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हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक गैसीय पदार्थ उपस्थित है इस गैसीय पदार्थ को वायु (हवा) कहते हैं। कोई भी सजीव बिना वायु के जीवित नहीं रह सकता। वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए हैं वायुमंडल कहलाता हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायु का यह घेरा पृथ्वी को जकड़े हुए हैं। वायु/हवा को अंग्रेजी में "Air" कहते हैं।
हवा हमारे लिए बहुत जरूरी है। हवा हमारे चारों तरफ है। लेकिन वह हमें दिखाई नहीं देती। साँस के रूप में हम हवा को अपने शरीर के अंदर लेते हैं। हवा के बिना हम जीवित नहीं रह सकते। वायु (हवा) सभी जगह व्याप्त है, किन्तु हम इसे देख नहीं पाते। हम केवल वायु (हवा) का अनुभव ही कर सकते हैं।
हवा हमारे बहुत काम आती है। हवा से पतंग उड़ती है। वाहनों के टायर में हवा भरी जाती है। गुब्बारा भी हवा भरने से ही फूलता है। पंखे की हवा हमें ठंडक देती है। वायु पर गर्मी और सर्दी का असर पड़ता है गर्मी पाकर वायु फैलती है गर्मियों में साइकिल के ट्यूब के फटने का भी यही कारण है सर्दी पाकर वायु सिकुड़ती हैं। वायु गर्म होकर ऊपर उठती है गर्मियों में तेज हवा और आंधी चलने का यही कारण हैं।
इसमें कोई रंग नहीं होता अर्थात वायु रंगहीन हैं। इसके आर पार देखा जा सकता है, अतः वायु पारदर्शक होती हैं। सामान्यतः भारी गैसें वायु मंडल के निचले भाग में तथा हल्की गैसें वायुमंडल के ऊपरी भाग में पाई जाती हैं। वायु में कोई गंध या स्वाद नहीं है। वायु में जलवाष्प होती है, यही जलवाष्प गिलास की ठंडी सतह के सम्पर्क में आने पर वहां बूंदों के रूप में परिवर्तित होकर जमा हो जाती हैं। जिस प्रकार सभी सजीवों को साँस लेने के लिए वायु आवश्यक है उसी प्रकार किसी वस्तु के जलने के लिए वायु भी जरुरी हैं।
गर्मी में गर्म हवा चलती है। ठंडी में ठंड हवा से हम काँपने लगते हैं। पहाड़ की हवा स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है। इसलिए लोग पहाड़ों पर जाते हैं। यदि हवा का तापमान बढ़ता है तो उसका आयतन भी बढ़ता हैं। हवा दवाब डालती हैं। हवा (वायु) का भार और दाब इसके तापमान के अनुसार बदलते रहते हैं। हवा के विभिन्न गैसों का प्राकृतिक रूप से सन्तुलन बना रहता हैं।
हवा के सहारे ही हम जीवित हैं। इस संसार में हवा हर जीव को जरुरत हैं।
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