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रुपरेखा : ग्रीष्म का परिचय - ग्रीष्म का आगमन - लम्बे और आलस भरे दिन - गर्मी का प्रकोप - गर्मी के दो अभिशाप - गर्मी से बचने के उपाय - ग्रीष्म के लाभ - उपसंहार।
ग्रीष्म का परिचयग्रीष्म का परिचय हम कुछ इस प्रकार कर सकते है जैसे, सूर्य भगवान् की अविश्राम तपते किरणें, सन्ताटा मारते हुए लू की झपट, तेज उप्ण निदाघ, वृक्षों का मुरझाना, नदियों का सूखा पड़ना और धरणीतल पर की अविरल शुन्यता, यही है ग्रीष्म का परिचय।
ग्रीष्म का आगमनवसंत के पश्चात् ग्रीष्म का आगमन होता है। भगवान् सूर्य पृथ्वी के कुछ निकट आ जाते हैं, जिससे उनकी किरणें अति उष्ण होती हैं । ज्येष्ठ और आषाढ़ ग्रीप्म ऋतु के महीने होते हैं। ग्रीष्म के प्रारम्भ होते ही वसंत ऋतु में मन्द-मन्द चलने वाली पवन का स्थान साँय-माँय चलने वाली लू ले लेती है। हरियाली का बगीचा फटने लगता है। वसंत के चैतन्य और स्फूर्ति का स्थान आलस्य और क्लान्ति ले लेतो है।
लम्बे और आलस भरे दिनगर्मी के दिन बड़े लम्बे होते हैं। भगवान् भास्कर रात्रि के अन्धकार को नष्ट करने के लिए जल्दी प्रकट हो जाते हैं और बहुत देर तक जाने का नाम भी नहीं लेते। उदय होते ही वे अपनी प्रचण्डता का आभास प्रथम रश्मि में ही दे देते हैं तथा दिन-भर परशुराम के समान क्रोधाग्नि बरसाकर, जन-जीवन को झुलसाकर साय॑ को अन्धकार में लीन हो जाते हैं। ऊपर से साँय-साँय कर लू चलती है, नीचे सड़कों का तारकोल पिघलकर चिप-चिप करता है। सीमेंट की सड़कें अंगारे बरसाती हैं। ग्राम पें ऊबड़-खाबड़ मार्गों की मिट्टी नंगे पैरों को तप्त करती है और रेत में चलने वालों को तो दादी- नानी की याद आ जाती है। घर से निकलने को न नर-नारियों का मन करता है, न पशु-पक्षियों का और न जीव-जन्तुओं का मन करता है। हमारे जीवन को आलस भरा जीवन बना देता है। मन करता है पुरे दिन बस घर में एक ही जगह बैठे रहे, न उठने का मन करता है और नाही कही बाहेर जाने का।
गर्मी का प्रकोपमानव हो या पशु-पक्षी सभी गर्मी के प्रकोप से बचना चाहते है। गर्मी का प्रकोप प्राणियों को इतना व्याकुल कर देता है कि उन्हें सुध-बुध भी नहीं रहता। प्राणी पारस्परिक राग-ट्वेष भी भूल जाते हैं। परस्पर विरोधी स्वभाव वाले जन्तु एक-दूसरे के समीप पड़े रहते हैं, किन्तु उन्हें कोई खबर नहीं रहती। ग्रीष्प ऋतु सारे संसार को एक तपोवन बना देती है। जिस प्रकार तपोवन में रहते हुए प्राणी ईर्प्या-द्वेष से रहित होते हैं, उसी प्रकार इस ऋतु में भी प्राणियों की स्थिति ऐसी ही हो जाती है।
