मेरे विद्यार्थी जीवन पर निबंध

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मेरे विद्यार्थी-जीवन पर हिंदी निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, और 9 के विद्यार्थियों के लिए। - Essay Writing on my student life in hindi - My Student Life Essay in hindi for class 5, 6, 7, 8 and 9 Students. Essay on My Student Life in Hindi for Class 5, 6, 7, 8 and 9 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना - स्कूल में प्रवेश - अनेक प्रवृत्तियाँ - पर्यटन - अध्यापकों के प्रति कृतज्ञता - सहपाठियों की यादें - विदाई समारोह का स्मरण - उपसंहार।

किसी का थोड़े समय का साथ भी हमारे जीवन में उनकी यादें जोड़ जाती है। जहाँ मैं दस वर्ष तक अपने सहपाठियों के साथ पढ़ता रहा, उस पाठशाला की कई यादें आज भी मेरे हृदय पर अंकित हैं।

वह दिन मुझे आज भी याद है जब मेरी माँ पहले दिन मुझे पाठशाला ले गई थी। मेरे हाथ में छोटा-सा रंगीन बैग था। इस बैग में नाश्ते का डिब्बा (टिफ़िन) और पानी की बोतल थी। माँ मुझे शिशु वर्ग में ले गई। शिक्षिका ने प्रेमपूर्वक मुझे अपने वर्ग में बिठा दिया। इस तरह मेरे विद्यार्थी जीवन का श्रीगणेश हुआ अर्थात आरंभ हुआ।

हर परीक्षा में मुझे प्रथम स्थान मिलता। इससे प्रसन्न होकर पिताजी मुझे परीक्षा नतीजा निकलने के बाद कोई-न-कोई उपहार देते। कई छात्रवृत्तियाँ भी मुझे मिलती रहीं। मुझे खेल-कूद बहुत पसंद थे। मैं पाठशाला की क्रिकेट टीम का कप्तान भी बना। विद्यालय के नाट्यमंडल में भी मेरे नाम का बोलबाला रहा। हर साल स्कूल के कार्यक्रम में मेरा नाम चर्चा में रहता था। अंतर्विद्यालय नाट्य स्पर्धाओं में हमारे नाटक को कई बार प्रथम पुरस्कार मिला।

वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी बाजी हमेशा ही मेरे हाथ लगी। वे ढेर सारे पुरस्कार आज भी मैंने सँजोकर रखे हैं। उनके साथ मेरे विद्यार्थी-जीवन की मीठी यादें जुड़ी हुई हैं। दस वर्षों में मैं लगभग हर साल अपने सहपाठियों के साथ पर्यटन पर गया। महाबलेश्वर तथा अजंता-एलोरा, दिल्ली, वाटर पार्क, आगरा तथा नैनीताल के पर्यटनों की या अविस्मरणीय हैं। इन प्रवासों में खींचे गए फोटो आज भी मेरे अलबम की शोभा बढ़ा रहे हैं।

अध्यापक श्री गुप्ता सर तथा श्री मिश्रा सर को मैं बहुत मानता हूँ। गुप्ताजी में गणित और विज्ञान में मेरी रुचि बढ़ाई। उनके मार्गनदर्शन से ही एस.एस.सी. परीक्षा में मुझे गणित में शत-प्रतिशत और विज्ञान में 97 प्रतिशत अंक मिले। मिश्राजी ने कंप्यूटर में इतनी अच्छी ट्रेनिंग दी कि आज मैं किसी भी प्रोजेक्ट पर आसानी से काम कर सकता हूँ।

अपने सहपाठियों से जुड़ी अनेक यादें मन को आनंदित कर देती हैं। मेरे सभी साथी हँसमुख, शरारती और परिश्रमी थे। उनके साथ मैंने अनेक कार्यों में भाग लिया था।

आज भी मुझे याद आता है स्कूल का वह विदाई समारोह। उस दिन अपने प्रिय साथियों एवं स्नेही गुरुजनों से बिछुड़ते हुए हृदय मानो फटा जा रहा था। इस प्रकार अपने विद्यार्थी जीवन की अनेक घटनाएँ मेरे मन को गुदगुदाती रहती हैं। विद्यार्थियों को अपने विद्यार्थी जीवन काल में अपनी उचित शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल कूद और व्यायाम पर पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें इस विद्यार्थी जीवन में बहुत ही परिश्रमी और लगनशील होनी चाहिए। हर व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है।


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