मेरा गाँव पर निबंध

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मेरा गाँव पर हिंदी निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, और 9 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on my village in hindi - My Village Essay in hindi for class 5, 6, 7, 8 and 9 Students. Essay on My Village in Hindi for Class 5, 6, 7, 8 and 9 Students and Teachers.

रूपरेखा : गाँव का परिचय - गाँव के लोग - ग्रामपंचायत के कार्य - गाँव की पाठशाला - गाँव में कमी - उपसंहार।

मेरा गाँव भी भारत के लाखों गाँवों जैसा ही है। लगभग चार सौ घरों की इस छोटी-सी गाँव का नाम 'जनकपुर' है। गाँव के उत्तर में कलकल करती हुई सरस्वती नदी बहती है। चारों ओर खेतों की हरियाली गाँव की शोभा बढ़ा रही है। पर्वतमाला और विविध वनस्पतियाँ इसके प्राकृतिक सौंदर्य में चार चाँद लगा देती हैं। गाँव के बीचोबीच एक बड़ा कुआँ है, जो 'राम का कुआँ' के नाम से प्रसिद्ध है। कुएँ के सामने विशाल शिवालय है। कुछ दूरी पर गाँव का पंचायतघर है। पाठशाला और अस्पताल गाँव के बाहर हैं।

गाँव में सभी वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के रहते हैं। मेरे गाँव के लोग बहुत उद्यमी और संतोषी हैं। गाँव के लोगों की सभी जरुरतों की पूर्ति गाँव के लोग ही विविध गृहोद्योगों के माध्यम से करते हैं। कभी-कभी मेरे गाँव में भजन-कीर्तन का कार्यक्रम भी होता है। गाँव में अधिकतर किसान रहते हैं। अनेक देवी-देवताओं में उनका अटूट विश्वास है। होली के रंग सबके हृदय में हर्ष और उल्लास भर देते हैं, तो दीवाली की रोशनी से सबके दिल जगमगा उठते हैं।

ग्रामपंचायत ने हमारे गाँव की कायापलट कर दी है। गाँव के बच्चे उत्साह से पाठशाला में पढ़ते हैं। आज तो गाँव में प्रौढ़ शिक्षा का भी प्रबंध हो चुका है। गाँव के पुस्तकालय में कई पत्र-पत्रिकाएँ मँगाई जाती हैं। गाँव के बाजार में भी नई रौनक आ गई है। यहाँ घरेलू उपयोग की लगभग सभी चीजें मिलती हैं।

हमारे गाँव की पाठशाला में पढ़ाई के अलावा विद्यार्थियों को बागबानी की शिक्षा भी दी जाती है। कताई और बुनाई के कामों में भी विद्यार्थी रुचिपूर्वक भाग लेते हैं। गाँव का दवाखाना लोगों की अच्छी सेवा कर रहा है। मेरे गाँव के लोगों में कभी-कभी छोटी-छोटी बातों को लेकर कहा-सुनी हो जाती है, लेकिन पंचायत की बैठक में उन्हें सुलझा लिया जाता है। कुछ लोग भाँग, तंबाकू और अन्य नशीली पदार्थ का सेवन भी करते हैं। कुछ लोग सफाई की ओर विशेष ध्यान नहीं देते। प्रौढ़ शिक्षा के प्रति गाँववालों की विशेष रुचि नहीं है।

फिर भी मेरा गाँव अपने आप में अच्छा है। यहाँ प्रकृति की शोभा है, स्नेहभरे लोग हैं, धर्म की भावना है और मनुष्यता का प्रकाश है। भोले-भाले स्त्री-पुरुष, स्नेहभरे भाभी-देवरों और सरल बच्चों, दादा-दादी और नाना-नानी से हरा-भरा यह मेरा गाँव मुझे बहुत प्यारा लगता है।


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