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रुपरेखा : राष्ट्रीय एकीकरण - राष्ट्रीय एकीकरण दिवस - भारत के लोग - विविधता में एकता का नाश - राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य - भारत सरकार द्वारा नियम - राजनीतिक एकता - उपसंहार।
राष्ट्रीय एकीकरण
राष्ट्रीय एकीकरण को राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहा जाता है। देश के लोगों के बीच असमानता के साथ ही समाजिक संस्कृति और अर्थशास्त्र के भेदभाव को घटाना इसका एक सकारात्मक पहलू है। देश में राष्ट्रीय एकता लाने के लिए किसी समूह, समाज, समुदाय और पूरे देश के लोगों के बीच एकता को मजबूती देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। किसी सत्ता के द्वारा ये कोई दबाव नहीं है बल्कि भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए ये लोगों से आग्रह करता है। ये केवल लोगों के बीच एकता होने पर ही संभव होगा। अपने भावनात्मक संबंध को बढ़ाने के लिए उन्हें अपने विचार, मूल्य और दूसरे मुद्दों को बाँटना चाहिये। लोगों को विविधता के अंदर एकता को जीना और महसूस करना चाहिये और अपने राष्ट्र की पहचान पुरे विश्व में बनानी चाहिये।
राष्ट्रीय एकीकरण दिवस
इस देश में व्यक्तिगत स्तर पर विकास को बढ़ाने के लिए भारत में राष्ट्रीय एकीकरण का बहुत महत्व है और ये भारत को एक मजबूत देश बनाता है। पूरी तरह से लोगों को इसके प्रति जागरुक बनाने के लिए, 19 नवंबर से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकीकरण दिवस और राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह अर्थात् कौमी एकता सप्ताह के रुप में 19 नवंबर जिस दिन भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्म दिवस होता है, इस तारीख हर वर्ष एक कार्यक्रम के रुप में मनाया जाता है। एकीकरण का वास्तविक अर्थ है अलग-अलग भागों को एक बनाने के लिए जोड़ना।
भारत के लोग
भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग विभिन्न धर्म, क्षेत्र, संस्कृति, परंपरा, नस्ल, जाति, रंग और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं। इसलिए, राष्ट्रीय एकीकरण बनाने के लिए भारत में लोगों के बीच एकीकरण रहना जरुरी है। एकीकरण के द्वारा अलग-अलग धर्मों और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं, वहाँ पर कोई भी सामाजिक या विकासात्मक समस्या नहीं होगी। भारत में इसे विविधता में एकता के रुप में जाना जाता है। भारत में, हर साल 19 नवंबर को एक सामाजिक कार्यक्रम के रुप में राष्ट्रीय एकीकरण दिवस को देखा जाता है। राष्ट्रीय एकीकरण के बारे में लोगों के बीच अधिक जागरुकता फैलाने के लिए, 19 से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह के रुप में वार्षिक तौर पर देखे जाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा एक पूरे सप्ताह का कार्यक्रम भी लागू किया गया है। भारत एक ऐसा देश है जो अपने विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, नस्ल, धर्मों, जाति और पंथ के जाना जाता है लेकिन इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि यहाँ निवास कर रहे लोगों की सोच में विविधता के कारण ये अभी भी विकासशील देशों में आता है।
विविधता में एकता का नाश
भारत अपनी विविधता में एकता के लिए प्रसिद्ध है लेकिन ये पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि विकास के लिए दूसरे के विचार को स्वीकार करने के लिए लोग तैयार नहीं है। यहाँ सभी को अपना धर्म ही सबसे बेहतर लगता है और जो भी वो करते हैं वही ठीक है। अपने खुद के फायदे के लिए केवल खुद को अच्छा साबित करना सिख रहे है। यहाँ रह रहे विभिन्न नस्लों के लोग आपस में शारीरिक, भावनात्मक, बहस और चर्चा आदि के द्वारा लड़ते हैं। अपने देश के बारे में एक साथ होकर वो कभी नहीं सोचते हैं। वो कभी नहीं सोचते कि हमारे देश का विकास केवल व्यक्तिगत वृद्धि और विकास के साथ ही संभव है।
राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य
