भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध

ADVERTISEMENT

भारत में महिलाओं की स्थिति पर हिंदी निबंध - भारत में महिलाओं की स्थिति क्या है - भारत में महिलाओं की स्थिति का वर्णन करें - भारत में महिलाओं की स्थिति की औपनिवेशिक आलोचना - प्राचीन भारत में महिलाओं की स्थिति क्या थी - वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति क्या थी - प्रारंभिक मध्यकाल में महिलाओं की स्थिति क्या थी - आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति - Hindi Essay on Status of Women in India - Status of Women in India Essay in Hindi - Essay on Status of Women in India in Hindi - Essay Writing on Status of Women in India in Hindi - status of women in ancient India in Hindi - Status of Women in the Vedic period in Hindi Essay - What was the status of women in the early medieval period in Hindi Essay - Status of women in modern India in Hindi Nibandh

रूपरेखा : परिचय - महिलाओं की समस्याएँ - महिलाओं की वर्तमान स्थिति - निष्कर्ष।

परिचय

वैदिक काल में, भारत में महिलाओं का बहुत सम्मानपूर्ण स्थान था। वे देवियों की तरह पूजी जाती थीं। किंतु, बाद में समय ऐसा आया जब चीजें बदल गईं। हमारा समाज पुरुष-प्रधान बन गया। महिलाओं को उतना सम्मान नहीं दिया जाता था, जिसकी वे पात्रा थीं। उन्हें बहुतसी जिम्मेदारियाँ दी जाती थीं किंतु सम्मान बिलकुल नहीं। उन्हें स्वतंत्र रूप से आने-जाने की अनुमति नहीं थी। सामान्यतया, उन्हें अपने विचारों को साझा करने या अभिव्यक्त करने की अनुमति नहीं थी। हमारे भारतीय समाज में नारी की स्थिति में विरोधाभास है। इसका कारण है की एक तरफ नारी को पूजा जाता है और उन्हें नारी शक्ति कहकर उनका सम्मान किया जाता है। तो दूसरी तरफ नारी को एक बेचारी के रूप में देखा जाता है।


महिलाओं की समस्याएँ

भारत में महिलाएँ सैकड़ों वर्षों से शोषित होती रही हैं। बालविवाह, मादा भ्रूण-हत्या, दहेज-प्रथा, सती-प्रथा, मंदिरों में दासी-प्रथा आदि ने उनकी स्थिति को काफी बदतर बनाया। एक विधवा को समाज में सामान्य जीवन जीने की अनुमति नहीं थी। एक स्त्री को उसके परिवार की इच्छाओं से परे जाने का अधिकार नहीं था। इस देश में जहां नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है, वही दूसरी ओर उन्हें कमज़ोर भी समझा जाता है। नारियों के साथ समाज में कई लोगो ने अपने गलत दृष्टिकोण के कारण, दुर्व्यवहार भी किया। आज भी कई घरो में लड़के को वंश का चिराग माना जाता है और लड़की को बोझ माना जाता है। प्राचीन समय में लोग समझते थे, की लड़की तो विवाह करके चली जायेगी और लड़के खानदान का नाम रोशन करेंगे और वंश को आगे बढ़ाएंगे। नारी को पराया धन समझा जाता है। लड़का-लड़की में भेद भाव भी किया जाता है। लड़को को हर मामले में छूट है और शिक्षा पर उनका ज़्यादा अधिकार होता है। लड़कियों को घर का काम काज करना सिखाया जाता है। तब लोगो की सोच थी कि लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी, उन्हें तो शादी करके रसोई संभालना है।


महिलाओं की वर्तमान स्थिति

परंतु, अब समय बदल रहा है। हमलोगों ने भारत में महिलाओं की स्थिति में यथेष्ट विकास होते देखा है। वे अध्ययन और अपनी जीविका के चयन के लिए स्वतंत्र हैं। वे एक स्वतंत्र जीवन व्यतीत कर रही हैं। हमलोग महिला चिकित्सक, अभियंता, वैज्ञानिक, पायलट, व्यवसाय-प्रमुख, शिक्षिका आदि को देखते हैं। महिलाएँ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद तक भी पहुंच चुकी हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि वे सभी क्षेत्रों में बेहतर कर सकती हैं। वे घर के साथ-साथ कार्यालयों में भी उपयुक्त हैं। कुछ क्षेत्रों में तो महिलाओं ने अपने को पुरुषों से ज्यादा सक्षम साबित किया है । भारत की बेटी कल्पना चावला ने एस्ट्रोनॉट बनकर भारत का नाम रोशन किया था। मदर टेरेसा ने समाज की उन्नति के लिए बहुत सारे कार्य किये। उन्होंने गरीबो और ज़रूरतमंदो के लिए अनगिनत कार्य किये, वह एक मिसाल है। सरोजिनी नायडू देश की प्रथम महिला गवर्नर थी। उन्होंने एक स्वंतंत्रता सेनानी के रूप में कार्य किये थे।

इस क्रांति का श्रेय सिर्फ शिक्षा को जाता है। इसने लोगों की संकुचित मानसिकता को बदल दिया है। इसने लोगों की बंद आँखें खोल दी है। इसने उन्हें दिखाया है कि विश्व में चारों ओर क्या हो रहा है। अब समाज सिर्फ पुरुषों के सहारे ही नहीं चल सकता। विकसित समाज के लिए महिलाओं का योगदान भी आवश्यक है। प्राचीन काल में नारी को उनका उचित स्थान नहीं दिया जाता था। नारी ने रिश्तों को निभाने के लिए और परिवार को सहज कर रखने के लिए कई अत्याचार सहे। घर पर भी लड़कियों को लड़को के समान अधिकार नहीं दिए जाते थे।


निष्कर्ष

अगर नारियों का विकास नहीं होगा तो निश्चित तौर पर देश की उन्नति में प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। आज नारी शिक्षित है और हर फैसले खुद लेने में सक्षम है। सरकार ने भी नारियों के उन्नति के लिए कई कार्य किये है। मोदी सरकार ने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ जैसे सफल अभियान चलाये है। नारी का सम्मान करना और उसकी रक्षा करना भारत की प्राचीन संस्कृति है। भारत का संविधान पुरुषों और महिलाओं को समान दर्जा देता है। इसलिए किसी को यह अधिकार नहीं है कि उनके (औरत-मर्द) बीच भेद-भाव करे। दोनों को सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का समान अधिकार है।


ADVERTISEMENT