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रूपरेखा : प्रस्तावना - मेरा प्रिय खेल कौन-सा है - प्रिय खेल का परिचय - मुझे खेल का शौक - प्रिय खेल का महत्व - प्रिय होने का कारण - खेल से सेहत तंदरुस्त बनना - उपसंहार।
परिचय / मेरा प्रिय खेल की प्रस्तावना-इस संसार में पढाई के साथ-साथ खेलो का बी महत्व है। खेल से मनुष्य का शारारिक, मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। खेल इंसान को स्वस्थ रखने में मदत करता है। सभी के जीवन में अपना एक प्रिय खेल होता है। मैं बचपन से ही खेल-कूद का शौकीन रहा हूँ।
खेल जैसे हॉकी, बैडमिंटन, फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी आदि सभी खेलों में मुझे दिलचस्पी है, किंतु इन तमाम खेलों में क्रिकेट का खेल मुझे अधिक प्रिय है। क्रिकेट के लिए मैं दीवाना हूँ।
आज सारा विश्व क्रिकेट को 'खेलों का राजा' मानता है। क्रिकेट ने लोगों के दिलों को जीत लिया है। क्रिकेट मैच का नाम सुनते ही लोग उसे देखने के लिए अधीर हो उठते हैं। जो लोग मैच देखने नहीं जा सकते, वे टी. वी. पर उसे देखना या रेडियो पर उसकी कॉमेंट्री सुनना नहीं चूकते। अखबारों के पन्ने क्रिकेट के समाचारों से भरे होते हैं। सचमुच, क्रिकेट एक अनोखा खेल है।
क्रिकेट का शौक मुझे अपने बड़े भाईसाहब से मिला है। उन्होंने हमारे मुहल्ले के कुछ मित्रों की एक टीम बनाई थी। यह टीम छुट्टियों के दिन मैदान में क्रिकेट खेलने जाती थी। मैं भी उन सबके साथ खेलने लगा। एक दिन मेरे बल्ले ने दनादन तीन छक्के फटकार दिए। सबने मुझे शाबाशी दी। बस, उसी दिन से क्रिकेट मेरा प्रिय खेल बन गया। धीरे-धीरे भाईसाहब ने मुझे इस खेल के सभी दाँव-पेच सिखा दिए।
मैं हर रोज शाम को अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलता हूँ। क्रिकेट के विविध मैच में अवश्य देखता हूँ। मैं अपने फुरसत के समय क्रिकेट-संबंधी पत्रिकाएँ पढ़ता हूँ। अखबारों में प्रकाशित क्रिकेट-संबंधी लेखों एवं चित्रों का मैंने अच्छा-खासा संग्रह तैयार किया है। क्रिकेट के सभी प्रसिद्ध खिलाड़ियों के चित्र मेरे अलबम में हैं। सचमुच क्रिकेट क नाम सुनते ही मैं खुशी से उछल पड़ता हूँ।
पिछले साल मैं अपने स्कूल के क्रिकेट-दल का कप्तान था। सालभर में जितने मैच खेले गए थे, उन सबमें हमारे दल की जीत हुई थी। आज मैं अपने स्कूल के विद्यार्थियों का प्रिय खिलाड़ी हूँ। अध्यापक मुझ पर गर्व करते हैं। सब लोग मुझे अपने स्कूल का जूनियर 'सचिन' मानते हैं।
क्रिकेट के खेल से अच्छा व्यायाम हो जाता है। इससे शरीर फुर्तीला बना रहता है। आज मुझमें जो शारीरिक शक्ति और मानसिक क्षमता है, उसमें क्रिकेट का काफी योगदान है। मैं इस खेल का बहुत ऋणी हूँ। क्रिकेट को अपना सर्वाधिक प्रिय खेल बनाकर मैं इस ऋण को उतारना चाहता हूँ। क्रिकेट के खेल से सहनशीलता बढ़ती है। क्रिकेट के खेल से शरीर में फुर्ती आती है। शरीर स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है।
अनुशासन, कर्तव्य-परायणता और सहयोग की शिक्षा भी क्रिकेट से मिलती है। क्रिकेट का खिलाड़ी न तो विजय मिलने पर गर्व करता है और न हारने पर निराश होता है। इसके अतिरिक्त इस खेल द्वारा नाम और दाम दोनों पाने की भरपूर गुंजाइश रहती है। क्रिकेट से शरीर स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है और इससे आंतरिक बल और फुर्ती बढ़ती है। सचमुच इस खेल में इतने गुण है कि यह मेरा सबसे प्रिय खेल हमेशा रहेगा।
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