गर्मी के दो अभिशापप्यास और पसीना गर्मी के दो अभिशाप हैं। अभी-अभी पानी पिया है, किन्तु गला फिर भी सूखा का सूखा लगने लगता है। प्यास से मन व्याकुल, पसीने से शरीर लतपथ हो जाते है। सरिता-सरोवर सूख जाते है तथा नद-नदियों में जल की कमी हो जाती है। परिणामत: पशु-पक्षी सूखे सरोवर को देखकर प्यास से व्याकुल हो जाते है। इसतरह प्रकृति भी प्यासी है और प्यास में उदासी है।
गर्मी से बचने के उपायगर्मी के इस प्रकोप से अपने आपको बचाने के लिए मनुष्य ने उपाय खोज निकाले हैं। साधारण आय वाले घरों में बिजली के पंखे चल रहे हैं, जो नर-नारियों की पसीने से रक्षा करते हैं। अमीरों के यहाँ वातानुकूलन के यन्त्र लगे हैं जैसे एसी, कूलर, आदि। समर्थ-जन गर्मा से बचने के लिए पहाड़ी स्थलों पर चले जाते हैं और ज्येष्ठ की तपती दोपहरी पहाड़ की ठण्डी हवाओं में बिताते हैं। प्यास बुझाने के लिए शीतल पेय पीते हैं। बर्फ तथा बर्फ से बने पदार्थ ग्रीष्म के शत्रु और जनता के लिए वरदान हैं। ग्रीष्म की धूप से बचने के लिए जन-साधारण अपना काम सुबह और शाम के समय करने का प्रत्यन करते हैं। स्कूलों और कॉलिजों में अवकाश रहता है । यदि धूप में निकलना ही पड़े, तो फिर देखिए अद्भुत दृश्य । हैटधारी बाबू, हैटनुमा टोपी घहले नवयुवक और सिर पर तौलिया या कपड़ा ओढ़े अधेड़ दिखाई देते । ग्रीष्म ऋतु में ठन्डे जूस का आनन्द जी भर कर लेते है और फच्चे दूध की लस्सी भी पीते है। खरबूजा और तरबूज का आनन्द सभी अपने परिवारों संग लेते है। साथ ही अगर ठंडा पानी मिल जाए तो दिन ही बन जाता है। ककड़ी और खीरे का सेवन भी अधिक लोग करते है।
ग्रीष्म के लाभग्रीष्म से कई लाभ भी होते है। गर्मी अनाज को पकाती है। आम और तरबूज में मिठास लाती है। यह ऋतु वर्षा की भूमिका है, जिसके अभाव में न जलवृष्टि होगी, न धरती फलेगी, न खेतो होगी और जनता अकाल का ग्रास बन जाएगी। ग्रीष्म ऋतु ठग्रता और भयंकरता का प्रतीक है । यह हमें सन्देश देती है कि आवश्यकता पड़ने पर हमें भी उग्र रूप धारण करने में संकोच नहीं करना चाहिए । इसके अतिरिक्त ग्रीप्म ऋतु प्राणियों को कष्ट सहने को शक्ति भी प्रदान करती है । ग्रीष्म के बाद वर्षा का आगमन इस तथ्य का संकेत है कि दु:ख के बाद ही सुख की प्राप्ति होती है, कठोर संघर्ष के पश्चात् ही शांति और उल्लास का आगमन होता है। हमें धरती के समान ही ग्रीष्म की उग्रता को झेलना चाहिए।
उपसंहारग्रीष्म ऋतु बच्चों के लिए बहुत ही रुचि पूर्ण और मनोरंजक मौसम होता है। बच्चे खासकर इसी समय में समर कैंप, तैराकी करने, पहाड़ी क्षेत्रों में जाने, आदि जगह घूमने जाते है। साथ ही अपने मित्रों के साथ वो दोपहर के समय ठन्डे गोले खाने जाते है और आइसक्रीम की तो लत लगा लेते है। बच्चे गर्मी के मौसम में स्कूल की छुट्टियों का आनंद लेते हैं। कई बच्चे अपने नाना-नानी के घर जाने के लिए ग्रीष्म ऋतू के आने का इंतिज़ार करते हैं।
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