Hindi Essay on Dussehra (दशहरा पर हिंदी निबंध)

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दशहरा पर निबंध

हमारे देश एक त्योहारों का देश है। दशहरा हमारा एक गौरवपूर्ण त्योहार है। यह आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। शरद ऋतु के स्वच्छ और मोहक वातावरण में यह त्योहार भारत के जनजीवन को आनंद और उत्साह से भर देता है।

दशहरा या दसेरा शब्द 'दश'(दस) एवं 'अहन्‌‌' से बना है। दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनाएं की गई हैं। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है।

पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन श्रीराम ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय की खुशी सारे देश में मनाई गई थी। इसी दिन की स्मृति में विजयादशमी या दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान इसी दिन अर्जुन ने शमी वृक्ष पर रखा अपना गांडीव धनुष उतारकर दुर्योधन की सेना को भगाया था और राजा विराट की अपहृत गायों को छुड़ाया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन राजा रघु ने देवराज इंद्र पर विजय पाकर उससे ढेर सारी सुवर्ण मुद्राएँ प्राप्त की थीं और उन्हें दान कर दिया था।

भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना हमें नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के अनुसार यह रण यात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाते हैं, नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि सहेज कर में रखे जाने वाले हो जाते हैं।

मंगल कार्यों का प्रारंभ करने के लिए दशहरे का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों के दरवाजों को तोरणों से सजाते हैं। इस दिन क्षत्रिय अपने घोड़ों को सजाते हैं और शस्त्रों की पूजा करते हैं। लोग अपने औजारों और कल-कारखानों की पूजा करते हैं। किसानों के जीवन में दशहरा नए रंग भर देता है। दशहरे के बाद ही वे रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं। दशहरे के पूर्व नौ दिनों तक सारे देश में रामलीला का आयोजन किया जाता है। दशहरे के दिन रामलीला समाप्त होती है और कागज तथा बाँस से बनाए और बारूद भरे हुए मेघनाद, कुंभकर्ण और रावण के पुतले जलाए जाते हैं। इस प्रकार दशहरा बुराई पर भलाई की तथा अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इसीलिए इस त्योहार को 'विजयादशमी' कहते हैं।

दशहरा पर्व को मनाने के लिए जगह-जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यहां लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ आते हैं और खुले आसमान के नीचे मेले का पूरा आनंद लेते हैं। मेले में तरह-तरह की वस्तुएं, चूड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े बेचे जाते हैं। इसके साथ ही मेले में व्यंजनों की भी भरमार रहती है।

इस समय रामलीला का भी आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा, शस्त्र पूजन, हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। रामलीला में जगह-जगह रावण वध का प्रदर्शन होता है।

आजकल लोग दशहरे के महत्व को भूलकर बाह्य आडंबर को ही प्रधानता देने लगे हैं। इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं और जुआ खेलते हैं। दशहरे जैसे पवित्र पर्व को सुंदर ढंग से मनाना चाहिए। अपने हृदय को स्वधर्म, स्वदेशप्रेम, बलिदान, तपस्या, दान और वीरता जैसे उत्तम भावों से भर देना ही इस त्योहार को मनाने का सही तरीका है। कहते हैं कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और लंका पर विजय पाई थी। इसलिए दशहरे के दिन रावण के पुतले जलाए जाते हैं।

सचमुच, विजयादशमी हमारा राष्ट्रीय, ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। दशहरे का त्योहार हमें धर्म, न्याय और मानवता की रक्षा करने तथा हर शुभ कार्य में विजयी बनने का संदेश देता है। लोग दशहरे को बहुत शुभ दिन मानते हैं। मुझे दशहरा का त्योहार बहुत पसंद है।


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