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रूपरेखा : मेले का परिचय - बाहरी दृश्य - मेले के भीतर - वस्तुओं की खरीददारी और मनोरंजन - अन्य दृश्य - उपसंहार।
ग्रामीण जीवन में लोगों को जितना आकर्षण मेले के प्रति होता है उतना और किसी के प्रति नहीं होता। अपने गाँव का मेला देखकर मुझे इस सत्य का पता चला।
इस बार जब मैं छुट्टियों में गाँव गया, तब मैंने देखा कि सारे गाँव में मेले की धूम मची हुई है। दूसरे दिन अपने परिवार के साथ मैं भी मेला देखने चल पड़ा। सरस्वती नदी के किनारे घने वृक्षों की छाया में मेला लगा हुआ था। चारों ओर लोहे के तारों से उसकी सीमा बना दी गई थी। दूर से ही उसकी चहल-पहल मन में कुतूहल पैदा कर रही थी। आसपास के गाँवों से हजारों की संख्या में लोग पैदल चलकर या वाहनों में बैठकर आ रहे थे। सभी लोग रंगबिरंगे वस्त्रों में सजे हुए थे। खास करके ग्रामीण नारियों की वेशभूषा देखते ही बनती थी। मेले के प्रवेशद्वार की रचना बहुत आकर्षक थी।
मेले में चारों ओर तरह-तरह की वस्तुओं की दुकानें थीं। स्त्रियों के लिए शृंगार-सजावट की वस्तुओं की भी अनेक दुकानें थीं। कोई काजल, कोई क्रीम, तो कोई रंगबिरंगी बिंदियाँ खरीद रही थीं। काँच की चूड़ियों की दुकानों पर महिलाओं की खूब भीड़ थी। एक ओर मिठाइयों की दुकानें थीं। खिलौनों की दुकानों पर छोटे-छोटे बच्चों की भीड़ थी। मेले में पुस्तकों की भी कुछ दुकानें थीं, जिनमें अधिकतर धार्मिक साहित्य दिखाई पड़ता था। फेरीवालों का तो रंग ही कुछ और था। कोई फल की ढेरी लगाए बैठा था, तो कोई शाक-सब्जी की। इस प्रकार सारा मेला मनुष्यों और वस्तुओं का अजायबघर-सा लग रहा था !
मेले में बहुत-सी वस्तुओं ने हमें अपनी ओर आकृष्ट किया। मेरी माँ ने कुछ साड़ियाँ खरीदीं। छोटे भाई ने चलने वाली एक मोटर और हवाई जहाज खरीदा। इसके बाद पिताजी सबको एक स्टॉल पर ले गए। वहाँ हमने भेल-पूरी और आइसक्रीम खाई। इतने में छोटे भाई और बहन ने झूले पर बैठने की जिद की। आखिर हम टिकट लेकर झूले पर बैठे। यहाँ भी बहुत मजा आया।
एक जगह एक जादूगर जादू के खेल दिखा रहा था। एक कोने में दो पहलवान कुश्ती लड़ रहे थे। एक तरफ चरखी घूम रही थी। कुछ दूरी पर एक फोटो स्टूडियो था, जहाँ कई ग्रामीण फोटो खिंचवा रहे थे। हम सबने भी अपने पूरे परिवार का फोटो खिंचवाया। मेले में एक ज्योतिषी तोते द्वारा चिट्ठी निकलवाकर भविष्य बतलाता था।
मेले में लगभग दो घंटे घूमने से हमें गाँव के जीवन की अच्छी-खासी जानकारी मिल गई। फिर हम घर की ओर चल पड़े।
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