुंच चुका था। अस्ताचल की ओर बढ़ते हुए सूर्य की किरणें अपनी तेजस्विता खो चुकी थी। नदी का पानी सुनहरे लाल रंग की छटा बिखेर रहा था। शीतल मंद पवन बह रहा था। कल-कल करती नदी की ध्वनि वातावरण को संगीतमय बना रही थी। इस वातावरण में मन को बहुत शांति मिल रही थी। मानो ऐसा लग रहा था कि संसार का सारा सुख यही आ के बसा हो।

नदी किनारे के दृश्य

नदी के तट पर काफी चहल-पहल थी। पक्षी अपने घोंसलों की ओर लौट रहे थे। पेड़ों पर उनके कलरव के स्वर गूंज रहे थे। चरवाहे गाँव की ओर लौट रहे थे और अपने मवेशियों को नदी में पानी पिला रहे थे। चरवाहों ने भी नदी में हाथ-पैर धोए और पानी पिया। कुछ लड़के नदी में तैर रहे थे। नौकाविहार करने वालों का आनंद देखते ही बनता था। कुछ नावों पर ढोलक और मंजीरे भी बज रहे थे। एक नौका का नाविक कोई लोकगीत गा रहा था। रंगबिरंगो पोशाकों में सजी महिलाएँ नदी में दीपदान कर रही थीं।

खानेवाले की कतारे

नदी-किनारे पर दूर तक खानेवालों की धूम मची हुई थी। भेल-पूड़ीवालों के पास काफी भीड़ थी। बच्चें अपने माता-पिता को खाने के लिए मना रहे थे। बूढ़े अपने मित्र के साथ चाय का आनंद उठा रहे थे। कुल्फी-मलाई और फलवाले भी थे। बच्चे गुब्बारे और खिलौनेवालों के पास ही जमे हुए थे। कुछ फेरीवाले तरह-तरह की चीजें बेच रहे थे। इनकी वजह से काफी शोरगुल हो रहा था। चारों तरफ से मानों गरम-गरम खाने की खुशबू आ रही थी।

नौकाविहार का आनंद

हमने एक नाव तय की। नाववाला बहुत दिलचस्प आदमी था। जलविहार कराते-कराते उसने हमें चंद्रभागा के संबंध में पुराणों में वर्णित कुछ कथाएँ सुनाईं। चंद्रभागा के तट पर ही महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध संत तुकाराम ने स्वर्गारोहण किया था। इस बारे में भी उसने हमें विस्तार से बताया। तब तक आकाश में चाँद पूरी तरह निकल आया था। चाँदनी चारों ओर फैल चुकी थी। हमारे एक गायक मित्र ने अपनी सुरीली आवाज में कुछ गीत सुनाए। मैंने अपने चुटकुलों से मित्रों का मनोरंजन किया।

मंदिर में भगवान विट्ठल के दर्शन

चंद्रभागा के पावन तट पर कई मंदिर हैं। इनमें भगवान विट्ठल का मंदिर मुख्य है। विट्ठल को 'पंढरीनाथ' भी कहते हैं। उन्हींके नाम पर इस शहर का नाम 'पंढरपुर' पड़ा है। भगवान विट्ठल की मोहक मूर्ति सजधज देखते ही बनती थी। हम मंदिर की आरती में भी शामिल हुए। सारा तट आरती के स्वरों और घंटों के नाद से गूंज उठा था। मंदिर के बाहर एक साधु संत तुकाराम के अभंग गा रहा था। हमने कुछ अभंग सुने।

उपसंहार

कुछ देर बाद हम सभी मित्र वहां से अपने-अपने घर की ओर रवाना हुए। चंद्रभागा नदी के किनारे बिताई उस शाम की मीठी यादें आज भी मेरे मन प्रसन्नता से भर देती है। मैंने तय किया कि अगला छुट्टी में मैं अपने परिवार को चंद्रभागा नदी घुमाने लेके आऊंगा।


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