भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध - Unemployment Problem in India Essay in Hindi - Bharat mein Berojgari ki Samasya par Nibandh in Hindi - Essay on unemployment problem in india in Hindi

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रूपरेखा : परिचय - भारत में बेरोजगारी के कितने प्रकार हैं - बेरोजगारी के कारण - बेरोजगारी की समस्याएँ का समाधान - निष्कर्ष।

भारत में बेरोजगारी की समस्या का परिचय -

हमारे देश में अनेक अच्छे विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हैं। प्रत्येक वर्ष हजारों छात्र वहाँ से उत्तीर्ण होते हैं। लेकिन दूसरी तरफ, भारत में बेरोजगारी की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। धीरे-धीरे यह हमारे देश की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। बेरोजगारों की एक फौज प्रकट हो है।

जहाँ रोजगार नहीं होता तथा जिन लोगों के पास रोजगार नहीं होता उन्हें बेरोजगार कहते है। बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना को भी बेरोजगारी कहते है। आज भारत में बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। बेरोजगारी के कारण बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती। आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं।


भारत में बेरोजगारी के कितने प्रकार हैं | बेरोजगारी के कितने प्रकार है -

बेरोजगारी भी चार प्रकार की हैं।

  1. सम्पूर्ण बेरोजगारी : जहाँ श्रम का कुछ भी महत्त्व नहीं आँका जाता।
  2. अर्ध बेरोजगारी अर्थात्‌ 'पार्टटाइम जॉब' : जहाँ 2-4 घंटों के लिए श्रम को खरीदा जाता है।
  3. मौसमी बेरोजगारी : जैसे फसल कटते समय मजदूरों को रख लिया जाता है । कोई भवन निर्माण के समय मजदूर रख लिए जाते हैं, बाद में वे बेरोजगार हो जाते हैं।
  4. स्टेटस बेरोजगारी : जहाँ योग्यता तथा क्षमता से गिर कर काम न करने के कारण बेकारी है।

स्तर की दृष्टि से बेरोजगारी के चार प्रकार हैं

  1. शिक्षित जनों की बेकारी।
  2. शिल्पीय दक्षता प्राप्त जन की बेकारी ।
  3. अकुंशल जनों की बेकारी।
  4. कृपक-जन की बेकारी।

बेकारी का सर्वप्रथम कारण देश की बढ़ती जनसंख्या है। देश में प्रतिवर्ष एक करोड़ शिशु जन्म लेते हैं । जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में रोजगार के साधन नहीं बढ़ रहे। फलत: बेकारी प्रतिपल-प्रतिक्षण बढ़ती जा रही है।


भारत में बेरोजगारी के कारण -

इसके पीछे कई कारण हैं। प्रथमतः, हमारी जनसंख्या बहुत उच्च गति से बढ़ रही है। ऐसी उच्च दर पर प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराना बहुत कठिन है। द्वितीयतः, हमारी शिक्षा-पद्धति भी इसके लिए जिम्मेदार है। यह किताबी ज्यादा है और व्यवहारिक कम । यह छात्रों को सिर्फ कागजी काम में अच्छा बनाती है। वे कुशल नहीं हो पाते और इसलिए उनमें अपना व्यवसाय शुरू करने का साहस नहीं होता। अगर वे व्यवसाय करते भी हैं, तो प्रायः असफल हो जाते हैं और फिर से बेरोजगार हो जाते हैं। हमारे विद्यालयों और महाविद्यालयों में व्यावसायिक प्रशिक्षण के बहुत कम विकल्प हैं। भारत मुख्यतः एक कृषीय देश है। किंतु, यह कृषीय कार्य मौसमी है। अतः हमारे किसान वर्ष के अधिकांश समय में बेरोजगार रहते हैं।

बेरोजगारी के कई अन्य कारण -

भारत में बेरोजगारी अथवा बेकारी के अन्य कारण हैं

  • कृषि पर बढ़ता दबाव।
  • परम्परागत हस्तशिल्प उद्योगों का हास।
  • दोषपूर्ण नियोजन।
  • व्यवसायपरक शिक्षा की उपेक्षा।
  • श्रमिकों में गतिशीलता का अभाव।
  • स्वरोजगार की इच्छा का अभाव।

देश की बेकारी दूर करने के लिए दूरदर्शिता से काम लेना होगा। उसके लिए सर्वप्रथम परिवार-नियोजन पर बल देना होगा। जो पालन-पोषण नहीं कर सकता, उससे प्रजनन का अधिकार छीनना होगा। आपत काल की भाँति कठोर हृदय होकर इस कार्यक्रम को सफल बनाना होगा। धर्म-विशेष के आधार पर प्रजनन की छूट को प्रतिबंधित करना होगा।

शिक्षा का व्यवसायीकरण करना होगा। ताकि 'स्वरोजगार' के प्रति युवा वर्ग में दिलचस्पी पैदा हो । नई तकनीक द्वारा विकास के साथ नए कौशल (स्किल) तेजी से बढ़ेंगे। बाबूगिरी के प्रति मोह भंग होगा। प्रत्येक तहसील में लघु उद्योग-धन्धे खोलने होंगे। लघु-उद्योगों के कुछ उत्पादन निश्चित करने होंगे, ताकि वे बड़े उद्योगों की स्पर्धा में हीन न हों, पिछड़ न जायें।

शिक्षित युवकों को शारीरिक श्रम का महत्व समझना होगा। श्रम के प्रति उनके मन में रुचि उत्पन्न करनी होगी, ताकि वे घरेलू उद्योग-धन्धों को अपनाएँ। उद्योग राष्ट्र की प्रगति के प्रतीक होते हैं। आज राष्ट्र का उत्पादन गिर रहा है। इसे बढ़ाना होगा, नए-नए उद्योग स्थापित करने होंगे। नए उद्योगों से राष्ट्र को आवश्यक चीजों की प्राप्ति होगी और रोजगार के साधन बढ़ेंगे।


भारत में बेरोजगारी की समस्याएँ का समाधान -

अब इस समस्या को हल करने का समय आ गया है। हमलोगों को बढ़ती जनसंख्या की रोकथाम करनी चाहिए। सरकार को इसके लिए सभी संभव उपाय करने चाहिए। परिवार-नियोजन के तकनीकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हमारे विद्यालयों और महाविद्यालयों को व्यावसायिक प्रशिक्षणों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। रोजगारोन्मुखी विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। कुटीर एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। प्रत्येक युवा की मानसिकता व्यावसायिक होनी चाहिए। नौकरी की तरफ भागने के बजाय उन्हें अपना उद्योग लगाने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह वे लोग दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं।


निष्कर्ष -

भारत की अस्सी प्रतिशत जनता गाँवों में जीवनयापन करती है और कृषि पर निर्भर रहती है। कृषकों का बहुत-सा समय व्यर्थ जाता है । इसलिए जरूरत है रोजगारपरक ग्रामीण विकास नियोजन तथा कृषि पर आधारित उद्योग-धंधों के विकास की। साथ ही गाँवों में बिजली देकर गाँवों के जीवन में क्रांति लाई जा सकती है। प्राकृतिक साधनों का पूर्ण विदोहन, विनियोग में वृद्धि, रोजगार की राष्ट्रीय नीति निर्धारण तथा औद्योगिक विकास सेवाओं को तीक्रता द्वारा बेरोजगारी कम की जा सकती है। अतः उपर्युक्त सभी प्रयासों से बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है। इससे भारत भी आर्थिक रूप से एक मजबूत राष्ट्र बन सकता है। भारत से गरीबी सदा के लिए दूर की जा सकती है।


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