भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

ADVERTISEMENT

भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध इन हिंदी - भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना - भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ उद्देश्य क्या है - Bharat mein Beti Bachao Beti Padhao par hindi nibandh - Essay on Beti Bachao Beti Padhao in India - Beti Bachao Beti Padhao in India Essay in Hindi - Essay writing on Beti Bachao Beti Padhao in India Hindi - Beti Bachao Beti Padhao in India in Hindi

रूपरेखा : परिचय - भारतीय समाज के लड़कियां - समाज में लड़कियों की गिरती संख्या - योजना की विशेषताएँ - कार्यान्वयन - निष्कर्ष।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का परिचय

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' भारत सरकार की एक विशेष योजना है। इसका लक्ष्य महिलाओं से संबंधित कल्याणकारी सेवाओं के बारे जागरूकता को बढ़ाना है। हमारे प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की। यह पानीपत, हरियाणा से शुरू किया गया।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का अर्थ है लड़कियों को बचाना और उन्हें पूर्ण रूप से शिक्षित करना। इस योजना की शुरुआत भारतीय सरकार द्वारा हुई। इस योजना का उदेश्य भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए कल्याणकारी कार्यों की कुशलता को बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के बीच जागरुकता उत्पन्न करती है। इस योजना के लिए कई करोड़ की शुरुआती पूँजी की आवश्यकता थी। इस योजना की शुरुआत साल 2001 के सेंसस के आँकड़ों के अनुसार हुई, जिसके तहत हमारे देश में 0 से 6 साल के बीच का लिंग अनुपात हर 1000 लड़कों पर 930 लड़कियों का था। इसके बाद इसमें 2011 में और गिरावट देखी गयी तथा अब आँकड़ा 1000 लड़कों पर 915 लड़कियों तक पहुँच चुका था। 2012 में यूनिसेफ द्वारा पूरे विश्वभर में 195 देशों में भारत का स्थान 41वाँ पर था। इसी वजह से भारत में आज महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के प्रति लोगों की जागरुकता जरुरी हो गयी है।


भारतीय समाज के लड़कियां

प्रधानमंत्री ने मादा भ्रूण-हत्या-जैसी बुराइयों को समाप्त करने की अपील की है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात 943 है। यह तेजी से नीचे गिरा है। हमलोगों को इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार का भी लक्ष्य बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा पर धन-व्यय करने का है। सभी नागरिकों को इस कार्यक्रम की बेहतरी के लिए सुझाव देने को आमंत्रित किया गया है।

भारतीय समाज में लड़कियों के खिलाफ भेदभाव और लिंग असमानता की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक सरकारी सामाजिक योजना की शुरुआत की गयी है। हरियाणा के पानीपत में तारीख 22 जनवरी 2015, दिन बुधवार को प्रधानमंत्री के द्वारा इस योजना की शुरुआत हुई। यह योजना समाज में लड़कियों के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए बनाई गयी है। महिला भ्रूण हत्या को पूरी तरह समाप्त करने हेतु तथा लड़कियों के जीवन को बचाने के लिए ये योजना शुरू की गयी है। यह योजना आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने का कार्य करेगी तथा इसमें लड़के की भाँति ही लड़की को दर्जा देने के लिए कहा गया है। सभी लड़की एवं महिला को पुरे जिम्मेदारी से शिक्षित करने के लिए कहा गया है।


समाज में लड़कियों की गिरती संख्या

देश में छोटी लड़कियों को सशक्त करने के साथ साथ समाज में लड़कियों की गिरती संख्या के अनुपात के मुद्दे को बताने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत हुई। लड़कियों के प्रति लोगों की विचारधारा में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ ही ये योजना भारतीय समाज में लड़कियों की महत्व बताती है। आज भारतीय समाज में लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता बहुत क्रूर हो चुकी है। कई लोगों का मानना है कि लड़कियाँ पहले परिवार के लिए बोझ होती है और फिर अपने पति के लिये।


भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की योजना की विशेषताएँ

प्रारंभ में 100 करोड़ रुपए का कोष इस योजना के लिए दिया गया है। योजना का लक्ष्य लैंगिक समानता भी है। महिला-शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाएगा। महिलाओं के लिए ज्यादा-से-ज्यादा सरकारी और निजी अस्पताल खोले जाएँगे। महिला-सुरक्षा कोषांग गठित किए गए हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक सरकारी योजना है जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने शुरु किया है। भारतीय समाज में छोटी लड़कियों पर बहुत सारे प्रतिबंध किये जाते है जो उनकी उचित वृद्धि और विकास में रुकावट बन गया है। यह योजना छोटी लड़कियों के खिलाफ होने वाले अत्यचार, असुरक्षा, आदि को रोकेगा। भारतीय लोगों की ये सामान्य धारणा है कि लड़कियाँ अपने माता-पिता के बजाय पराया धन होती है। अभिवावक सोचते है कि लड़के तो उनके अपने होते है जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेंगे जबकि लड़कियाँ तो दूसरे घर जाकर अपने ससुराल वालों की सेवा करती हैं। छोटी लड़कियों की स्थिति अंतिम दशक में बहुत खराब हो चुकी थी क्योंकि महिला भ्रूण हत्या एक बड़े पैमाने पर अपना पैर पसार रही थी।


कार्यान्वयन

इस दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं और पुरस्कारों की घोषणा की है। जो लड़कियाँ समाज के लिए आदर्श के रूप में खड़ी होंगी, उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही सबसे अच्छे माता-पिता/अभिभावकों को सम्मान दिया जाएगा। अतः सरकार इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु प्रत्येक व्यक्ति का समर्थन चाहती है।


निष्कर्ष

हमारे देश की आधी आबादी महिलाओं की है। उनके विकास के बिना देश प्रगति नहीं कर सकता। अतः अब यही समय है जब हमें अपनी लड़कियों और महिलाओं की उचित देखभाल शुरू कर देनी चाहिए। समाज में उनका समान दर्जा होना चाहिए। वे हमारे सम्मान के हकदार हैं। युवा पीढ़ी को अपने कंधों पर इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हम आशा करते हैं कि इस कार्यक्रम को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी तथा यह सफल होगी।


ADVERTISEMENT