रक्षाबंधन पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - रक्षाबंधन के कई अन्य नाम - पौराणिक रूप - भाई-बहन के बंधन का प्रतीक - रक्षाबंधन का महत्व - वर्तमान में रक्षाबंधन का त्यौहार - उपसंहार।

परिचय | रक्षाबंधन का त्योहार की प्रस्तावना -

भारत देश के प्रमुख त्यौहार दिवाली, दशहरा, होली रक्षाबंधन आदि त्योहार हमारे यहाँ बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में रक्षाबंधन हमारे देश का एक लोकप्रिय और पवित्र त्योहार है। रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय त्योहारों में से एक प्राचीन त्योहार है। रक्षा-बंधन यानि - रक्षा का बंधन, एक ऐसा रक्षा सूत्र जो भाई को सभी संकटों से दूर रखता है। यह त्योहार आमतौर पर भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते को महत्व देते हुए मनाया जाता है।


रक्षाबंधन के कई अन्य नाम -

रक्षाबंधन का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अभिमान को इसी दिन चकनाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार 'बलेव' नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में 'नारियल पूर्णिमा' या 'श्रावणी' के नाम से यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बाह्मण नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और मल्लाह समुद्र की पूजा कर उसे नारियल चढ़ाते हैं।


पौराणिक रूप | रक्षाबंधन पर्व का पौराणिक रूप -

रक्षाबंधन के संबंध में एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब वे देवराज इंद्र के पास गए। उस समय देवराज इंद्र की पत्नी ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बाँधा। इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की। तभी से राखी बाँधने की प्रथा शुरू हुई। ऋषि-मुनियों की साधना की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। इस अवसर पर वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं।


भाई-बहन के बंधन का प्रतीक -

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम बंधन का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बाँधती है और उसके लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देता है। बीते हुए बचपन की झूमती हुई यादें भाई-बहन की आँखों के सामने नाचने लगती हैं। राखी का धागा भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है।


रक्षाबंधन का महत्व | रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व -

सचमुच, राखी के इन धागों के कारण अनेक कुरबानियाँ हुई हैं। चित्तौड़ की राजमाता कर्मवती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और उसने भी बहन कर्मवती की रक्षा की जिम्मेदारी निभाई थी। इस तरह कई ऐतिहासिक घटना रक्षाबंधन के महत्व को दर्शाता है।


वर्तमान में रक्षाबंधन का त्यौहार -

आजकल तो प्राय: बहन भाई को राखी बाँध देती है और भाई बहन को कुछ उपहार देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है। लोग इस बात को भूल गए हैं कि राखी के धागों का सम्बंध मन की पवित्र भावनाओं से है नाकि उपहार और धागों से हैं।


उपसंहार -

सचमुच, वर्तमान सामाजिक परिस्थिति में रक्षाबंधन का महत्त्व पहले से भी अधिक हो गया है। रक्षाबंधन के पवित्रतम त्योहार को पाठशालाओं, कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं में बड़े उत्साह से मनाना चाहिए। आज यह त्योहार हमारी संस्कृति की पहचान है और हर भारतवासी को इस त्योहार पर गर्व है। आज कई भाइयों की कलाई पर राखी सिर्फ इसलिए नहीं बंध पाती क्योंकि उनकी बहनों को उनके माता-पिता ने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया। यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि जिस देश में कन्या-पूजन का विधान शास्त्रों में है वहीं कन्या-भ्रूण हत्या के मामले सामने आते हैं। यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि बहनें हमारे जीवन में कितना महत्व रखती हैं।


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