Short Essay on Dussehra in Hindi

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दशहरा पर निबंध

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति, परम्परा, निष्पक्षता , और त्यौहारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। भारत एक मेलों और त्यौहारों का देश है जहाँ पर हर त्यौहार को उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इन त्यौहारों से हमें सच्चाई, आदर्श और नैतिकता की शिक्षा मिलती है।

हमारे प्रत्येक त्यौहार का किसी-न-किसी ऋतु से संबंध होता है। दशहरा शीत ऋतु के प्रधान त्यौहारों में से एक होता है। दशहरा आश्विन मास की शुक्ल दसमी की तारीख को मनाया जाता है। भारत में दशहरा पर्व हिन्दुओं की चिर संस्कृति का प्रतीक होता है। इस दिन श्री राम जी ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी।

इसी वजह से इसे विजय दशमी भी कहा जाता है। दशहरा सितम्बर या अक्टूबर मास में मनाया जाता है। दशहरा एक जातीय त्यौहार है क्योंकि इसे सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि अन्य सम्प्रदाय के लोग भी मनाते हैं। इसका संबंध विशेष रूप से क्षत्रियों से होता है। इस त्यौहार का इंतजार लोग बड़े ही धैर्य के साथ करते हैं। इस दिन लोगों को एक दिन का अवकास प्रदान किया जाता है जिससे की लोग दशहरे के पर्व को को ख़ुशी और आनन्द से मना सकें।

किसी भी त्यौहार को मनाने के पीछे हमेशा एक मूल उद्देश्य छिपा होता है। हमारे धर्म ग्रंथों में दशहरा से संबंधित कई घटनाएँ मिल जाती हैं। दशहरे के दिन माँ दुर्गा ने नौ दिन तक युद्ध करने के पश्चात दसवें दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी वजह से दशहरे के अवसर पर नवरात्रियों का बहुत महत्व होता है। दशहरे को वर्षा ऋतु के अंत में मनाया जाता है। श्री राम की जीत के अतिरिक्त इस दिन का एक और भी महत्व है। प्राचीनकाल में लोग अपनी प्रत्येक यात्रा को इसी दिन शुरू करना शुभ मानते थे। वर्षा ऋतु के आने की वजह से क्षत्रिय राजा और व्यापारी अपनी यात्रा को स्थगित कर देते थे।

अलग-अलग स्थानों पर यह दिन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जो बड़े-बड़े नगर होते हैं वहाँ पर रामायण के सभी पात्रों की झांकियां निकाली जाती हैं। लोग इन झांकियों को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ देखते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली का दशहरा बहुत ही प्रसिद्ध होता है। दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा को ट्रक और गाड़ियों में लादकर गलियों और बाजारों से एक जुलुस की तरह निकाला जाता है और फिर प्रतिमा को नदियों या फिर पवित्र सरोवरों और सागरों में विसर्जित कर दिया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने-अपने घर में स्थापित प्रतिमा को बड़ी धूमधाम और नृत्य के द्वारा विसर्जित की विधि को पूरा करते हैं।

राम की रावण पर विजय के मौके पर नवरात्रियों में राम के जीवन पर आधारित रामलीला का आयोजन किया जाता है। रामलीला की धूम को उत्तर भारत में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। दिल्ली में रामलीला मैदान, परेड ग्राउंड और कई जगहों पर वृद्ध रूप से रामलीला का आयोजन किया जाता है। दशहरे का दिन रामलीला का अंतिम दिन होता है। दशहरे के दिन पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाये जाते हैं। इन पुतलों में अनेक प्रकार के छोटे और बड़े बम्बों को लगाया जाता है। शाम के समय में राम और रावण के दलों में कृत्रिम लड़ाई करवाई जाती है और राम रावण को मार कर लंका पर विजय प्राप्त करते हैं।

इसके पश्चात रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को जलाया जाता है तब पटाखों की आवाज करते हुए जलते पुतलों को देखने का आनन्द ही अलग होता है। पुतलों को नष्ट करने के बाद राम के राज तिलक का अभिनय किया जाता है जिसे देखकर प्रत्येक व्यक्ति का ह्रदय आनन्दमग्न हो जाता है। दशहरे के अवसर पर जगह-जगह पर मेला लगाया जाता है और लोग मिठाईयां और खिलौनों को लेकर घर जाते हैं।


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