ADVERTISEMENT
रूपरेखा : प्रस्तावना - जैविक विविधता क्या है - जैविक विविधता के प्रकार - भारत में कितने जैविक विविधता हॉटस्पॉट है - जैविक विविधता संरक्षण के उपाय - जैविक विविधता संरक्षण क्यों आवश्यक है - विश्व जैविक विविधता दिवस - उपसंहार।
परिचय / जैविक विविधता / जैविक विविधता संरक्षणजैविक विविधता संदर्भित रूप से उन विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पति से है जो संसार में या किसी विशेष क्षेत्र में एक साथ रहते है। जैविक विविधता की समरसता को बनाये रखने के लिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अपनी धरती की पर्यावरण संबंधित स्थिति के तालमेल को स्थिर बनाये रखे। जैविक विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा। जैविक विविधता मुख्य रूप से अलग अलग तरह के पेड़ पौधों और पशु पक्षियों का धरती पर एक साथ अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए कहते है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग जंतु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतें पूरी करने में सहायता करते है।
जैविक विविधता किसे कहते हैं / जैविक विविधता क्या हैजैविक विविधता जिसे जैविक विविधता भी कहते है, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। जैविक विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। जैविक विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। जैविक विविधता एक प्राकृतिक संसाधन है जिससे हमारी जीवन की सम्पूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
जैविक विविधता के प्रकारजैविक विविधता जिसे जैविक विविधता भी कहते है, जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन जैसे जीव-जंतु, वनस्पति, पेड़ पौधों, पशु पक्षियों आदि की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। जैविक विविधता तीन प्रकार की होती है-
अनुवांशिक विविधता - एक ही प्रजाति के जीवों में होने वाली विविधताओं को अनुवांशिक विविधता कहते हैं।
प्रजातीय विविधता - जिसमें एक ही प्रजाति के जीव एक दूसरे से काफ़ी समानता रखते हैं उसे प्रजातीय विविधता कहते हैं।
पारितंत्र विविधता - जो आवास एवं जैव समुदाओं के अंतर को प्रदर्शित करती है उसे पारिस्थितिकी विविधता अथवा पारितंत्र विविधता कहते हैं।
भारत मे जैव मंडल आरचित छेत्र नीलगिरी है। वर्तमान में भारत में चार हाटस्पाँट क्षेत्र है। भारत मे जैव मंडल आरचित छेत्र नीलगिरी है ।
भारत जैविक विविधता हॉटस्पॉट-
पृथ्वी को बचाने के लिए हमें जैविक विविधता अथवा जैविक विविधता को बचाना होगा। उसके लिए सबसे पहले इंसान को जैविक विविधता के महत्व को समझना होगा। जैविक विविधता संरक्षण के उपाय क्या-क्या है जिसे इस प्रकार लिखा गया है। सड़को पर दौड़ते वाहन बड़े पैमाने पे प्रदूषण फैला रहे है जो मनुष्य जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वातावरण की शुद्धता को बचाने के लिए इन वाहनों पर अंकुश लगाना होगा ताकि ये वातावरण को और दूषित न कर पाए। फैक्टरियों से निकलता दूषित पानी जल जीवन को ख़राब कर रहा है। पानी में रहने वाले जीवों की जान आज खतरे में नजर आ रहे है। इस निकलते दूषित पानी का जल्दी से जल्दी उचित प्रबंध करना होगा ताकि ये बड़ी आपदा का रूप न ले ले तथा पानी को दूषित करने वाले लोगों को कड़ी क़ानूनी करवाए कर उन्हें दंड देना होगा। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण पर भी लगाम लगानी होगी। वनों की कटाई के वजह से आज जैविक विविधता में गिरावट बढ़ती जा रही है। इससे न सिर्फ पेड़ो की संख्या घट रही है बल्कि कई जानवरों एवं पक्षियों से उनका आशियाना भी छिनता जा रहा है जो उनके जीवन निर्वाह में एक बड़ी मुसीबत बन चुका है। वातावरण की दुर्गति को देखते हुए इस पर तुरंत प्रभाव से नियंत्रण करना होगा। जैविक विविधता की समरसता को बनाये रखने के लिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अपनी धरती की पर्यावरण संबंधित स्थिति के तालमेल को स्थिर बनाये रखे।
जैविक विविधता संरक्षण क्यों आवश्यक है / जैविक विविधता संरक्षण का महत्वमानव जीवन में जैविक विविधता का बड़ा महत्व है। इस संसार में सभी जीवन को स्थिर बनाये रखने में जैविक विविधता एक अहम योगदान निभाती है। यह पारिस्थितिकीय प्रणाली के संतुलन को बना के रखती है। विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पति एक दूसरे की जरूरतें पूरी करते है और साथ ही ये एक दूसरे पर निर्भर भी है। उदाहरण के तौर पर मनुष्य को ही ले लीजिए। अपनी मूलभूत आवश्यकता जैसे खाने, रहने के लिए वह भी पशु, पेड़ और अन्य तरह की प्रजातियों पर आश्रित है। हमारी जैविक विविधता की समृद्धि ही पृथ्वी को रहने के लिए तथा जीवन यापन के लायक बनाती है। दुर्भाग्य से बढ़ता हुआ प्रदूषण हमारे वातावरण पर गलत प्रभाव डाल रहा है। बहुत से पेड़-पौधे तथा जानवर प्रदूषण के दुष्परिणाम के चलते अपना अस्तित्व खो चुके है और कई लुप्त होने की राह पर खड़े है। अगर ऐसा ही रहा तो सभी प्रजातियों के सर्वनाश का दिन दूर नहीं है। इसीलिए मनुष्य को इसके महत्व के बारे में अवगत कराना होगा ताकि वे इसे गंभीरता से समझे और इसे संतुलन बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास करे।
विश्व जैविक विविधता दिवस / अंतरराष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस / जैविक विविधता दिवसलोगों को जैविक विविधता के प्रति जागरूक कराने के लिए तथा इसका हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है ये बताने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मई को "विश्व जैविक विविधता दिवस" मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2000 को 22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस’ के रूप में घोषित किया था। इसके पीछे यूएनओ का मुख्य उद्देश्य यह था की विश्व में सभी लोगो को जैविक विविधता के प्रति सतर्क किया जाये जिससे विश्व की जैविक विविधताओं को बनी रहे और उसका संरक्षण किया जा सके। इसे सबसे पहले साल 1993 में मनाया गया था। उस समय यह 29 दिसंबर को मनाया गया था। इसके बाद साल 2001 से यह हर साल 22 मई को मनाया जाता है।
उपसंहारविश्व के बारह चिन्हित मेगा बायोडाइवर्सिटी केन्द्रों में से भारत एक है। जैविक विविधता, किसी दिये गये पारिस्थितिकी तंत्र, बायोम, या एक पूरे ग्रह में जीवन के रूपों की विभिन्नता का परिमाण है। हर एक वनस्पति तथा जीव का वातावरण को रहने के योग्य बनाने में अलग-अलग उद्देश्य है। इसलिए अगर हमें अपने वातावरण की शुद्धता को ऊँचे स्तर तक पहुँचाना है तो हमें जैविक विविधता के संतुलन को बनाये रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। जैविक विविधता तीन प्रकार की होती है आनुवंशिक विविधता, प्रजातीय विविधता तथा पारितंत्र विविधता। लोगों को जैविक विविधता के प्रति जागरूक कराने के लिए तथा इसका हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है ये बताने के लिए विश्व जैविक विविधता दिवस अथवा अंतरराष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस मनाया जाता हैं।
ADVERTISEMENT