भारत की एक पहचान बनाने के लिए अलग धर्मों के लोगों के बीच एकता को लाने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण एक प्रक्रिया है। समन्वय और एकता की मजबूती के साथ ही समाज में असमानता और दूसरे सामाजिक मुद्दे जैसे विविधता, नस्लीय भेद-भाव आदि को हटाने के लिए ये एक और एकमात्र रास्ता है। भारत एक बहु-जातिय और बहु-भाषायी देश है जहाँ विभिन्न जाति के लोग एक साथ रहते हैं और अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। वो अपनी प्रथा और परंपरा अपने धर्म के अनुसार निभाते हैं। भारत में लोगों के बीच केवल धर्म, जाति, पंथ, रंग और संस्कृति से ही विविधता नहीं है बल्कि सोच में भी विविधता दिखाई देती है जो भारत में अनुचित विकास का एक बड़ा विषय है। ये सभी कारणों से देश की विकास न रुके यही राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य है।
भारत सरकार द्वारा नियम
भारतीय लोगों के बीच अलगाव की एक उच्च स्थिति है जो सांप्रदायिक और दूसरी समस्याओं के साथ यहाँ एक बुरा छवि बनाती है। भारत में अलगाव के कारण, हम लोगों ने कई सामाजिक समस्याओं का सामना किया जैसे 1947 में भारत का बँटवारा, 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस, हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दंगे आदि। अस्पृश्यता की बाधा, भाषा की बाधा, सामाजिक स्थिति की बाधा और दूसरी सामाजिक बाधाएँ हमें विकास से पीछे ले जा रहीं हैं। विविधता में एकता लाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा बहुत सारे नियम-कानून लागू किये गये हैं। मानव दिमाग है जो लोगों के बीच विविधता में स्वाभाविक एकता ला सकता है। राष्ट्रीय एकीकरण में कमी के कारण यहाँ सभी सामाजिक समस्याओं का उदय हो रहा है। हम सभी को इस राष्ट्रीय एकीकरण के वास्तविक अर्थ, उद्देश्य और जरुरत को समझना चाहिये। अपने देश के मुख्य विकास के लिए भारतीय सरकार द्वारा सभी नियम-कानूनों को स्वीकार करना चाहिए।
राजनीतिक एकता
भारत एक ऐसी भूमि है जहाँ अपनी अनोखी संस्कृति और विविध जीवनशैली को मानने वाले विरोधी लोग भी रहते हैं। ये बहुत ही साफ है कि हमें हमारे जीवन में राष्ट्रीय एकीकरण के अर्थ को समझने की जरुरत है और अपने देश को एक पहचान देने के बारे में सोचना होगा। भारत में लोग विभिन्न धर्म, जाति, समुदाय, नस्ल और सांस्कृतिक समूह से संबंध रखते हैं और वर्षों से एक साथ रह रहें हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत को विविध धर्म, जाति और पंथ ने समृद्ध बनाया हुआ है जिसने यहाँ पर एक मिश्रित संस्कृति को सामने रखा है हालाँकि ये बहुत ही साफ है कि भारत में हमेशा राजनीतिक एकता की कमी रही है। भारत में केवल एक बार राजनीतिक एकता दिखाई दी थी जब सभी ने मिलकर 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया गया था। अंग्रेजों ने यहाँ कई प्रकार से बाँटे और राज करो की नीति अपनाई थी हालाँकि, इसमें वो बाद में असफल हो गये थे। कुछ बिंदु जैसे सांस्कृतिक एकता, रक्षात्मक निरंतरता, संविधान, कला, साहित्य, सामान्य आर्थिक समस्याएँ राष्ट्रीय ध्वज़, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय उत्सव और राष्ट्रीय प्रतीक के द्वारा भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा दिया जाता है।
उपसंहार
अलग धर्म और जाति होने के बावजूद हमें पहचाना चाहिये कि एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने के लिए हम सब एक हैं। हमें भारत में विविधता में एकता का वास्तविक मतलब समझना चाहिये। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि अखंडता की प्रकृति यहाँ पर नस्लीय और सांस्कृतिक समानता के कारण होनी चाहिये। बल्कि इसका मतलब है कि इतने अंतर के बावजूद भी एकात्मकता है। पूरे विश्वभर में दूसरी सबसे बड़ी जनसंखया वाले देश के रुप में भारत को गिना जाता है, जहाँ पर 1652 भाषाएँ बोली जाती हैं और विश्व के सभी मुख्य धर्म के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी मतभेदों के बावजूद भी हमें बिना किसी राजनीतिक और सामाजिक विरोधाभास के शांति से एक-दूसरे के साथ रहना चाहिये। हमें इस महान देश में एकता का आनंद उठाना चाहिये जहाँ राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सबकुछ विविधता है।
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